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कांकेर: कबाड़ बसें बन गईं मयखाना, खटाई में संचालन !

बिना परमिट कबाड़ हो रही हैं बसें , प्रशासन की बड़ी लापरवाही

कबाड़ बसें बन गईं मयखाना
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Published : Jul 21, 2019, 8:53 PM IST

Updated : Jul 21, 2019, 9:35 PM IST

कांकेर: प्रशासन की लापरवाही के चलते कांकेर की सिटी बसें बदहाल हैं. हालत ऐसी है की बिना परमिट की ये बसें लोगों के शराब पीने का अड्डा बन चुकी हैं. साथ ही परमिट वाली बसें आये दिन खराब होकर बीच रोड में खड़ी हो जाती हैं.

कबाड़ बसें बन गईं मयखाना, खटाई में संचालन

करीब साढ़े 3 साल पहले राज्य शासन ने छोटे शहरों को सिटी बस सेवा प्रदान की थी ताकि यहां के मुसाफिरों को भी कम पैसे में अच्छी यात्रा का लाभ मिल सके, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह सिटी बसें कबाड़ हो गई हैं. इनकी हालत देखकर कहा जा सकता है कि वो दिन दूर नहीं है, जब सिटी बसों का संचालन ही छोटे शहरों में बंद हो जाये.

4 बसें चलते-चलते कबाड़ हो गई

जिले में कुल 8 सिटी बस चलनी थीं, लेकिन इनमें से 4 बसें चलते-चलते कबाड़ हो गई हैं और 4 बसों को अब तक परमिट ही जारी नहीं हुआ है. ये बसें इस कदर कबाड़ हो गई हैं कि शायद ही इन बसों की कभी मरम्मत हो पाये. ये बसें असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुकी हैं. यह सब देख सवाल यह उठता है कि जब शासन ने सिटी बस ने लिए करोड़ों रुपये खर्च किये, तो आखिर इनके परमिट में इतनी लापरवाही क्यों. करोड़ों रुपये कबाड़ में तब्दील हो गए.

तब जगी थी उम्मीद

नई बसों को जब जिला मुख्यालय में खड़ा किया गया था, तब उस समय लोगों के मन में यह उम्मीद जगी थी कि सिटी बसों के संचालन से उन्हें लाभ मिलेगा और बस संचालक को जो मनमर्जी किराया वसूलते हैं, उससे छुटकारा मिलेगा, लेकिन यह जिले के लोगों के लिए आज भी सपना ही बना हुआ है.

कांकेर: प्रशासन की लापरवाही के चलते कांकेर की सिटी बसें बदहाल हैं. हालत ऐसी है की बिना परमिट की ये बसें लोगों के शराब पीने का अड्डा बन चुकी हैं. साथ ही परमिट वाली बसें आये दिन खराब होकर बीच रोड में खड़ी हो जाती हैं.

कबाड़ बसें बन गईं मयखाना, खटाई में संचालन

करीब साढ़े 3 साल पहले राज्य शासन ने छोटे शहरों को सिटी बस सेवा प्रदान की थी ताकि यहां के मुसाफिरों को भी कम पैसे में अच्छी यात्रा का लाभ मिल सके, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह सिटी बसें कबाड़ हो गई हैं. इनकी हालत देखकर कहा जा सकता है कि वो दिन दूर नहीं है, जब सिटी बसों का संचालन ही छोटे शहरों में बंद हो जाये.

4 बसें चलते-चलते कबाड़ हो गई

जिले में कुल 8 सिटी बस चलनी थीं, लेकिन इनमें से 4 बसें चलते-चलते कबाड़ हो गई हैं और 4 बसों को अब तक परमिट ही जारी नहीं हुआ है. ये बसें इस कदर कबाड़ हो गई हैं कि शायद ही इन बसों की कभी मरम्मत हो पाये. ये बसें असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुकी हैं. यह सब देख सवाल यह उठता है कि जब शासन ने सिटी बस ने लिए करोड़ों रुपये खर्च किये, तो आखिर इनके परमिट में इतनी लापरवाही क्यों. करोड़ों रुपये कबाड़ में तब्दील हो गए.

