कांकेर: रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए चारामा विकासखंड के ग्राम बागडोंगरी में एक बेटी ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया. मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार की रस्मों को पूरा किया. बेटी ने ऐसा आदर्श पेश किया कि वह सबके लिए मिसाल बन गई. बेटा नहीं होने की वजह से पिता की अंतिम यात्रा में बेटियां शव को श्मशान घाट तक लेकर पहुंची. बेटे की कमी को दूर करते हुए बेटी ने ही पिता की चिता को मुखाग्नि भी दी.
रायपुर क्राइम ब्रांच में सब इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ तुलेश सिन्हा ने बताया कि उनके माता-पिता को कोई बेटा नहीं था. तुलेश ने कहा कि भाई नहीं होने के कारण विवाह के बाद 2014 से उन्होंने अपने माता-पिता को अपने साथ ही रखा. वे खुद उनकी देखभाल करती रही. इस दौरान उनके पिता को लकवा हो गया. जिनका इलाज चल रहा था. 6 अप्रैल को उनका निधन हो गया. गृह ग्राम बागडोंगरी में पिता का अंतिम संस्कार किया गया.
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बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज
नम आंखों से बेटी तुलेश ने अपने पिता की चिता को अग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया. इससे पहले जिले में श्रीवास सेन समाज ने महासभा की बैठक में फैसला लिया था कि अब बेटियों को अग्नि संस्कार करने और कंधा देने का अधिकार दिया जाये.