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कांकेर में कोरोना ने रोकी रक्तदान की राह, खून की कमी से जूझ रहे ब्लड बैंक

कोरोना महामारी को लेकर डर का माहौल बना हुआ है. लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. वहीं दूसरी लहर आने के बाद कई जगहों पर फिर से लॉकडाउन कर दिया गया है. तेजी बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के चलते रक्तदान शिविरों का आयोजन नहीं हो पा रहा है.

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कांकेर में कोरोना काल में खून की कमी
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Published : Apr 22, 2021, 5:43 PM IST

Updated : Apr 22, 2021, 6:25 PM IST

कांकेर: कोरोना संकट ने रक्तदान की राह रोक दी है. कोरोनाकाल में ब्लड डोनेशन को लेकर लगने वाले शिविर बंद हो गए हैं. जरूरतमंद मरीजों को ब्लड नहीं मिल पा रहा है. इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना महामारी के कई तरह के दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं. ब्लड बैंकों में रक्त की कमी हो गई है. रक्तदान शिविर लगाकर रक्त जुटाने वाले युवा भी बेबस हैं क्योंकि इस दौर में ब्लड देने को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां और डर घर कर गए हैं. वर्तमान परिस्थितियों में कैंप लगाना भी चुनौतीपूर्ण है. स्वैच्छिक रक्तदान पूरी तरह बंद है.

ब्लड डोनेट से पहले कोविड टेस्ट

कांकेर जिला अस्पताल ब्लड बैंक की स्टोरेज क्षमता 300 यूनिट की है. इस ब्लड बैंक में जहां पहले हर समय लगभग 100 यूनिट ब्लड मौजूद रहता था. वहीं रक्तदान नहीं होने से अब यहां मात्र 40 यूनिट ब्लड उपलब्ध है. कोरोना काल में रक्तदान के पहले कोरोना जांच अनिवार्य कर दी गई है. रक्तदान के पहले कोरोना की जांच कराना होता है. रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही रक्तदान किया जा सकता है. जिसके चलते भी रक्तदाताओं की संख्या में कमी आई है. क्षेत्र में लोग रक्तदान के प्रति जागरूक हैं, जिसके चलते पूर्व में जिला अस्पताल स्थिति ब्लड बैंक में औसतन रोजना लगभग 20 यूनिट ब्लड डोनेट होता था, लेकिन कोरोना संक्रमण के दौर में रक्तदान में गिरावट आ गई है. कई रक्तदाता कोरोना जांच होने की प्रक्रिया को देखते हुए वापस लौट जाते हैं.

ब्लड बैंक नहीं पहुंच रहे ब्लड डोनर

कोरोनाकाल में ना तो ब्लड डोनेशन अभियान चल रहा और ना ही डोनेर ब्लड बैंक पहुंच रहे हैं. ऐसी स्थिति में ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी होना स्वभाविक है. जिससे किसी आपात स्थिति में निपटने में समस्या आ सकती है. ब्लड बैंकों में हुई रक्त की किल्लत का सबसे अधिक असर रक्त कमी से जूझ रहे मरीजों पर देखने को मिल रहा है. ऐसी स्थिति में उन्हें रक्तदाता ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. साथ ही गर्भवती महिलाओं की परेशानी भी बढ़ी है, जिसमें सर्जरी के मामलों में डिलीवरी के बाद रक्त की आवश्यकता होती है. हालांकि आपात स्थिति में ब्लड बैंक से मरीजों को रक्त उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में ब्लड बैंक में रक्त की कमी फिर से गहरा सकती है.

कांकेर: जिला अस्पताल के रक्तदान केंद्र में नहीं है पॉवर बैकअप, प्रशासन से जेनरेटर की मांग

रक्तदान करने कुछ समाजसेवी आए आगे

कोरोनाकाल के समय में भी कुछ समाजसेवी रक्तदान के लिए आगे आ रहे हैं. जरूरतमंद लोगों को रक्तदाता ब्लड डोनेट कर रहे हैं. समाजसेवी खेम नारायण शर्मा और लतिफ मेमन ने बताया कि कोरोनाकाल में रक्तदान जरूर कम हो गया है, लेकिन इमरजेंसी में किसी भी मरीज को रक्त की आवश्यकता होने पर समाजसेवा की भावना रखने वाले युवा रक्तदान के लिए आगे आ रहे हैं. मरीज को खून की आवश्यकता के संबंध में जानकारी मिलते ही संबंधित ब्लड ग्रुप के रक्तदाता से संपर्क किया जाता है. अस्पताल पहुंचकर रक्तदान किया जा रहा है. जिससे रक्त की कमी के चलते लोगों को भटकना ना पड़े.

फरवरी-मार्च में आयोजित हुआ था शिविर

जिला अस्पताल स्थिति ब्लड बैंक में 40 यूनिट रक्त बाकी रह गया है. फरवरी और मार्च माह में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें 94 यूनिट रक्त एकत्र हुआ था। जिसमें से ही 40 यूनिट रक्त शेष बचा हुआ है. ब्लड बैंक के रवि ठाकुर ने बताया कि 9 फरवरी को बीएसएफ कैंप अंतागढ़ में रक्तदान शिविर लगाया गया था, जिसमें 54 यूनिट रक्तदान हुआ था. 25 मार्च को दुर्गूकोंदल में शिविर लगाया गया था, जिसमें ब्लड डोनर फाउंडेशन ने 40 यूनिट रक्तदान किया था. वर्तमान में तेजी से बढ़ते संक्रमण के चलते रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाना संभव नहीं है.