तब जगी थी उम्मीद

नई बसों को जब जिला मुख्यालय में खड़ा किया गया था, तब उस समय लोगों के मन में यह उम्मीद जगी थी कि सिटी बसों के संचालन से उन्हें लाभ मिलेगा और बस संचालक को जो मनमर्जी किराया वसूलते हैं, उससे छुटकारा मिलेगा, लेकिन यह जिले के लोगों के लिए आज भी सपना ही बना हुआ है.

Intro:कांकेर - आज से करीब साढ़े 3 साल पहले राज्य शासन ने छोटे शहरों को सिटी बस सेवा प्रदान की थी , ताकि यहाँ के मुसाफिरों को भी कम पैसे में अच्छी यात्रा का लाभ मिल सके ।लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह सिटी बसे खड़े खड़े ही कंडम हो रही है , परमिट नही मिलने के चलते पालिका के फायर ब्रिगेड दफ्तर के पास खड़ी ये बसे अब शराबखोरी का अड्डा बन चुकी है । वही जो बसे चल भी रही है वो मेंटेंशन के अभाव में कंडम हो रही है , जैसे हालत बने हुए है उससे यह कहा जा सकता है कि वो दिन दूर नही है जब सिटी बसों का संचालन ही छोटे शहरों में बंद हो जाये।


Body:सिटी बसों के छोटे शहरो में शुरुवात को लगभग 4 साल हो रहे है लेकिन अब तक यह व्यवस्था पटरी पर नही आ सकी है । जिले में कुल 8 सिटी बस का संचालन होना था लेकिन इनमें से 4 बसों को अब तक परमिट ही जारी नही हो सका है , और ये 4 बसे खड़े खड़े ही कबाड़ में तब्दील हो गई है , नई बसों को लाकर जिला मुख्यालय में खड़ा कर दिया गया तब लोगो के मन मे यह उम्मीद जागी थी कि सिटी बसों के संचालन से उन्हें लाभ मिलेगा और बस संचालक को जो मनमर्ज़ी किराया वसूलते है उससे छुटकारा मिल सकेगा लेकिन यह जिले के लोगो के लिए आज भी सपना ही बना हुआ है।

8 में से 4 का अब तक नही मिल सका परमिट
जब 8 बसे कांकेर पहुची थी जिनमें से 4 बसे कांकेर से अमोड़ा होते हुए नरहरपुर ,कांकेर से माकड़ी होते हुए नरहरपुर , कांकेर से कोरर होते हुए भानुप्रतापपुर ,और कांकेर से सरोना चालू है , जबकि 4 अन्य बसों को कांकेर से पीढापाल , कांकेर से हल्बा , तथा अन्य मार्गो पर चलाया जाना था लेकिन इन बसों का परमिट ही 4 सालो में नही बन सका है । प्रशासनिक लापरवाही के चलते शासन के करोड़ो रूपये कबाड़ में चले गए है ।

असामाजिक तत्वों का अड्डा बनी खड़ी बसे
जिन बसों के परमिट नही मिला वो अब भी फायर ब्रिगेड दफ्तर के बाहर खड़ी है , ये बसे 4 सालो में खड़े खड़े इस कदर कबाड़ बन चुकी है कि शायद ही इन बसों की मरम्मत भी अब हो सके , ये बसे असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुकी है ,बसों के अंदर शराब की बोतले पड़ी हुई है , असामाजिक तत्व के लोगो ने इसे शराब पीने का स्थान बना लिया है । बस के सीट पूरी तरह से खराब हो चुकी है । सवाल यह उठता है कि जब शासन ने सिटी बस ने लिए करोड़ो रुपये खर्च किये तो आखिर इनके परमिट में आखिर प्रशासन ने इतनी लापरवाही बरती की यह करोड़ो रूपये कबाड़ में तब्दील हो गए , इस विषय में जब किसी जिम्मेदार से बात करने का प्रयास किया जाता है तो सिटी बसों का संचालन संभाग मुख्यलय से होने की बात कहकर यहाँ के अधिकरी पल्ला झाड़ लेते है ।


Conclusion:ठेका परम्परा ने किया बर्बाद
शासन के द्वारा इस बड़ी योजना को ठेका परम्परा में चलाया जिसके चलते इन बसों की हालत अब कबाड़ है , ठेका परपंरा में यह बसे मेंटेंश का अभाव झेल रही है ,बसों के मेंटनेश नही होने से बसे आये दिन सड़को पर खड़ी हो जा रही है जिससे यात्री परेशान हो रहे है ।
Last Updated : Jul 21, 2019, 9:35 PM IST
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