कांकेर: प्रशासन की लापरवाही के चलते कांकेर की सिटी बसें बदहाल हैं. हालत ऐसी है की बिना परमिट की ये बसें लोगों के शराब पीने का अड्डा बन चुकी हैं. साथ ही परमिट वाली बसें आये दिन खराब होकर बीच रोड में खड़ी हो जाती हैं.
करीब साढ़े 3 साल पहले राज्य शासन ने छोटे शहरों को सिटी बस सेवा प्रदान की थी ताकि यहां के मुसाफिरों को भी कम पैसे में अच्छी यात्रा का लाभ मिल सके, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह सिटी बसें कबाड़ हो गई हैं. इनकी हालत देखकर कहा जा सकता है कि वो दिन दूर नहीं है, जब सिटी बसों का संचालन ही छोटे शहरों में बंद हो जाये.
4 बसें चलते-चलते कबाड़ हो गई
जिले में कुल 8 सिटी बस चलनी थीं, लेकिन इनमें से 4 बसें चलते-चलते कबाड़ हो गई हैं और 4 बसों को अब तक परमिट ही जारी नहीं हुआ है. ये बसें इस कदर कबाड़ हो गई हैं कि शायद ही इन बसों की कभी मरम्मत हो पाये. ये बसें असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुकी हैं. यह सब देख सवाल यह उठता है कि जब शासन ने सिटी बस ने लिए करोड़ों रुपये खर्च किये, तो आखिर इनके परमिट में इतनी लापरवाही क्यों. करोड़ों रुपये कबाड़ में तब्दील हो गए.
तब जगी थी उम्मीद
नई बसों को जब जिला मुख्यालय में खड़ा किया गया था, तब उस समय लोगों के मन में यह उम्मीद जगी थी कि सिटी बसों के संचालन से उन्हें लाभ मिलेगा और बस संचालक को जो मनमर्जी किराया वसूलते हैं, उससे छुटकारा मिलेगा, लेकिन यह जिले के लोगों के लिए आज भी सपना ही बना हुआ है.