कांकेर : रियासतकाल से चले आ रहे कांकेर मेले की शुरुआत रविवार को खंभा की ढाई परिक्रमा के साथ हुई. चार दिन तक चलने वाले मेले का शुभारंभ देवी देवताओं की पूजा के साथ की गई.
कांकेर राजमहल में सबसे पहले शहर के शीतला मंदिरों के आंगा देव, छत्र, डांग की पूजा अर्चना की गई. जिसके बाद देवी-देवता के साथ शहर भ्रमण करते हुए राज परिवार के सदस्य मेला स्थल पहुंचे.
कांकेर मेला रियासतकाल से चला आ रहा है. इसका इतिहास इतना पुराना है कि बुजुर्ग भी इसकी शुरुआत के बारे में ठीक से नहीं बता पाते. माना जाता है कि रियासतकाल में खेती किसानी के बाद बाहर से व्यापारी सामान बेचने यहां पहुंचते थे और यहां के लोग इन व्यपारियों से खरीददारी किया करते थे. हर साल जनवरी माह के पहले रविवार को कांकेर मेले की शुरुवात होती है जो चार दिनों तक चलता है.
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वाहनों के रूट में किया गया बदलाव
शहर के बीच मेला लगने से भारी भीड़ होती है. इसके चलते भारी वाहनों का रूट बदला गया है. वाहनों को शहर के बाहर मिनी बाइपास से रवाना किया जा रहा है. भीड़ के चलते पुलिस विभाग ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं.
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'आज भी निभाई जा रही है परंपरा'
कांकेर के राजकुमार अश्वनी प्रताप देव ने बताया कि 'कांकेर मेला एक पुरानी परंपरा है जो कि आज भी निभाई जा रही है. रियासतकाल में इसकी शुरुआत हुई थी. देवी देवताओं के पूजा के साथ इसके शुरुआत की परंपरा रही है.