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कांकेर: शिक्षक, सहायक शिक्षक और प्रयोगशाला सहायक की भर्ती में नए नियम ने उड़ाई युवाओं की नींद - भर्ती में नए नियम

लोकसभा चुनाव में आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य शासन की ओर से लागू किए गए नियमों में हुए बदलाव के बाद उत्तर बस्तर के युवाओं में काफी नाराजगी देखी जा रही है.

युवा
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Published : May 27, 2019, 11:58 PM IST

Updated : May 28, 2019, 10:45 AM IST

कांकेर: लोकसभा चुनाव में आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य शासन की ओर से लागू किए गए नियमों में हुए बदलाव के बाद उत्तर बस्तर के युवाओं में काफी नाराजगी देखी जा रही है. राज्य शासन ने शिक्षक, सहायक शिक्षक और प्रयोगशाला सहायक के पद पर बस्तर और सरगुजा संभाग के स्थानीय लोगों की भर्ती का नियम निकाला था, जिसे अब बदल दिया गया है.

युवा

मामले में पूर्व सांसद और वरिष्ठ आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने भी कड़ा एतराज जताया और इस नियम को बदले जाने का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है. राज्य शासन की ओर से 8 मार्च को शिक्षक, सहायक शिक्षक और प्रयोगशाला सहायक के तकरीबन 8 हजार पद पर विज्ञापन जारी किया गया, यह सभी पद तृतीय श्रेणी के लिए हैं. पहले इस पर जिला स्तर पर भर्ती की जाती थी, लेकिन इस बार नियम में बदलाव किया गया है.

व्यापमं द्वारा होगा परिक्षा का आयोजन
इस बार भर्ती राज्य शासन द्वारा आयोजित व्यापमं परीक्षा द्वारा की जाएगी. ये सभी पद पहले पंचायत के अधीन थे और ये शिक्षक पंचायतकर्मी कहलाते थे, लेकिन इन्हें अब शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया गया है. नियम में बदलाव के बाद स्थानीय यावाओं में खासा आक्रोश देखने को मिला है. युवाओं का कहना है कि नियम ने बदलाव बिल्कुल गलत है, इसे तत्काल प्रभाव से पहले की तरह किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बाहरी जिलों से आकर नौकरी करने वाले लोग सिर्फ चंद महीने ही यहां नौकरी करते हैं और फिर ट्रांसफर लेकर यहां से चले जाते हैं. पद दोबारा से खाली हो जाती हैं और यहां के युवाओं को नौकरी भी नहीं मिल पाती.

बस्तर और सरगुजा में पांचवी अनुसूची लागू है और छतीसगढ़ राज्य अनुसूचित आयोग के द्वारा यहां तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगों की ही भर्ती किए जाने का आदेश जारी किया गया था, लेकिन भर्ती के दौरान इस आदेश की अवहेलना की जा रही है, जिससे लोगों में आक्रोश है. वहीं जिन पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है, उसमें कहीं भी बस्तर और सरगुजा के स्थानीय लोगों को लेने का उल्लेख नहीं है.

कांकेर: लोकसभा चुनाव में आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य शासन की ओर से लागू किए गए नियमों में हुए बदलाव के बाद उत्तर बस्तर के युवाओं में काफी नाराजगी देखी जा रही है. राज्य शासन ने शिक्षक, सहायक शिक्षक और प्रयोगशाला सहायक के पद पर बस्तर और सरगुजा संभाग के स्थानीय लोगों की भर्ती का नियम निकाला था, जिसे अब बदल दिया गया है.

युवा

मामले में पूर्व सांसद और वरिष्ठ आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने भी कड़ा एतराज जताया और इस नियम को बदले जाने का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है. राज्य शासन की ओर से 8 मार्च को शिक्षक, सहायक शिक्षक और प्रयोगशाला सहायक के तकरीबन 8 हजार पद पर विज्ञापन जारी किया गया, यह सभी पद तृतीय श्रेणी के लिए हैं. पहले इस पर जिला स्तर पर भर्ती की जाती थी, लेकिन इस बार नियम में बदलाव किया गया है.

व्यापमं द्वारा होगा परिक्षा का आयोजन
इस बार भर्ती राज्य शासन द्वारा आयोजित व्यापमं परीक्षा द्वारा की जाएगी. ये सभी पद पहले पंचायत के अधीन थे और ये शिक्षक पंचायतकर्मी कहलाते थे, लेकिन इन्हें अब शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया गया है. नियम में बदलाव के बाद स्थानीय यावाओं में खासा आक्रोश देखने को मिला है. युवाओं का कहना है कि नियम ने बदलाव बिल्कुल गलत है, इसे तत्काल प्रभाव से पहले की तरह किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बाहरी जिलों से आकर नौकरी करने वाले लोग सिर्फ चंद महीने ही यहां नौकरी करते हैं और फिर ट्रांसफर लेकर यहां से चले जाते हैं. पद दोबारा से खाली हो जाती हैं और यहां के युवाओं को नौकरी भी नहीं मिल पाती.

