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बारिश ने दे दी दस्तक, फिर खतरे के बीच स्कूलों में बैठेंगे बच्चे

कोयलीबेड़ा ब्लॉक के कई स्कूलों का हाल बेहाल है. वहीं बारिश ने भी दस्तक दे दी है. इसके बावजूद शासम प्रशासन की आंखें नहीं खुली है. बच्चे एक बार फिर जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर होंगे.

जर्जर भवन में बच्चों का भविष्य खतरे में
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Published : Jun 22, 2019, 11:46 AM IST

Updated : Jun 22, 2019, 12:47 PM IST

कांकेर : नया शिक्षा सत्र के लिए स्कूलों में एडमिशन शुरू हो चुके हैं और 24 जून से कक्षाएं प्रारम्भ होनी है, लेकिन इस बीच शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. अंदरूनी इलाकों के जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए अब तक शिक्षा विभाग की ओर से किसी तरह की पहल नहीं की गई है. इसके कारण बारिश के मौसम में मासूमों को फिर टपकती छत के नीचे जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण करना होगा.

जर्जर भवन में बच्चों का भविष्य खतरे में

जिले के धुर नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा ब्लॉक के कई स्कूलों का हाल बेहाल है, जहां स्कूल भवनों के मरम्मत की जरूरत है, लेकिन इसको लेकर अब तक कोई पहल विभाग द्वारा नहीं की गई है. वहीं शिक्षा विभाग की लापरवाही का आलम ये है कि अब तक उन्हें ये नहीं पता है कि स्कूलों की दशा कैसी है. यानी अब तक स्कूलों के हालात को लेकर कोई रिपोर्ट ब्लॉक स्तर के अधिकरियों से मंगवाई ही नहीं गई है.

बीइओ और प्राचार्यों को दिए गए निर्देश
वहीं इस पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि हमने इस मामले में बीइओ और प्राचार्यो की बैठक में निर्देश दिए हैं कि जर्जर स्कूलों में बच्चो को न बैठाया जाए. वहीं जिन स्कूलों को मरम्मत की जरूरत है, उनकी मरम्मत करवाई जाए.

दूसरे भवनों में लगाई जाएंगी कक्षाएं : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी अर्जुन मेश्राम का कहना है कि कितने स्कूलों में मरम्मत की जरूरत है, इसकी जानकारी नही है, लेकिन बीइओ और प्राचार्यो को निर्देश दिया गया है कि जर्जर भवनों में बच्चों को न बैठाए. यदि मरम्मत की जरूरत है, तो मरम्मत करवाया जाए, नहीं तो दूसरे सरकारी भवनों में स्कूल संचालित करवाया जाए.

टपकती छत के नीचे पढ़ते हैं मासूम
पिछली बरसात के दौरान ऐसे कई मामले सामने आए थे जब जिले के अंदरूनी इलाके में टपकते छत के नीचे मासूम शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर थे. इसके बाद इस साल भी शिक्षा विभाग नींद से नहीं जागी है. ऐसे में एक बार फिर मासूमों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करनी होगी.

कांकेर : नया शिक्षा सत्र के लिए स्कूलों में एडमिशन शुरू हो चुके हैं और 24 जून से कक्षाएं प्रारम्भ होनी है, लेकिन इस बीच शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. अंदरूनी इलाकों के जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए अब तक शिक्षा विभाग की ओर से किसी तरह की पहल नहीं की गई है. इसके कारण बारिश के मौसम में मासूमों को फिर टपकती छत के नीचे जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण करना होगा.

जर्जर भवन में बच्चों का भविष्य खतरे में

जिले के धुर नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा ब्लॉक के कई स्कूलों का हाल बेहाल है, जहां स्कूल भवनों के मरम्मत की जरूरत है, लेकिन इसको लेकर अब तक कोई पहल विभाग द्वारा नहीं की गई है. वहीं शिक्षा विभाग की लापरवाही का आलम ये है कि अब तक उन्हें ये नहीं पता है कि स्कूलों की दशा कैसी है. यानी अब तक स्कूलों के हालात को लेकर कोई रिपोर्ट ब्लॉक स्तर के अधिकरियों से मंगवाई ही नहीं गई है.