कांकेर: कोरोना संकट ने रक्तदान की राह रोक दी है. कोरोनाकाल में ब्लड डोनेशन को लेकर लगने वाले शिविर बंद हो गए हैं. जरूरतमंद मरीजों को ब्लड नहीं मिल पा रहा है. इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना महामारी के कई तरह के दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं. ब्लड बैंकों में रक्त की कमी हो गई है. रक्तदान शिविर लगाकर रक्त जुटाने वाले युवा भी बेबस हैं क्योंकि इस दौर में ब्लड देने को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां और डर घर कर गए हैं. वर्तमान परिस्थितियों में कैंप लगाना भी चुनौतीपूर्ण है. स्वैच्छिक रक्तदान पूरी तरह बंद है.

ब्लड डोनेट से पहले कोविड टेस्ट

कांकेर जिला अस्पताल ब्लड बैंक की स्टोरेज क्षमता 300 यूनिट की है. इस ब्लड बैंक में जहां पहले हर समय लगभग 100 यूनिट ब्लड मौजूद रहता था. वहीं रक्तदान नहीं होने से अब यहां मात्र 40 यूनिट ब्लड उपलब्ध है. कोरोना काल में रक्तदान के पहले कोरोना जांच अनिवार्य कर दी गई है. रक्तदान के पहले कोरोना की जांच कराना होता है. रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही रक्तदान किया जा सकता है. जिसके चलते भी रक्तदाताओं की संख्या में कमी आई है. क्षेत्र में लोग रक्तदान के प्रति जागरूक हैं, जिसके चलते पूर्व में जिला अस्पताल स्थिति ब्लड बैंक में औसतन रोजना लगभग 20 यूनिट ब्लड डोनेट होता था, लेकिन कोरोना संक्रमण के दौर में रक्तदान में गिरावट आ गई है. कई रक्तदाता कोरोना जांच होने की प्रक्रिया को देखते हुए वापस लौट जाते हैं.

ब्लड बैंक नहीं पहुंच रहे ब्लड डोनर

कोरोनाकाल में ना तो ब्लड डोनेशन अभियान चल रहा और ना ही डोनेर ब्लड बैंक पहुंच रहे हैं. ऐसी स्थिति में ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी होना स्वभाविक है. जिससे किसी आपात स्थिति में निपटने में समस्या आ सकती है. ब्लड बैंकों में हुई रक्त की किल्लत का सबसे अधिक असर रक्त कमी से जूझ रहे मरीजों पर देखने को मिल रहा है. ऐसी स्थिति में उन्हें रक्तदाता ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. साथ ही गर्भवती महिलाओं की परेशानी भी बढ़ी है, जिसमें सर्जरी के मामलों में डिलीवरी के बाद रक्त की आवश्यकता होती है. हालांकि आपात स्थिति में ब्लड बैंक से मरीजों को रक्त उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में ब्लड बैंक में रक्त की कमी फिर से गहरा सकती है.

कांकेर: जिला अस्पताल के रक्तदान केंद्र में नहीं है पॉवर बैकअप, प्रशासन से जेनरेटर की मांग

रक्तदान करने कुछ समाजसेवी आए आगे

कोरोनाकाल के समय में भी कुछ समाजसेवी रक्तदान के लिए आगे आ रहे हैं. जरूरतमंद लोगों को रक्तदाता ब्लड डोनेट कर रहे हैं. समाजसेवी खेम नारायण शर्मा और लतिफ मेमन ने बताया कि कोरोनाकाल में रक्तदान जरूर कम हो गया है, लेकिन इमरजेंसी में किसी भी मरीज को रक्त की आवश्यकता होने पर समाजसेवा की भावना रखने वाले युवा रक्तदान के लिए आगे आ रहे हैं. मरीज को खून की आवश्यकता के संबंध में जानकारी मिलते ही संबंधित ब्लड ग्रुप के रक्तदाता से संपर्क किया जाता है. अस्पताल पहुंचकर रक्तदान किया जा रहा है. जिससे रक्त की कमी के चलते लोगों को भटकना ना पड़े.

फरवरी-मार्च में आयोजित हुआ था शिविर

जिला अस्पताल स्थिति ब्लड बैंक में 40 यूनिट रक्त बाकी रह गया है. फरवरी और मार्च माह में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें 94 यूनिट रक्त एकत्र हुआ था। जिसमें से ही 40 यूनिट रक्त शेष बचा हुआ है. ब्लड बैंक के रवि ठाकुर ने बताया कि 9 फरवरी को बीएसएफ कैंप अंतागढ़ में रक्तदान शिविर लगाया गया था, जिसमें 54 यूनिट रक्तदान हुआ था. 25 मार्च को दुर्गूकोंदल में शिविर लगाया गया था, जिसमें ब्लड डोनर फाउंडेशन ने 40 यूनिट रक्तदान किया था. वर्तमान में तेजी से बढ़ते संक्रमण के चलते रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाना संभव नहीं है.

Last Updated : Apr 22, 2021, 6:25 PM IST
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