कांकेर: एक तरफ लोग कोरोना के मरीजों के पास नहीं आना चाहते, तो दूसरी तरफ संजीवनी 108 के कर्मचारी अपनी जान की परवाह किए बिना इन संक्रमितों को बिना देर अस्पताल पहुंचाने में लगे हैं. कोरोना मरीजों से सबसे पहला सामना अगर किसी का हो रहा है, तो वह हैं संजीवनी 108 एंबुलेंस के कर्मचारी. ये अपनी जान की परवाह किए बिना इन मरीजों के सारथी बन उन्हें कोविड 19 अस्पताल पहुंचा रहे हैं.
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कांकेर में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस के मामले
कोरोना ने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है. देश, प्रदेश में भी लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कांकेर जिले की बात करें, तो पिछले 3 दिनों में ही यहां 53 मामले सामने आ चुके हैं. कोरोना वायरस कितना खतरनाक है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस इलाके में ये बीमारी मिल रही है, वो पूरा इलाका ही सील कर दिया जा रहा है और मरीज को उसके परिवार तक से मिलने नहीं दिया जा रहा.
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ड्यूटी के प्रति ईमानदारी
कोरोना के मरीजों से हर कोई दूर भागता है, लेकिन संजीवनी के कर्मचारी अपनी जान की परवाह ना करते हए कोरोना मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए उन्हें अस्पताल पहुंचा रहे हैं. संजीवनी के कर्मचारी जिनकी ना तो रेगुलर नौकरी है और ना ही इतना ज्यादा वेतन कि उससे अपने परिवार का खर्च अच्छे से चला सकें, लेकिन फिर भी इनमें अपनी ड्यूटी के प्रति गजब की ईमानदारी है. महज 10 से 12 हजार की नौकरी करने वाले ये संजीवनी एंबुलेंस के कर्मचारी कोरोना संक्रमित की सूचना मिलते ही मौके के लिए रवाना हो जाते हैं और पूरी सुरक्षा के साथ उन्हें अस्पताल पहुंचाते हैं, ताकि उन्हें सही समय पर इलाज मिले और उनकी जिंदगी बचाई जा सके.
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खुद की सुरक्षा के लिए दी गई खास ट्रेनिंग
संजीवनी के कर्मचारियों को इस दौरान अपनी सुरक्षा का ध्यान रखने की विशेष ट्रेनिंग दी गई है. ये कर्मचारी भी पूरे किट से लैस होने के बाद ही कोरोना मरीजों के संपर्क में आते हैं, लेकिन फिर भी कोरोना के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि किट का प्रयोग करने वाले कई मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. ऐसे में संजीवनी के कर्मचारियों पर खतरा इसलिए भी ज्यादा होता है, क्योंकि वो सबसे पहले मरीज के संपर्क में आते हैं. इतने खतरों के बाद भी संजीवनी के कर्मचारी पूरी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाकर इस संकट काल में लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं. संजीवनी 108 के जिला प्रभारी असीम खान ने इस बारे में बताया कि संजीवनी के कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही कोरोना मरीजों के संपर्क में आ रहे हैं.
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जिले में 24 लोगों का स्टाफ कर रहा कोरोना में ड्यूटी
जिलेभर में संजीवनी 108 की कुल 6 गाड़ियां कोरोना ड्यूटी पर लगाई गई हैं. जिनका काम कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल लाना और मरीज के ठीक होने पर उन्हें वापस छोड़ना भी है. 6 गाड़ियों में कुल 24 लोगों का स्टाफ होता है. एक गाड़ी में एक चालक के साथ एक मेडिकल एक्सपर्ट होता है, जो कोरोना संक्रमित मरीज की खबर मिलते ही अपने वाहन के साथ मौके के लिए निकल पड़ते हैं.
जिले में अब तक 144 कोरोना संक्रमित
जिले में अब तक 144 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 87 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 57 लोगों का इलाज जारी है. बीते हफ्ते के पहले तक कोरोना मरीजों को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज, रायपुर कोविड अस्पताल रेफर किया जा रहा था. ऐसे में संजीवनी के कर्मचारियों को 4 से 5 घंटे कोरोना मरीजों के साथ रहना पड़ रहा था और उन्हें भरी गर्मी में भी किट पहनकर चलना पड़ता था. हालांकि अब जिले में कोविड अस्पताल शुरू हो चुका है, जो राहत की बात है.