बीइओ और प्राचार्यों को दिए गए निर्देश
वहीं इस पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि हमने इस मामले में बीइओ और प्राचार्यो की बैठक में निर्देश दिए हैं कि जर्जर स्कूलों में बच्चो को न बैठाया जाए. वहीं जिन स्कूलों को मरम्मत की जरूरत है, उनकी मरम्मत करवाई जाए.

दूसरे भवनों में लगाई जाएंगी कक्षाएं : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी अर्जुन मेश्राम का कहना है कि कितने स्कूलों में मरम्मत की जरूरत है, इसकी जानकारी नही है, लेकिन बीइओ और प्राचार्यो को निर्देश दिया गया है कि जर्जर भवनों में बच्चों को न बैठाए. यदि मरम्मत की जरूरत है, तो मरम्मत करवाया जाए, नहीं तो दूसरे सरकारी भवनों में स्कूल संचालित करवाया जाए.

टपकती छत के नीचे पढ़ते हैं मासूम
पिछली बरसात के दौरान ऐसे कई मामले सामने आए थे जब जिले के अंदरूनी इलाके में टपकते छत के नीचे मासूम शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर थे. इसके बाद इस साल भी शिक्षा विभाग नींद से नहीं जागी है. ऐसे में एक बार फिर मासूमों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करनी होगी.

Intro:कांकेर - नया शिक्षा सत्र के लिए स्कूलों में एडमिशन शुरू हो चुके है और 24 जून से कक्षाएं प्रारम्भ होनी है । लेकिन इस बीच शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है ,अंदरूनी इलाकों के जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए अब तक शिक्षा विभाग के द्वारा कोई पहल नही की गई है ,जिसके चलते बारिश के मौसम में मासूमो को फिर टपकती छत के नीचे जान जोखिम में डाल कर शिक्षा ग्रहण करना होगा ।


Body:जिले के धुर नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा ब्लॉक के कई स्कूलों का हाल बेहाल है , जहा स्कूल भवनों के मरम्मत की आवयश्कता है लेकिन इसको लेकर अब तक कोई पहल विभाग के द्वारा नही की गई , शिक्षा विभाग की लापरवाही का आलम ये है कि अब तक उन्हें ये नही पता है कि स्कूलों की दशा कैसी है , अर्थात अब तक स्कूलों के हालात को लेकर कोई रिपोर्ट ब्लॉक स्तर के अधिकरियो से मंगवाई ही नही गई , वही जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि हमने इस मामले में बीइओ और प्राचार्यो की बैठक में निर्देश दिए है कि जर्जर स्कूलों में बच्चो को ना बैठाया जाए , और जिन स्कूलों को मरम्मत की जरूरत है उनके मरम्मत करवाया जाए , लेकिन जब तक स्कूलों की दशा की ही जांच नही होगी आखिर इसके मरम्मत की रकम कहा से आएगी इसका जवाब शिक्षा विभाग के पास नही है।

टपकती छत के नीचे पड़ते है मासूम
पिछली बरसात के दौरान ऐसे कई मामले सामने आए थे जब जिले के अंदरूनी इलाको में टपकते छत के नीचे मासूम शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर थे , इसके बाद इस साल भी शिक्षा विभाग नींद से नही जागा है , ऐसे में एक बार फिर मासूमो को जान जोखिम में डाल पढाई करनी होगी ।






Conclusion:दूसरे भवनों में लगाये जायेंगे कक्षाएं- डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी अर्जुन मेश्राम का कहना है कि कितने स्कूलों में मरम्मत की जरूरत है इसकी जानकारी नही है , लेकिन बीइओ और प्राचार्यो को निर्देश दिया गया है कि जर्जर भवनों में बच्चो को न बैठाए , यदि मरम्मत की जरूरत है तो मरम्मत करवाया जाए, अन्यथा दूसरे सरकारी भवनों में स्कूल संचालित करवाई जाए।
Last Updated : Jun 22, 2019, 12:47 PM IST
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