कांकेर : कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा थाना अंतर्गत हूरतराई में तेंदूपत्ता के बोरियों में भीषण आग लग गई. जिससे तेंदूपत्ता से भरी करीब 500 बोरियां राख हो गईं. इस घटना के बाद आसपास के क्षेत्र में नक्सल वारदात की अफवाह तेजी से फैली. लेकिन पुलिस जब मौके पर पहुंची तो इसे नक्सल घटना से जोड़कर नहीं देखा.पुलिस के मुताबिक आग नक्सलियों ने नहीं बल्कि असामाजिक तत्वों की करतूत (Fear of Naxalite incident ) है. वहीं घटना जिस जगह पर हुई है वहां पर कई तरह के बैनर और पोस्टर बरामद होने की भी सूचना है.
किसने लगाई है आग : पुलिस ने आग लगने के बाद मौके का मुआयना किया. इस दौरान कई तरह के बैनर पोस्टर पुलिस को मिले हैं.लेकिन पुलिस की माने तो इस घटना के पीछ नक्सलियों का हाथ नहीं है. असामाजिक तत्वों ने नक्सलियों की आड़ में वारदात को अंजाम दिया है.
कब हुई घटना : सुदूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र कोयलीबेड़ा थाना अंतर्गत हूरतराई में आधी रात 2 से 3 बजे के बीच 500 से अधिक तेंदूपत्ता के बोरी में आग लग (Fierce fire in Tendupatta sacks) गई. सुदूर क्षेत्र होने के कारण तेंदूपत्ता की बोरियां जल गई. दो दिन में तेंदूपत्ता के बोरियों में आग लगने की यह दूसरी घटना है. बुधवार को भी अंतागढ़ के टेमरूपानी गांव में तेंदूपत्ता के बोरियों आगजनी की घटना हुई थी. जहां 300 से ज्यादा बोरियां जलकर राख हो गईं थीं.
तेंदूपत्ता का नक्सली कनेक्शन: हर साल माओवादी संगठन बस्तर से हरे सोने यानी तेंदूपत्ता के जरिए होने वाली अवैध वसूली से करोड़ों रुपए की लेवी वसूलते (
Tendupatta Naxalite connection) हैं. इस लेवी के सहारे पूरे देश का नेटवर्क माओवादी संगठन चलाते हैं. तेंदूपत्ता के सीजन में माओवादियों को आथिर्क फायदा पहुंचाने का बस्तर सबसे बड़ा केंद्र है. तीन दशकों से माओवादियों की ये वसूली जारी है, लेकिन अब तक इस पर रोक लगाने में पुलिस या सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
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छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता है हरा सोना : छत्तीसगढ़ के बस्तर में गर्मी का मौसम आते ही हरे सोना (Tendu leaves are green gold in Chhattisgarh) की पैदावार शुरू हो जाती है. जिससे बस्तर के आदिवासियों की अच्छी खासी आमदनी भी होती है. साथ ही राज्य सरकार को भी करोड़ों रुपए का मुनाफा होता है.तेंदूपत्ता की तुड़ाई से ग्रामीणों को अच्छी खासी कमाई होने के साथ बोनस भी मिलता है, साथ ही राज्य सरकार भी तेंदूपत्ता खरीदी के लिए टेंडर निकालती है . दक्षिण भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से पहुंचने वाले ठेकेदार इसे खरीदते हैं.