कांकेर: छत्तीसगढ़ के कांकेर वन मंडल अंतर्गत चारामा वन परिक्षेत्र में एक बार फिर 22 हाथियों का दल लौट आया है. दो दिनों से हाथियों का दल चारामा परिक्षेत्र में विचरण करते देखा गया है. जिसके बाद वनकर्मियों समेत ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई है. हाथियों का ये दल चारामा परिक्षेत्र के पंडरीपानी-जेपरा गांव के जंगलों में विचरण करते हुए देखा गया है. (Chanda elephant team returned to Kanker )
कांकेर में चंदा हाथियों का दल: वन परिक्षेत्र अधिकारी चरण सिंह ने बताया कि "गरियाबंद-धमतरी जंगल के रास्ते नरहरपुर परिक्षेत्र के जंगलों से गुजरते हाथियों का दल चारामा परिक्षेत्र के जंगलों में पहुंचा है. बीते साल भी 22 हाथियों का दल जिले पहुंचा था. जिससे फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था. बीते 2 सालों से चंदा हाथियों का दल जिले में गर्मी के आखिरी महीनों में प्रवेश करता है.
वन अमला सतर्क : उत्पाती हाथियों की आमद की खबर मिलते ही वन अमला सतर्क हो गया है.हाथी मित्र लगातार हाथियों की निगरानी कर रहे हैं. जिस इलाके में हाथी बढ़ रहे हैं. उस इलाके में पहुंचकर लोगों को सतर्क रहने को कह रहे हैं.
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बीते साल निर्माणधीन जेल में रहने को मजबूर थे ग्रामीण: कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक के पिच्चेकट्टा में उप जेल बनाया गया. जहां बीते साल हाथियों के उत्पात के कारण अपराधियों से पहले इलाके के ग्रामीणों को शरण लेनी पड़ी थी.
301 व्यक्तियों को 26 लाख रुपये का दिया था मुआवजा: बीते साल कांकेर वनमण्डल अंतर्गत चारामा और नरहरपुर परिक्षेत्र में हाथियों ने 86.701 हेक्टेयर क्षेत्र में 288 किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाया था. 13 लोगों की संपत्ति का नुकसान करने के कारण प्रभावित 301 व्यक्तियों को 26 लाख 03 हजार 75 रुपये का मुआवजा राशि भुगतान किया गया. हाथियों ने नरहरपुर परिक्षेत्र के 105 किसानों के 23.989 हेक्टेयर और चारामा परिक्षेत्र के 183 किसानों के 62.712 हेक्टेयर क्षेत्र के फसल का नुकसान पहुंचाया था. जिसके एवज में किसानों को 25 लाख 41 हजार 975 रुपये और नरहरपुर परिक्षेत्र के 7 व्यक्ति और चारामा परिक्षेत्र के 6 व्यक्तियों के संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था. जिसके एवज में उन्हें 61 हजार एक सौ रुपये का भुगतान किया गया था.