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खंभा की ढाई परिक्रमा के साथ हुई कांकेर मेले की शुरुआत

रियासतकाल से चले आ रहे कांकेर मेले की शुरुआत रविवार को हुई.यह मेला चार दिनों तक चलेगा.

Kanker fair begins from sunday
कांकेर मेले की शुरुआत
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Published : Jan 5, 2020, 10:01 PM IST

Updated : Jan 5, 2020, 11:50 PM IST

कांकेर : रियासतकाल से चले आ रहे कांकेर मेले की शुरुआत रविवार को खंभा की ढाई परिक्रमा के साथ हुई. चार दिन तक चलने वाले मेले का शुभारंभ देवी देवताओं की पूजा के साथ की गई.

कांकेर मेले की शुरुआत

कांकेर राजमहल में सबसे पहले शहर के शीतला मंदिरों के आंगा देव, छत्र, डांग की पूजा अर्चना की गई. जिसके बाद देवी-देवता के साथ शहर भ्रमण करते हुए राज परिवार के सदस्य मेला स्थल पहुंचे.

कांकेर मेला रियासतकाल से चला आ रहा है. इसका इतिहास इतना पुराना है कि बुजुर्ग भी इसकी शुरुआत के बारे में ठीक से नहीं बता पाते. माना जाता है कि रियासतकाल में खेती किसानी के बाद बाहर से व्यापारी सामान बेचने यहां पहुंचते थे और यहां के लोग इन व्यपारियों से खरीददारी किया करते थे. हर साल जनवरी माह के पहले रविवार को कांकेर मेले की शुरुवात होती है जो चार दिनों तक चलता है.

पढ़ें :कांकेर: कांग्रेस की सरोज ठाकुर बनीं नगर पालिका अध्यक्ष, भाजपा पार्षदों ने दिया साथ

वाहनों के रूट में किया गया बदलाव

शहर के बीच मेला लगने से भारी भीड़ होती है. इसके चलते भारी वाहनों का रूट बदला गया है. वाहनों को शहर के बाहर मिनी बाइपास से रवाना किया जा रहा है. भीड़ के चलते पुलिस विभाग ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं.

पढ़ें :कांकेरः 2 नगर पंचायत में खिला 'कमल', तो 2 में 'हाथ' पर लगी मुहर

'आज भी निभाई जा रही है परंपरा'

कांकेर के राजकुमार अश्वनी प्रताप देव ने बताया कि 'कांकेर मेला एक पुरानी परंपरा है जो कि आज भी निभाई जा रही है. रियासतकाल में इसकी शुरुआत हुई थी. देवी देवताओं के पूजा के साथ इसके शुरुआत की परंपरा रही है.

कांकेर : रियासतकाल से चले आ रहे कांकेर मेले की शुरुआत रविवार को खंभा की ढाई परिक्रमा के साथ हुई. चार दिन तक चलने वाले मेले का शुभारंभ देवी देवताओं की पूजा के साथ की गई.

कांकेर मेले की शुरुआत

कांकेर राजमहल में सबसे पहले शहर के शीतला मंदिरों के आंगा देव, छत्र, डांग की पूजा अर्चना की गई. जिसके बाद देवी-देवता के साथ शहर भ्रमण करते हुए राज परिवार के सदस्य मेला स्थल पहुंचे.

कांकेर मेला रियासतकाल से चला आ रहा है. इसका इतिहास इतना पुराना है कि बुजुर्ग भी इसकी शुरुआत के बारे में ठीक से नहीं बता पाते. माना जाता है कि रियासतकाल में खेती किसानी के बाद बाहर से व्यापारी सामान बेचने यहां पहुंचते थे और यहां के लोग इन व्यपारियों से खरीददारी किया करते थे. हर साल जनवरी माह के पहले रविवार को कांकेर मेले की शुरुवात होती है जो चार दिनों तक चलता है.

पढ़ें :कांकेर: कांग्रेस की सरोज ठाकुर बनीं नगर पालिका अध्यक्ष, भाजपा पार्षदों ने दिया साथ

वाहनों के रूट में किया गया बदलाव

शहर के बीच मेला लगने से भारी भीड़ होती है. इसके चलते भारी वाहनों का रूट बदला गया है. वाहनों को शहर के बाहर मिनी बाइपास से रवाना किया जा रहा है. भीड़ के चलते पुलिस विभाग ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं.

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'आज भी निभाई जा रही है परंपरा'

कांकेर के राजकुमार अश्वनी प्रताप देव ने बताया कि 'कांकेर मेला एक पुरानी परंपरा है जो कि आज भी निभाई जा रही है. रियासतकाल में इसकी शुरुआत हुई थी. देवी देवताओं के पूजा के साथ इसके शुरुआत की परंपरा रही है.

Intro:कांकेर- रियासतकाल से चले आ रहे कांकेर मेला की शुरुवात आज मेलाभाठा मैदान में मेला खम्भा की ढाई परिक्रमा के साथ हो गई है, चार दिन तक चलने वाले कांकेर मेला की शुरुवात देवी देवताओं की पूजा के साथ विधिवत तरीके से की गई । इस दौरान कांकेर राजमहल में सबसे पहले शहर के शीतला मंदिरों के आंगा देव, छत्र, डांग की पूजा अर्चना की गई, जिसके बाद देवी देवता के साथ शहर भृमण करते हुए राज परिवार के सदस्य मेला स्थल पहुचे और मेला खम्भा की ढाई परिक्रमा कर मेला की शुरुवात की।


Body:कांकेर मेला रियासतकाल से चला आ रहा है, इसका इतिहास इतना पुराना है कि बुजुर्ग भी इसके शुरुवात के बारे में ठीक से नही बता पाते है, कहा जाता है कि पहले के समय मे खेती किसानी के बाद बाहर से व्यपारी सामान बेचने यहां पहुँचते थे और यहां के लोग इन व्यपारियो से खरीददारी किया करते थे, हर साल जनवरी माह के पहले रविवार को कांकेर मेले की शुरुवात होती है जो कि चार दिनों तक चलता है।

वाहनों के रूट में किया गया बदलाव
शहर के बीच मेला लगने से भारी भीड़ के चलते भारी वाहनों का रूट बदला गया है, वाहनों को शहर के बाहर मिनी बाईपास से रवाना किया जा रहा है। भीड़ के चलते पुलिस विभाग ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए है।


Conclusion:पुरानी परंपरा है कांकेर मेला
कांकेर के राजकुमार अश्वनी प्रताप देव ने बताया कि कांकेर मेला एक पुरानी परंपरा है जो कि आज भी निभाई जा रही है, उन्होंने बताया कि रियासतकाल में इसकी शुरुआत हुई थी, देवी देवताओ के पूजा के साथ इसकी शुरुआत की परंपरा रही है।

अश्वनी प्रताप देव राजकुमार कांकेर
Last Updated : Jan 5, 2020, 11:50 PM IST
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