कांकेर: बस्तर में कुपोषण एक अभिशाप की तरह है. बस्तर में कुपोषण के मामले किसी से छुपे भी नहीं है. शासन-प्रशासन लगातार कुपोषण कम करने के लिए योजनाएं संचालित कर रही है. बस्तर के बीहड़ों में ग्रामीण सरकार के साथ मिलकर कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने कुपोषण दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान संचालित की है. अब इस योजना को और कारगर बनाने के लिए सुपोषण दूत अहम भूमिका अदा कर रहे हैं. (mukhyamantri suposhan abhiyan )
क्या करते हैं सुपोषण दूत ?
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत अब सुपोषण दूत घरों में जाकर गर्भवती माता और कुपोषित बच्चों को रागी का हलवा और कोदो की खिचड़ी खिला रही हैं. उत्तर बस्तर (कांकेर) में 1 जुलाई से सुपोषण अभियान के तहत सुपोषण दूत घर-घर जा कर गरम पौष्टिक भोजन गर्भवती महिला और बच्चों को उपलब्ध करा रहे हैं. ETV भारत ने कांकेर के ग्रामीण इलाकों में सुपोषण अभियान का जायजा लिया है.(kanker suposhan abhiyan) ETV भारत की टीम ने सुपोषण दूत, महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी और ग्रामीणों से बात की है.
कुपोषण की दर में कमी के प्रयास जारी
महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी सीके मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत जिले के गंभीर और मध्यम कुपोषित बच्चों के साथ गर्भवती महिलाओं को सुपोषण दूत घर-घर जाकर रागी का हलवा और कोदी की पौष्टिक खिचड़ी खिला रहे हैं. जिले के सभी बाल विकास परियोजना के चयनित पर्यवेक्षक, 950 आंगनबाड़ी केंद्रों के अंतर्गत कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं को लाभ पहुंचा रहे हैं. अभियान का मुख्य उद्देश्य कुपोषित बच्चों के कुपोषण की दर में कमी लाना है.
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पौष्टिक भोजन से दूर होगी कुपोषण की समस्या
ईटीवी भारत को सुपोषण दूत गमेन्द्री यादव से बताया कि उन्हें प्रतिदिन 50 रुपए मिलता है. आंगनबाड़ी में रागी का हलवा और कोदो की खिचड़ी बनाई जाती है. उसके बाद उसे शाम तक हितग्राहियों के घरों तक पहुंचाया जाता है. सुपोषण दूत अपने सामने ही बच्चों और महिलओं को पूरा खाना खिलाते हैं. हर घर में रुककर पूरा खाना खिलाकर वहां से दूसरे घर में जाते हैं. गमेन्द्री यादव सिंगारभाठ गांव के आंगनबाड़ी केंद्र की सुपोषण दूत हैं. फिलहाल यहां 9 गर्भवती माताओं को रोजना शाम को पौष्टिक भोजन कराया जाता है.
कोदो-कुटकी-रागी है पौष्टिक आहार
गांव की एक महिला ने बताया कि रोज शाम को सुपोषण दूत आते हैं. बच्चो को पौष्टिक भोजन खिलाते हैं. पहले बच्चा कमजोर था. अब धीरे-धीरे उसकी हालत में सुधार देखने को मिल रहा है. बस्तर में पहले कोदो कुटकी के अलावा रागी का हलवा खाया जाता था. जो समय के साथ विलुप्त होने के कगार पर है. इसमें भरपूर विटामिन की मात्रा मौजूद होती है. सुपोषण दूत हर रोज पौष्टिक भोजन बनाकर घर-घर पहुंचाने का काम कर रही हैं.
आंकड़ों पर डालें एक नजर
उत्तर बस्तर कांकेर में कुपोषण की बात करें तो फरवरी 2019 में 14 हजार 400 कुपोषित बच्चे थे. लेकिन फिलहाल ये आंकड़ा घट रहा है. वर्तमान में 7 हजार 2 सौ के आस-पास बच्चों में कुपोषण पाया गया है. जिले में12 प्रतिशत तक कुपोषण दर में कमी आई है. जिले में एनीमिक महिला (खून की कमी) 8149 थी. जिनकी संख्या फिलहाल घटकर 850 हो गई है. जिले में 90 प्रतिशत तक कमी आई है. बता दें कि कांकेर में 2139 आंगनबाड़ी केंद्र हैं.
भूपेश सरकार कर रही प्रयास
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही कांग्रेस सरकार ने 2 अक्टूबर 2018 से सुपोषण अभियान की शुरुआत बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले से की थी. अब यह अभियान संभाग के पूरे सातों जिलों में चलाया जा रहा है. बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में महुआ के बने लड्डू भी दिए गए. ऐसे ही पोषण आहार में अन्य पौष्टिक खाद्य लगातार शामिल किए जा रहे हैं.
कारगर साबित हो रहा सुपोषण अभियान
बस्तर में 2 अक्टूबर 2018 से शुरू किया गया सुपोषण अभियान काफी कारगर साबित हो रहा है. दरअसल पहले विभाग की ओर से विभिन्न योजनाएं जरूर चलाई जाती थी और गर्भवती महिलाओं को रेडी-टू-ईट खाना दिया जाता था, लेकिन इस सुपोषण अभियान के तहत पोषण आहार में कई खाने पीने की वस्तुओं को शामिल किया गया है. जिससे कि अब बच्चे तेजी से ग्रोथ कर रहे हैं और कुपोषण की दर भी अब कम हो रही है.