कांकेर : तीन दिवसीय पारंपरिक मेले में चाइल्ड लाइन और पुलिस की संयुक्त टीम ने निरीक्षण किया. जिसमें मेले में काम करने वाले बच्चों की जांच की गई.महिला बाल विकास अधिकारी लीना लारिया ने बताया कि '' दो बच्चे खाद्य पदार्थ बेचने वाले स्टॉल में कार्य करते हुए पाए गए. मेले के मालिक सुधीर सिन्हा और राजू सिन्हा को कड़ाई से समझाईश देकर उन्हें तत्काल घर भेजने को कहा गया. निरीक्षण में जिला बाल संरक्षण इकाई के स्टॉफ, पुलिस विभाग और चाइल्ड लाइन से टीम मेंबर ने कार्रवाई की. कार्यवाही में स्टॉल संचालक और बच्चे का नाम पता की जानकारी ली गई है.
चाइल्ड लाइन ने पहले भी की है कार्रवाई : बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि इससे पहले 2 फरवरी 2022 को तमिलनाडु के हिरोदा जिले से कांकेर जिले के 11 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया था. 11 नाबालिगों में 9 लड़कियां और 2 लड़के थे. कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र के ये नाबालिग बच्चे 3 महीने पहले तमिलनाडु में काम की तलाश में गांव-घर छोड़ कर दलालों के जरिए मजदूरी करने दूसरे राज्य पलायन कर गए थे. लगातार जनजागरूकता चला कर परिजनों, दुकानदारों को समझाइश दिया जा रहा है कि नाबालिगों से काम नहीं लिया जाए.
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बच्चों से काम करवाने की सजा : बाल श्रम अधिनियम 1986 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति अपने व्यवसाय के उद्देश्य से 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से कार्य कराता है, तो उस व्यक्ति को 2 साल की सजा और 500 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है.गौरतलब हो कि 8 जनवरी से कांकेर मेले की शुरुआत हुई है. जिसमें आस-पास दूर दराज के छोटे व्यापारी आते हैं. इसी दौरान बाल संरक्षण इकाई ने जांच की. उन्हें खाद्य पदार्थ बेचने की दुकान में नाबालिग काम करते हुए मिले. अभी भी कांकेर में नाबालिग भिक्षावृत्ति करते हुए पाए जाते है. यही नहीं नगर के कई होटलों में नाबालिग काम करते देखे जा सकते हैं.