कांकेर : आषाढ़ का महीना बीतने को है लेकिन मानसून(Monsoon in Kanker) की दगाबाजी ने किसानों को संकट में डाल दिया है. बारिश(rain in kanker) के अभाव में धान के पौधे पीले पड़ने लगे हैं. वहीं कुछ जगह पर किसान अभी तक धान की बुवाई(paddy sowing) नहीं कर पा रहे हैं. जिन किसानों की धान की नर्सरी तैयार हो गई है वह रोपाई के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं.
समय से पूर्व मानसून की दस्तक से किसानों में खुशी थी, लेकिन आषाढ़ का महीना आरंभ होते ही मानसून रूठ गया है. कांकेर, चारामा, नरहरपुर ब्लॉक में बहुत कम बारिश हो रही है. आसमान में बादल तो छाते हैं, लेकिन बिना बारिश के ही लौट जाते हैं. बारिश नहीं होने से किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. धान रोपाई का काम भी प्रभावित हो रहा है. 17 जुलाई को दुर्गुकोंडल में 1 मिलीमीटर तो पखांजूर में 2.4 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई थी.
छत्तीसगढ़ में 20 जुलाई से बारिश की संभावना
किसान राम रतन शोरी ने बताया कि बारिश नहीं होने से खेतों में पानी नहीं है. इस कारण रोपा लगाने का काम अटक गया है. दूसरी तरफ जोता बोवाई वाले खेतों में पानी नहीं होने के कारण बन (खरपतवार) तेजी से उग रहे हैं. कीटनाशक का छिड़काव तो कर दिया गया है, लेकिन अच्छी बारिश के इंतजार में किसान परेशान हो रहे हैं.
रोपाई प्रभावित
बारिश थमने के कारण कुछ स्थानों पर किसानों की फसलें खराब होने लगी है. यही हाल रहा तो जिले के अधिकांश किसान अपनी फसल से हाथ धो बैठेंगे. धान का नर्सरी तैयार कर चुके किसानों को अब बेसब्री से बारिश का इंतजार बना हुआ है. मानसून ने शुरुआत में जमकर राहत पहुंचाई थी. जिले में कुछ स्थानों पर हुई प्री मानसून की बारिश ने किसानों को खेती के अनुकूल पानी दे दिया था.
शुरुआत में हुई जोरदार बारिश के बाद किसानों ने अपने खेतों का रुख कर लिया था. अब बारिश ना होने के कारण उन क्षेत्रों में फसलों को ज्यादा नुकसान हो रहा है जहां पर शुरुआती दौर में ही कम बारिश हुई है. कृषि अधिकारी नरेंद्र नागेश ने बताया कि जिले में 40% किसानों ने धान की बुवाई कर ली है, लेकिन अब बारिश ना होने से रोपाई का कार्य प्रभावित हो रहा है.