कांकेर: 2014 में कांकेर के मोहला में 40 करोड़ की लागत से सड़क निर्माण के लिए टेंडर निकाला गया था. जिसके तहत परतापपुर से कोयलीबेड़ा के लिए 32 किलोमीटर सड़क निर्माण होना था, लेकिन नक्सलियों की मौजूदगी और जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण ठेकेदार ने बीच में ही काम छोड़ दिया.
इसके बाद 2018 में फिर से उसी सड़क निर्माण के लिए 54 करोड़ 97 लाख रुपये का टेंडर जारी किया गया. इस बार नक्सलियों को मुंहतोड़ जबाव देने के लिए जगह-जगह जवानों को तैनात किया गया था, जिसमें 6 जवानों ने शहादत देकर सड़क की रक्षा तो की, लेकन ठेकेदार के भ्रष्टाचार के कारण उनकी शहादत मिट्टी में मिल गई.
6 साल में महज 6 किलोमीटर निर्माण
ठेकेदार के भ्रष्टाचार के कारण 6 साल में महज 6 किलोमीटर सड़क निर्माण हो पाया, उसमें भी निर्माण के एक साल बाद ही जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं. फिलहाल सड़क निर्माण का काम बंद है और जिम्मेदार जल्द शुरू कराने की बात कह रहे हैं.
6 जवानों ने दी है शहादत
बताते हैं, सड़क निर्माण के दौरान नक्सलियों ने कई जगहों पर आईईडी प्लांट करने साथ कई बार मुठभेड़ में आमने-सामने भी आये, लेकिन जवानों ने नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए सड़क निर्माण का काम रुकने नहीं दिया. इस दौरान 6 जवानों ने अपनी शहादत भी दी. लेकिन भ्रष्टाचार के कारण उनकी शहादत भी लगता है बेकार हो गया है.
एक साल में ही बदहाल हुई सड़क
इस सड़क निर्णाम से मोहला समेत परतापुर से कोयलीबेड़ा तक बसे लगभग 100 गांव को मूलभूत सुविधा मिल सकती है. सड़क निर्माण में बाधा न पहुंचे इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने लाल आतंक का गढ़ माने जाने वाले मोहला गांव में बीएसएफ कैंप भी लगा दिया है. बावजूद इसके परतापुर से मोहला बीएसएफ कैंप तक मदज 6 किलोमीटर पक्की सड़क का निर्माण ही हो पाया है. बीएसएफ कैंप लगाकर कई जवानों की शहादत के बाद बनी सड़क निर्माण के बाद पहली ही बारिश में सड़क में कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं.