कांकेर: लोकसभा चुनाव में आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य शासन की ओर से लागू किए गए नियमों में हुए बदलाव के बाद उत्तर बस्तर के युवाओं में काफी नाराजगी देखी जा रही है. राज्य शासन ने शिक्षक, सहायक शिक्षक और प्रयोगशाला सहायक के पद पर बस्तर और सरगुजा संभाग के स्थानीय लोगों की भर्ती का नियम निकाला था, जिसे अब बदल दिया गया है.
मामले में पूर्व सांसद और वरिष्ठ आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने भी कड़ा एतराज जताया और इस नियम को बदले जाने का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है. राज्य शासन की ओर से 8 मार्च को शिक्षक, सहायक शिक्षक और प्रयोगशाला सहायक के तकरीबन 8 हजार पद पर विज्ञापन जारी किया गया, यह सभी पद तृतीय श्रेणी के लिए हैं. पहले इस पर जिला स्तर पर भर्ती की जाती थी, लेकिन इस बार नियम में बदलाव किया गया है.
व्यापमं द्वारा होगा परिक्षा का आयोजन
इस बार भर्ती राज्य शासन द्वारा आयोजित व्यापमं परीक्षा द्वारा की जाएगी. ये सभी पद पहले पंचायत के अधीन थे और ये शिक्षक पंचायतकर्मी कहलाते थे, लेकिन इन्हें अब शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया गया है. नियम में बदलाव के बाद स्थानीय यावाओं में खासा आक्रोश देखने को मिला है. युवाओं का कहना है कि नियम ने बदलाव बिल्कुल गलत है, इसे तत्काल प्रभाव से पहले की तरह किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बाहरी जिलों से आकर नौकरी करने वाले लोग सिर्फ चंद महीने ही यहां नौकरी करते हैं और फिर ट्रांसफर लेकर यहां से चले जाते हैं. पद दोबारा से खाली हो जाती हैं और यहां के युवाओं को नौकरी भी नहीं मिल पाती.
बस्तर और सरगुजा में पांचवी अनुसूची लागू है और छतीसगढ़ राज्य अनुसूचित आयोग के द्वारा यहां तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगों की ही भर्ती किए जाने का आदेश जारी किया गया था, लेकिन भर्ती के दौरान इस आदेश की अवहेलना की जा रही है, जिससे लोगों में आक्रोश है. वहीं जिन पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है, उसमें कहीं भी बस्तर और सरगुजा के स्थानीय लोगों को लेने का उल्लेख नहीं है.