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कोरोना संकट, धान खरीदी में देरी और अब मौसम की मार ने किसानों को बनाया लाचार

कांकेर के किसान आधे रेट पर धान बेचने को मजबूर हो गए हैं. पहले कोरोना संकट फिर मौसम की मार और अब धान खरीदी में देरी ने किसान की हालत बद से बदतर कर दिया है. लगातार आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान अब खुले बाजार में औने-पौने दाम पर अपना धान बेचने को मजबूर हैं.

farmers of Kanker
किसान परेशान
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Published : Nov 12, 2020, 8:16 PM IST

Updated : Nov 16, 2020, 10:05 PM IST

कांकेर/पखांजूर: छत्तीसगढ़ में हो रही धान खरीदी में देरी से किसान परेशान हैं. कांकेर के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. सरकारी की बेरूखी और घर की जरूरतों की मजबूरी में किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य के आधे रेट यानी 1250 रुपये में बेचने को मजबूर हो गए हैं.

औने-पौने दाम पर धान बेचने को मजबूर किसान

परलकोट क्षेत्र में धान की फसल की कटाई अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही शुरू हो जाती है. यहां के किसान फसल की कटाई होते ही तत्काल खेत में मक्के की फसल लगाते हैं. ताकि समय पर ही फसल की कटाई की जा सके. इस बार कोरोना संकट के कारण किसानों ने किसी तरह फसल तैयार की और धान खरीदी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन धान खरीदी का समय नवंबर से बढ़ा कर 1 दिसंबर कर दिया गया. जिसके कारण अब किसान आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. अगली फसल के लिए उनके पास पैसे नहीं है. जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

farmers of Kanker
किसान

पढ़ें-SPECIAL: 'आधी' हुई अन्नदाता की खुशी, मजबूरी में मंडी में बेच रहे धान

मौसम में बदलाव से भी किसान परेशान

किसान दूसरी फसल लगाने के लिए व्यापारियों के पास आधे रेट में धान की फसल बेच रहे हैं. जिसकी वजह से किसानों को 50 फीसदी तक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि मक्के की फसल की तैयारी धान की फसल से मिले रुपये से करते थे, लेकिन धान खरीदी में हो रही लेटलतीफी के कारण उन्हें खुले बाजार में धान बेचना पड़ रहा है. मौसम की वजह से भी लोगों में डर है. आसमान में बादल मंडरा रहे हैं और किसानों की धान की फसल खुले में आंगन और खलिहान में पड़ी हुई है. वहीं अबतक क्षेत्र की सहकारिता समितियां धान खरीदी केंद्र के संचालकों की भी नियुक्ति नहीं कर पाई है. इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें छाई है.

farmers of Kanker
मक्के की फसल की तैयारी

कांकेर/पखांजूर: छत्तीसगढ़ में हो रही धान खरीदी में देरी से किसान परेशान हैं. कांकेर के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. सरकारी की बेरूखी और घर की जरूरतों की मजबूरी में किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य के आधे रेट यानी 1250 रुपये में बेचने को मजबूर हो गए हैं.

औने-पौने दाम पर धान बेचने को मजबूर किसान

परलकोट क्षेत्र में धान की फसल की कटाई अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही शुरू हो जाती है. यहां के किसान फसल की कटाई होते ही तत्काल खेत में मक्के की फसल लगाते हैं. ताकि समय पर ही फसल की कटाई की जा सके. इस बार कोरोना संकट के कारण किसानों ने किसी तरह फसल तैयार की और धान खरीदी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन धान खरीदी का समय नवंबर से बढ़ा कर 1 दिसंबर कर दिया गया. जिसके कारण अब किसान आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. अगली फसल के लिए उनके पास पैसे नहीं है. जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

farmers of Kanker
किसान

पढ़ें-SPECIAL: 'आधी' हुई अन्नदाता की खुशी, मजबूरी में मंडी में बेच रहे धान

मौसम में बदलाव से भी किसान परेशान

किसान दूसरी फसल लगाने के लिए व्यापारियों के पास आधे रेट में धान की फसल बेच रहे हैं. जिसकी वजह से किसानों को 50 फीसदी तक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि मक्के की फसल की तैयारी धान की फसल से मिले रुपये से करते थे, लेकिन धान खरीदी में हो रही लेटलतीफी के कारण उन्हें खुले बाजार में धान बेचना पड़ रहा है. मौसम की वजह से भी लोगों में डर है. आसमान में बादल मंडरा रहे हैं और किसानों की धान की फसल खुले में आंगन और खलिहान में पड़ी हुई है. वहीं अबतक क्षेत्र की सहकारिता समितियां धान खरीदी केंद्र के संचालकों की भी नियुक्ति नहीं कर पाई है. इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें छाई है.

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मक्के की फसल की तैयारी
Last Updated : Nov 16, 2020, 10:05 PM IST
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