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कांकेर में गूंजा सिलगेर मुद्दा, हजारों आदिवासियों ने घेरा विधायक मनोज मंडावी का निवास - Opposition to the creation of CRPF camp

सिलगेर मुद्दे पर कार्रवाई और पेसा कानून लागू करने की मांग को लेकर गोंडवाना समन्वय समिति ने विधायक मनोज मंडावी के निवास का घेराव किया है. (mla manoj mandavi residence) आदिवासी समाज सिगलेर मामले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर पीड़ितों को जल्द उचित मुआवजा दिए जाने की मांग कर रहा है.

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कांकेर में गूंजा सिलगेर मुद्दा
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Published : Jun 19, 2021, 10:31 PM IST

कांकेर: सिलगेर का मुद्दा अभी शांत नहीं हुआ है. आदिवासी समाज आसानी से इस मुद्दे को भुलाने के मूड में नजर नहीं है. चारामा ब्लॉक में गोंडवाना समन्वय समिति के बैनर तले हजारों आदिवासियों ने सभा कर रैली निकालते हुए विधायक निवास का घेराव किया है. आदिवासी समाज की मांग है कि सिगलेर मामले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर पीड़ितों को जल्द उचित मुआवजा दिया जाए.

कांकेर में गूंजा सिलगेर मुद्दा

बता दें विधायक मनोज मंडावी का निवास घेरने निकले आदिवासियों को पुलिस ने बैरिकेडिंग के जरिए रोकने की कोशिश की है. लेकिन बैरिकेड्स तोड़कर आदिवासी आगे बढ़ गए. उन्होंने तय रणनीति के तहत विधायक निवास का घेराव किया. मुख्यमंत्री का शिलान्यास-लोकार्पण कार्यक्रम जिला मुख्यालय में होने की वजह से विधायक अपने निवास में मौजूद नहीं थे. इस दौरान आदिवासियों ने साफ कर दिया है कि सिलगेर मामले को आसानी से जाने नहीं दिया जाएगा.

Gondwana Coordination Committee Protest
बैरिकेडिंग तोड़ते आदिवासी

सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर 28 दिनों से जारी सिलगेर आंदोलन खत्म

आगे भी होंगे प्रदर्शन

आदिवासी समाज के पदाधिकारी सूरजु टेकाम ने कहा कि पेसा कानून, वन अधिकार लागू करने की मांग सहित सिलगेर में हुए सुरक्षाबलों की कार्रवाई के विरोध में आज हजारों आदिवासियों ने प्रदर्शन किया है. यह चारामा से शुरू हो रहा है. आगे हर विधानसभा में आदिवासी समाज विधायक और सांसद निवास का घेराव करेगी.

महिला पुलिसकर्मियों और प्रदर्शनकारियों को आई हल्की चोट

सभा स्थल से विधायक निवास घेरने निकले आदिवासियों को पुलिस ने बैरिकेड के जरिए रोकने की कोशिश की. बैरिकेड तोड़ने के दौरान पुलिस और विरोध प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों के बीच झूमा-झटकी हुई. इस दौरान प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ने में सफल रहे. इस दौरान हाथापाई में कुछ महिला पुलिसकर्मी को चोट लगी है

'पेसा कानून के रहते बोधघाट परियोजना का बनना मुश्किल'

आदिवासी समाज में असंतोष क्यों?

सर्व आदिवासी समाज में सिलगेर सहित पेसा कानून के सही क्रियान्वयन नहीं होने से गुस्सा है. इसके अलावा और भी अनेक मुद्दे हैं जिनसे समाज में असंतोष का माहौल है. इन मसलों पर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए 19 जुलाई से तीन चरणों में महाआंदोलन करने पर सहमति बनी है. इसके अलावा बैठक में जयस्तंभ चौक पर शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा लगाने की मांग रखी गई है. समाज की बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ महिलाएं और युवा भी बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं.

पेसा कानून: 'हमारे पुरखों की संपत्ति से बेदखल किया जा रहा'

क्या है सिलगेर का मामला?

सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध कर रहे थे. इस विरोध प्रदर्शन में सिलगेर गांव के साथ ही आसपास के कई गांव के ग्रामीण जुटे हुए थे. इसी दौरान सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 3 लोगों की मौत हुई. आदिवासी ग्रमीण उन्हें समान्य नागरिक और अपना साथी बता रहे थे. वहीं सुरक्षाबल उन्हें नक्सली कह रहे थे. ग्रामीणों का कहना था कि एक गर्भवती महिला की मौत भी भगदड़ मचने से हुई है. सुरक्षा बल के दबाव के बावजूद यहां से ग्रामीण हटने का नाम नहीं ले रहे थे. पुलिस महकमे के अधिकारियों का दावा है कि नक्सलियों के उकसावे में ये ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे थे. इस मामले में भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी समिति गठित की थी. इस मामले में सरकार द्वारा अलग कमेटी बनाई गई थी. कांग्रेस जांच समिति के साथ बैठक में गांववालों ने अपनी 7 मांगे सौंपी थी. 9 जून को 28 दिनों से चल रहा सिलगेर आंदोलन खत्म हो गया था.

