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मासूमों से बाल मजदूरी करा रहे हैं सरकारी कर्मचारी, मौन है विभाग !

भानुप्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत साल्हे गांव में फड़ मुंशी द्वारा इस भीषण गर्मी में बाल मजदूरी करवाई जा रही है. यहां नाबालिग बच्चों से 8 रुपये के एवज में तेंदूपत्ता के 1000 पत्तों की गड्डियों को सुखाने व पलटने का काम लिया जा रहा है.

नाबालिगों से करवाई जा रही बाल मजदूरी
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Published : May 14, 2019, 6:29 PM IST

भानुप्रतापपुर: जिस उम्र में बच्चों के हाथों में खिलौने होने चाहिए, वहां उनसे इस भीषण गर्मी में बाल मजदूरी करवाई जा रही है. भानुप्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत साल्हे गांव में फड़ मुंशी फॉरेस्ट विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. यहां नाबालिग बच्चों से 8 रुपये के एवज में तेंदूपत्ता के 1000 पत्तों की गड्डियों को सुखाने व पलटने का काम लिया जा रहा है.

नाबालिगों से करवाई जा रही बाल मजदूरी

फड़ मुंशी ने रखा काम पर
बच्चों से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि फड़ मुंशी द्वारा उन्हें काम करने को कहा गया है और 1000 गड्डी पलटने पर 8 रुपए मजदूरी दिए जाने की बात की गई है. बच्चों ने बताया कि रोज 4 से 5 हजार गड्डियां पलटने के काम के एवज में 40 से 50 रुपये मजदूरी बनती है. लेकिन यह राशि भी उन्हें तत्काल नहीं दी जा रही है, यह रकम उन्हें बाद में मिलने की बात कही गई है.

बाल मजदूरी पर नियंत्रण में शासन फेल
बाल मजदूरी जैसे कार्यों को रोकने के लिए कई समितियां बनाई गई हैं लेकिन जो हालात देखने को मिल रहे हैं, उससे तो यही साबित होता है कि जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक में बाल मजदूरी पर नियंत्रण की शासन-प्रशासन की तमाम कोशिशें फेल हो रही हैं और मासूम बच्चे इस चिलचिलाती गर्मी में आज भी बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं.

भानुप्रतापपुर: जिस उम्र में बच्चों के हाथों में खिलौने होने चाहिए, वहां उनसे इस भीषण गर्मी में बाल मजदूरी करवाई जा रही है. भानुप्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत साल्हे गांव में फड़ मुंशी फॉरेस्ट विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. यहां नाबालिग बच्चों से 8 रुपये के एवज में तेंदूपत्ता के 1000 पत्तों की गड्डियों को सुखाने व पलटने का काम लिया जा रहा है.

नाबालिगों से करवाई जा रही बाल मजदूरी

फड़ मुंशी ने रखा काम पर
बच्चों से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि फड़ मुंशी द्वारा उन्हें काम करने को कहा गया है और 1000 गड्डी पलटने पर 8 रुपए मजदूरी दिए जाने की बात की गई है. बच्चों ने बताया कि रोज 4 से 5 हजार गड्डियां पलटने के काम के एवज में 40 से 50 रुपये मजदूरी बनती है. लेकिन यह राशि भी उन्हें तत्काल नहीं दी जा रही है, यह रकम उन्हें बाद में मिलने की बात कही गई है.

बाल मजदूरी पर नियंत्रण में शासन फेल
बाल मजदूरी जैसे कार्यों को रोकने के लिए कई समितियां बनाई गई हैं लेकिन जो हालात देखने को मिल रहे हैं, उससे तो यही साबित होता है कि जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक में बाल मजदूरी पर नियंत्रण की शासन-प्रशासन की तमाम कोशिशें फेल हो रही हैं और मासूम बच्चे इस चिलचिलाती गर्मी में आज भी बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं.

Intro:Body:नाबालिग बच्चों से रोजी मजदूरी करा रही फॉरेस्ट विभाग।

इन दिनों तेंदूपत्ता तोड़ने का काम क्षेत्र में जोरों से चल रहा है परंतु एक ओर नाबालिग बच्चों से मजदूरी का काम लिया जा रहा है, फॉरेस्ट विभाग नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रही है भानुप्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत ग्राम साल्हे टेकाढोडा क्रमांक 2 में फड़ मुंशी के द्वारा बच्चों से मजदूरी लिया जा रहा है वहीं बच्चों द्वारा 1000 पत्तों की गड्डियां को सुलाने व पलटने पर बच्चों को ₹8 की मजदूरी भी दी जानी है वही क्षेत्र में बच्चे चिलमिलाते धूप में दिन भर काम करते नजर आए।

वहीं बच्चों से हम ने पूछा कि तुम्हें काम पर किसने रखा है तो बच्चों ने बताया कि फड़ मुंशी द्वारा हमें काम करने को कहा गया है और 1000 गड्डी पलटने पर ₹8 रुपए हमें दिए जाएंगे ।



वहीं नाबालिग बच्चों को मजदूरी कराने पर शासन प्रशासन द्वारा कई समितियां गठित की गई है परंतु शासन-प्रशासन के बाल मजदूर नियंत्रण फेल खाती नजर आ रही हैं।

बाईट: नाबालिग बच्चेConclusion:
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