कांकेर: जिले के भानुप्रतापपुर के ग्रामीणों ने पहले नक्सलियों की प्रताड़ना से तंग आकर गांव छोड़ा और अब नक्सल पीड़ित परिवार का प्रमाण पत्र लेने के लिए भटक रहे हैं. पीड़ित भुवन लाल भुआर्य ने ETV भारत से कहा ''भानुप्रतापपुर में 100 नक्सल पीड़ित परिवार हैं. 50 लोगों को नक्सल पीड़ित का प्रमाण पत्र नहीं मिला है. लंबे संघर्ष के बाद हमारा प्रमाण पत्र बना है, लेकिन भानुप्रतापपुर एसडीओपी कार्यालय में नक्सल पीड़ित संघ के अध्यक्ष और मुंशी उस प्रमाण पत्र को देने के लिए पैसों की मांग करते हैं.
नक्सल पीड़ित को हाईकोर्ट के आदेश के मुताबित पीड़ित प्रमाण पत्र मिलना है. अब तक हम लोगों को प्रमाणपत्र नहीं मिला है. पीड़ित परिवारों को मिलने वाली सुविधाएं भी नहीं मिल रही है. ना हमको जमीन मिली है ना घर और ना ही नौकरी. हमें घर परिवार चलाने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है."
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'14 साल से प्रमाण पत्र के लिए भटक रहे'
एक पीड़ित ने बताया ''2008 में कलेक्टर और एसपी के आदेश से अपना गांव छोड़ के आए हैं. अबतक मेरा नक्सल पीड़ित प्रमाण पत्र नहीं बना है. 14 साल से प्रमाण पत्र के लिए भटक रहा हूं. प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण आर्थिक मदद भी नहीं मिल पा रही है, इसीलिए आज कलेक्टर से गुहार लगाने पहुंचे हैं.''
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नक्सलियों ने कई परिवारों को किया प्रताड़ित
छत्तीसगढ़ में बस्तर नक्सल प्रभावित संभाग है. संभाग के सभी 7 जिलों में नक्सलियों का प्रभाव देखा जा सकता है. उत्तर बस्तर कांकेर में नक्सलियों ने कई परिवारों को प्रताड़ित किया है. कई परिवारों ने अपनों को खोने के बाद घर और जमीन छोड़ने का फैसला लिया लेकिन दुर्भाग्य यह है कि अपनी जमीन बचाने के लिए सब कुछ छोड़ कर सरकार की शरण में आए इन लोगों को शासन-प्रशासन ने भुला दिया है. उम्मीद की किरण जब धुंधली होती है तो यह सभी प्रदर्शन को मजबूर होते रहते हैं.