कांकेर: सिलगेर का मुद्दा अभी शांत नहीं हुआ है. आदिवासी समाज आसानी से इस मुद्दे को भुलाने के मूड में नजर नहीं है. चारामा ब्लॉक में गोंडवाना समन्वय समिति के बैनर तले हजारों आदिवासियों ने सभा कर रैली निकालते हुए विधायक निवास का घेराव किया है. आदिवासी समाज की मांग है कि सिगलेर मामले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर पीड़ितों को जल्द उचित मुआवजा दिया जाए.

कांकेर में गूंजा सिलगेर मुद्दा

बता दें विधायक मनोज मंडावी का निवास घेरने निकले आदिवासियों को पुलिस ने बैरिकेडिंग के जरिए रोकने की कोशिश की है. लेकिन बैरिकेड्स तोड़कर आदिवासी आगे बढ़ गए. उन्होंने तय रणनीति के तहत विधायक निवास का घेराव किया. मुख्यमंत्री का शिलान्यास-लोकार्पण कार्यक्रम जिला मुख्यालय में होने की वजह से विधायक अपने निवास में मौजूद नहीं थे. इस दौरान आदिवासियों ने साफ कर दिया है कि सिलगेर मामले को आसानी से जाने नहीं दिया जाएगा.

Gondwana Coordination Committee Protest
बैरिकेडिंग तोड़ते आदिवासी

सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर 28 दिनों से जारी सिलगेर आंदोलन खत्म

आगे भी होंगे प्रदर्शन

आदिवासी समाज के पदाधिकारी सूरजु टेकाम ने कहा कि पेसा कानून, वन अधिकार लागू करने की मांग सहित सिलगेर में हुए सुरक्षाबलों की कार्रवाई के विरोध में आज हजारों आदिवासियों ने प्रदर्शन किया है. यह चारामा से शुरू हो रहा है. आगे हर विधानसभा में आदिवासी समाज विधायक और सांसद निवास का घेराव करेगी.

महिला पुलिसकर्मियों और प्रदर्शनकारियों को आई हल्की चोट

सभा स्थल से विधायक निवास घेरने निकले आदिवासियों को पुलिस ने बैरिकेड के जरिए रोकने की कोशिश की. बैरिकेड तोड़ने के दौरान पुलिस और विरोध प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों के बीच झूमा-झटकी हुई. इस दौरान प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ने में सफल रहे. इस दौरान हाथापाई में कुछ महिला पुलिसकर्मी को चोट लगी है

'पेसा कानून के रहते बोधघाट परियोजना का बनना मुश्किल'

आदिवासी समाज में असंतोष क्यों?

सर्व आदिवासी समाज में सिलगेर सहित पेसा कानून के सही क्रियान्वयन नहीं होने से गुस्सा है. इसके अलावा और भी अनेक मुद्दे हैं जिनसे समाज में असंतोष का माहौल है. इन मसलों पर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए 19 जुलाई से तीन चरणों में महाआंदोलन करने पर सहमति बनी है. इसके अलावा बैठक में जयस्तंभ चौक पर शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा लगाने की मांग रखी गई है. समाज की बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ महिलाएं और युवा भी बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं.

पेसा कानून: 'हमारे पुरखों की संपत्ति से बेदखल किया जा रहा'

क्या है सिलगेर का मामला?

सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध कर रहे थे. इस विरोध प्रदर्शन में सिलगेर गांव के साथ ही आसपास के कई गांव के ग्रामीण जुटे हुए थे. इसी दौरान सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 3 लोगों की मौत हुई. आदिवासी ग्रमीण उन्हें समान्य नागरिक और अपना साथी बता रहे थे. वहीं सुरक्षाबल उन्हें नक्सली कह रहे थे. ग्रामीणों का कहना था कि एक गर्भवती महिला की मौत भी भगदड़ मचने से हुई है. सुरक्षा बल के दबाव के बावजूद यहां से ग्रामीण हटने का नाम नहीं ले रहे थे. पुलिस महकमे के अधिकारियों का दावा है कि नक्सलियों के उकसावे में ये ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे थे. इस मामले में भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी समिति गठित की थी. इस मामले में सरकार द्वारा अलग कमेटी बनाई गई थी. कांग्रेस जांच समिति के साथ बैठक में गांववालों ने अपनी 7 मांगे सौंपी थी. 9 जून को 28 दिनों से चल रहा सिलगेर आंदोलन खत्म हो गया था.

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