कांकेरः प्रदेश के कांकेर लोकसभा क्षेत्र में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न कराना एक बड़ी चुनौती मानी जा रही थी, लेकिन जिले में 72% से हुई अधिक वोटिंग ने नक्सलियों की दहशत को करारा जवाब दिया है. जवानों की मुस्तैदी के कारण न सिर्फ चुनाव शांतिपूर्ण हुए बल्कि इलाके में बम्पर वोटिंग भी हुई.
कांकेर में 18 अप्रैल को हुए मतदान से कुछ दिन पहले ही महला गांव के पास नक्सलियों ने जवानों पर हमला किया था, जिसमें 4 जवान शहीद हुए थे. वहां भी ग्रामीणों ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर नक्सलियों को कड़ा संदेश दिया है.
सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम
कांकेर लोकसभा के अंतर्गत अन्तागढ़ विधानसभा के सभी मतदान केंद्रों को संवेदनशील केंद्रों के दायरे में रखा गया था. इस विधानसभा में 22 अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र भी थे, जहां साल 2013 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सली घटनाएं हुई थी. इन इलाकों में नक्सलियों ने बैनर-पोस्टर लगाकर कई बार चुनाव बहिष्कार की धमकी भी दी थी. इसके कारण ऐसे इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे.
जवानों पर भरोसा जता रहे ग्रामीण
बता दें कि कांकेर लोकसभा क्षेत्र के 8 में से 5 विधानसभा नक्सल प्रभावित हैं. बावजूद कांकेर में मतदान का प्रतिशत 72 से अधिक रहा. मतदान के प्रति लोगों में विश्वास देखकर यह बात साफ है कि इलाके में ग्रामीण नक्सलियों के खौफ से ज्यादा अब जवानों पर भरोसा करने लगे हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कई गांव ऐसे भी थे, जहां मात्र एक या दो वोट ही पड़े थे. कुछ गांव में तो खाता भी नहीं खुल सका था. इसमें विकासपल्ली गांव शामिल था, लेकिन इस बार की वोटिंग से यहां बुलेट पर बैलेट भारी पड़ा है.
अति नक्सल प्रभावित गांव जहां हुई बम्पर वोटिंग
जिले के अति नक्सल प्रभावित गांवों के मतदान केंद्र दूसरे गांव में शिफ्ट किये गए थे. इसके बावजूद ग्रामीण 4 से 5 किलोमीटर चलकर वोट डालने पहुंचे थे. बता दें कि माड़ पखांजुर में 70 प्रतिशत, कोडरुज में 71 .18 प्रतिशत, भैंस गांव में 77.91 प्रतिशत, बदरंगी में 79.88 प्रतिशत, गोड़पाल में 60 प्रतिशत, नागहूर में 70 प्रतिशत, धनेली में 68 प्रतिशत मतदान कर लोगों ने लोकतंत्र को मजबूत बनाया है.
15 किलोमीटर चलकर पहुंचे ग्रामीण
इसके अलावा सितरम में 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने पुलिस पार्टी पर हमला किया था. इस बार यहां का मतदान केंद्र 15 किलोमीटर दूर शिफ्ट किया गया था. उसके बाद भी यहां 44 लोग मतदान करने पहुंचे थे. वहीं मातलाबा गांव का मतदान केंद्र भी 12 किलोमीटर दूर शिफ्ट किया गया था. यहां भी 12 प्रतिशत प्रतिशत हुआ.