बस्तर और सरगुजा में पांचवी अनुसूची लागू है और छतीसगढ़ राज्य अनुसूचित आयोग के द्वारा यहां तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगों की ही भर्ती किए जाने का आदेश जारी किया गया था, लेकिन भर्ती के दौरान इस आदेश की अवहेलना की जा रही है, जिससे लोगों में आक्रोश है. वहीं जिन पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है, उसमें कहीं भी बस्तर और सरगुजा के स्थानीय लोगों को लेने का उल्लेख नहीं है.

Intro:कांकेर - लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के ठीक पहले राज्य शासन के द्वारा जारी किए गए शिक्षक और सहायक शिक्षक और प्रयोग शाला सहायक के पद में बस्तर और सरगुजा सम्भाग में स्थानीय युवाओ की ही भर्ती के नियम को बदल दिया गया है। जिससे उत्तर बस्तर के युवाओ में काफी नाराज़गी देखी जा रही है। वही इस मामले में पूर्व सांसद और वरिष्ठ आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने भी कड़ा एतराज जताया और इस नियम को बदले जाने का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतवानी दी है ।


Body:राज्य शासन के द्वारा 8 मार्च को शिक्षक, सहायक शिक्षक और प्रयोग शाला सहायक के तकरीबन 8 हजार पद पर विज्ञापन जारी किए थे , जिसकी परीक्षा व्यापम के द्वारा ली जानी है । यह सभी पद तृतीय श्रेणी के है और इस पर भर्ती पहले जिला स्तर पर की जाती थी लेकिन इस बार यह भर्ती राज्य शासन द्वारा व्यापम से परीक्षा आयोजित करवा ली जानी है । ये सभी पद पहले पंचायत के अधीन थे और ये शिक्षक पंचायत कर्मी कहलाते थे लेकिन इन्हें अब शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया गया है और बस्तर और सरगुजा सम्भाग जिन्हें विशेष संभाग का दर्जा प्रप्त है यहां से अब स्थानीय लोगो के ही भर्ती के नियम को हटा दिया गया है। जिससे यहां के स्थानीय युवाओ के आक्रोश देखा जा रहा है , युवाओ का कहना है कि नियम ने बदलाव बिल्कुल गलत है इसे तत्काल प्रभाव से पूर्व की तरह किया जाना चाहिए , युवा अजितेश ने कहा कि बाहरी जिलों से आकर यहां नौकरी करने वाले लोग चंद महीने यहां नौकरी करते है फिर ट्रांसफर लेकर यहां से चले जाते है , जिससे फिर से वो पद खाली रह जाते है और यहां के युवाओ को रोजगार भी नही मिल पाता है , इसलिए जो नियम पूर्व में स्थानीय लोगो की भर्ती का बनाया गया था उसे फिर से लागू किया जाना चाहिए ।युवा उत्तम ने कहा कि बाहरी बड़े जिलों से आने वाले लोग हायर एजुकेशन वाले होते है और यहां आसानी से नौकरी उन्हें मिल जाती और ये लोग दूसरी नौकरी मिलने पर नौकरी छोड़ चले जाते है , जिससे यहां के लोग रोजगार का इंतज़ार करते रहे जाते है, जो नियम स्थानीय लोगो की भर्ती का बनाया गया था उसे यथावत रखा जाना चाहिए।

अजजा आयोग ने जारी किया था आदेश
बस्तर और सरगुजा में पांचवी अनुसूची लागू है ,और छतीसगढ़ राज्य अनुसूचित आयोग के द्वारा यहां तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगो की ही भर्ती लिए जाने का आदेश जारी किया था , लेकिन इस भर्ती में इस आदेश की अवहेलना की आ रही है , जिससे लोगो मे आक्रोश है ।

विज्ञापन में कही नही स्थानीय को प्राथमिकता का उल्लेख
इन पदों पर भर्ती के लिए जो विज्ञापन जारी किया गया है , उसमे कही भी बस्तर और सरगुजा में स्थानीय लोगो को ही लेने का उल्लेख नही है , जिससे यहां के युवा नाराज़ है।




Conclusion:सोहन पोटाई ने दी चेतवानी
इस मामले में ईटीवी भारत ने पूर्व सांसद और वरिष्ठ आदिवासी नेता सोहन पोटाई से बात की , उन्होंने कहा कि यह बस्तर और सरगुजा जो कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है यहां के स्थानीय युवाओ के साथ अन्याय किया जा रहा है , तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में स्थानीय को भर्ती देने का नियम बनाया गया है और उसका पालन होना चाहिए, अन्यथा आदिवासी समाज इसको लेकर आंदोलन करेगा ।

बाइट 1 सोहन पोटाई पूर्व सांसद , टी शर्ट में
2 अजितेश युवा भीड़ के बीच मे
3 उत्तम युवा कंधे ने स्कार्फ रखा हुआ है।
Last Updated : May 28, 2019, 10:45 AM IST
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