कांकेर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्य में चार नए जिलों की घोषणा (Announcement of new districts) की. जिसके बाद कांकेर के भानुप्रतापपुर,अन्तागढ़,पखांजूर को जिला बनाने की मांग तेज हो गई है. जिला बनाने की मांग को लेकर जंहा अन्तागढ़ के निवासी 20 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. वहीं पखांजूर के निवासी भी सभा रैली निकाल कर जिला बनाने की मांग कर रहे है. भानुप्रतापपुर के निवासी भी पीछे नहीं है. अपने क्षेत्र को जिला बनाने भानुप्रतापपुर के लोग भी रैली धरना कर रहे हैं. सभी ब्लॉक के निवासियों का अपना अलग तर्क है वहीं इन सब से हट कर कोयलीबेड़ा के 18 पंचायत के निवासी कोयलीबेड़ा को नारायणपुर जिले में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
अन्तागढ़ को जिला बनाने के लिए आंदोलन
ईटीवी भारत की टीम ने अंतागढ़ (Antagarh) में जिले बनाने की मांग पर अड़े लोगों से बात की. यहां करीब 5000 से अधिक आदिवासी ग्रामीण अंतागढ़ में महारैली का आयोजन कर अंतागढ़ को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि बीते 10 साल से अंतागढ़ (Antagarh for 10 years) को जिला बनाने की मांग की जा रही थी. आपको बता दें कि सन 1910 से अंतागढ़ तहसील है. इसको जिला नहीं बनाया गया है. आदिवासियों ने कई बार राज्यपाल (Governor) और सीएम (CM) से अंतागढ़ को जिला बनाने की मांग की लेकिन उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया. अंतागढ़ को जिला नहीं बनाने की सूरत में यहां के निवासियों ने आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है. आपको बता दें कि अन्तागढ़ क्षेत्र अंतर्गत रावघाट , मेटाबोदली , कच्चे ,हाहा लद्दी ,चेमल और मोनेट माइंस संचालित हैं.
पखांजूर में भी नए जिले के लिए जंग तेज
केंद्र सरकार ने 12 सितंबर 1958 को एक प्रस्ताव पारित किया था. जिसके तहत पूर्वी पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों को तत्कालीन मध्यप्रदेश के बस्तर और ओडिशा के मलकानगिरि में बसाने के लिए 'दंडकारण्य परियोजना' को मंजूरी दी थी. इसी परियोजना के तहत पखांजूर (pakhanjoor) के 295 गांव में से 133 इन बांग्लादेशी शरणार्थियों के लिए बसाए गए थे. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की कुल 1.71 लाख की आबादी में से एक लाख लोग बांग्ला बोलते हैं. जिला बनाने की मांग को लेकर यहां के निवासी भी आंदोलन कर रहे हैं. कांग्रेस नेता अभिजीत भट्टाचार्य (Abhijit Bhattacharya) ने कहा कि पखांजूर में जिले लायक सभी सुविधाएं हैं. इसलिए इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए. बीजेपी नेता असीम राय (BJP leader Aseem Rai) ने भी पखांजूर को जिला बनाने की मांग की है.
भानुप्रतापपुर वासियों ने लगाया भेदभाव का आरोप
भानुप्रतापपुर (Bhanupratappur) के रहवासियों का कहना है कि लगातार क्षेत्र के साथ भेदभाव किया जा रहा. जिसके कारण यह क्षेत्र पिछड़ता जा रहा है. भानुप्रतापपुर सभी दृष्टिकोण से जिला बनने योग्य है. जिला बनाया जाना जनहित और भौगोलिक दृष्टि से सर्व उपयुक्त है. आसपास के क्षेत्रों से भानुप्रतापपुर समान दूरी पर है. रेल मार्ग होने के साथ-साथ राज्य मार्ग पर बसा हुआ है. साथ ही राष्ट्रीय राज्य मार्ग भी है. इसलिए भानुप्रतापपुर को भी जिला बनाया जाना चाहिए.
कोयलीबेड़ा को नारायणपुर में शामिल करने की मांग
आदिवासी बाहुल्य कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा (Koyalibeda) क्षेत्र के ग्रामीणों की मांग है कि इसे नारायणपुर जिले में शामिल किया जाए. कोयलीबेड़ा के 18 पंचायतों के 68 गांवों को नारायणपुर जिला (Narayanpur District) में शामिल किया जाए. क्योंकि कोयलीबेड़ा से कांकेर जिला मुख्यालय (Kanker District Headquarters) करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है. जबकि नारायणपुर जिला मुख्यालय की दूरी महज 65 किलोमीटर है. नारायणपुर जिले में शामिल होने से यहां के लोगों को जिला मुख्यालय आने जाने का खर्च कम पड़ेगा और समय की बचत होगी.
कांकेर जिले में है 7 तहसील
क्षेत्रफल की दृष्टि से कांकेर जिला काफी बड़ा है. यहां की आबादी लगभग 5,91,579 है. जिले में वर्तमान में कुल 7 तहसील हैं. जिनमें कांकेर, चारामा, नरहरपुर, दुर्गकोंदल, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़ और कोयलीबेड़ा (पखांजूर) शामिल हैं. इनमें कोयलीबेड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 102.7 किमी. की दूरी पर स्थित है. जबकि अंतागढ़ कांकेर से 75 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर है. भानुप्रतापपुर की दूरी 48.5 किलोमीटर है. यह तीनों तहसील कांकेर जिला मुख्यालय से काफी दूर है. जिला मुख्यालय जाने के लिए कोयलीबेड़ा के लोगों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
तीनों क्षेत्रों के लोग जिला बनाने की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर रहे हैं. अब आने वाला समय ही बताएगा कि कौन सा क्षेत्र जिला बनेगा. बरहाल तीनों क्षेत्रों के लोगों ने नए जिला बनाने की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है.