कांकेर: 12 मार्च को नक्सलियों के मुख्यालय अबूझमाड़ से राजधानी रायपुर तक 222 किमी पैदल दांडी यात्रा-2 की शुरुआत की गई है. यह यात्रा सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत कर समस्या का समाधान निकालने के लिए शुरू की गई है. बुधवार को यात्रा उत्तर बस्तर कांकेर के उप तहसील कोरर पहुंची थी. इसी बीच नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के नक्सली प्रवक्ता अभय की प्रेस विज्ञप्ति सामने आई है. जिसमें नक्सलियों ने वार्ता के लिए सरकार के सामने तीन शर्त रखी है.
- सशस्त्र सुरक्षा बलों को हटाया जाए
- नक्सली संघठनो लगाए गए प्रतिबंध हटाया जाए
- जेलों में कैद नक्सली नेताओं को निशर्त रिहा किया जाए
नक्सलियों की प्रेस विज्ञप्ति सामने आने के बाद दांडी मार्च 2 का नेतृत्व कर रहे समाजिक कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी से ETV भारत ने बातचीत की है. उन्होंने कहा कि बस्तर की जनता चाहती है कि दोनों पक्ष बातचीत से समस्या का हल निकलें. ये खुशी की बात है कि नक्सली वार्ता के किए तैयार हैं. अब सरकार को कदम बढ़ाने की जरूरत है.
बीजापुर: तीन शर्तों पर सरकार के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार नक्सली
दोनों पक्ष बातचीत के टेबल पर आएं- शुभ्रांशु चौधरी
शुभ्रांशु चौधरी सरकार से अनुरोध करना चाहते हैं कि लचीला रास्ता अपनाएं. कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि नक्सलियों से बातचीत कर नक्सल समस्या का हल निकाला जाएगा. ऐसे में दोनों ओर से पहल की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 40 सालों से हिंसा चल रही है. बातचीत के लिए इससे बेहतर समय न कभी था और न कभी होगा. दोनों पक्ष सामने आए और बातचीत शुरू करें. कोई रास्ता निकाल कर जनता की मांग को भी पूरा करें.
लंबे समय बाद शांति की ओर बढ़ सकता है बस्तर
शुभ्रांशु चौधरी ने बातचीत के दौरान कहा कि नक्सलियों की ओर से वार्ता को लेकर सकारात्मक संदेश मिल रहा है. अगर सरकार भी थोड़ा झुके और दोनों ही पक्ष बातचीत को तैयार हो जाएं तो बस्तर लंबे समय बाद शांति की ओर बढ़ सकता है. अगर अभी शांति वार्ता की ओर नहीं बढ़े तो लग रहा है कि, बस्तर में अफगानिस्तान की तरह गैंगवार जैसे हालात पैदा हो जाएंगे. इसी डर को खत्म करने को लेकर आज हम पैदल दांडी यात्रा के लिए निकले हैं.
पुलिस को मिली सफलता: टिफिन बम के साथ 5 नक्सली गिरफ्तार
बातचीत में गलतियों को न दोहराया जाए
शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि किसी भी पक्ष में इससे पहले जो बातचीत में गलतियां हुई है. उसे न दोहराया जाए. दोनों पक्ष को इसके लिए झुकना होगा. ताकि बस्तर में शांति बहाल की जा सके. नक्सलियों और सरकार दोनों को इसके लिए बातचीत कर हल निकालना होगा.
अब देखना होगा कि इस शांति यात्रा के बाद नक्सलियों की शर्तों पर सरकार का क्या रुख रहता है. बस्तर के अबूझमाड़ से निकली इस शांति यात्रा के बीच एक बार फिर नक्सलियों ने बातचीत के दरवाजे खोल दिए हैं. इस ओर सरकार के कदम पर सभी की निगाह टिकी हुई है.