कांकेर: जिले के नरहरपुर ब्लॉक में मुसुरपुट्टा गांव है. यहां बुधवार को छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मवेशी बाजार लगता है. इसमें ओडिशा, धमतरी, कोंडागांव, बस्तर जिले के कोचिए खरीदी-बिक्री करने आते हैं. यहां दो दिन पहले कोचिए गाय-बैल लेकर पहुंच जाते हैं.
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मुनाफा कमाने पशुओं के साथ क्रूरता: कांकेर जिले का बड़ा मवेशी बाजार ग्राम मुसुरपुट्टा में लगता है. यहां पर नियमों को ताक पर रखकर पैसे का खेल चल रहा है. यहां थोड़ी सी आमदानी के लिए ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा पशुओं से क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया जा रहा है.
रस्सियों से बांधकर खींचते हैं मवेशी: मवेशी बाजार मुसुरपुट्टा ऐसे लोग मवेशियों के पैरों में नाल ठोकते हैं, जिनके पास कोई ट्रेनिंग नहीं होती है. वह भी मवेशियों को क्रूरतापूर्वक बांधकर नाल लगाते हैं. मवेशी दर्द से कराहते रहते हैं. यही नहीं वाहनों से लादकर पशुओं को लाया जाता है, फिर रस्सियों से बांधकर खींचा जाता है.
पशुओं को नुकसान पहुंचाना अपराध: पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 के तहत धारा 11 स्पष्ट करती है कि परिवहन के दौरान किसी भी जानवर को नुकसान पहुंचाना एक अपराध है. इस अधिनियम के तहत खचाखच भरे वाहनों में मवेशियों को बांधना गैर-कानूनी है.
अपनी-अपनी दलील: मुसुरपुट्टा गांव की सरपंच आरती मरकाम ने समझाइश देने की बात कह कर टाल दिया. दुधावा के पशु चिकित्सा अधिकारी लोकेश ठाकुर ने समझाइश का हवाला देते कबूल किया कि ''ठेकेदार लापरवाही बरत रहे हैं.'' उप संचालक पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि ''मेरे संज्ञान में मामला आया है. इस तरह नियम विरुद्ध पशुओं की खरीदी-बिक्री की जा रही है. उनके खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी.
43 लाख में मवेशी बाजार की नीलामी: ग्राम मुसुरपुट्टा में साप्ताहिक मवेशी बाजार की नीलामी ग्राम पंचायत कार्यालय में महीने भर पहले हुई थी. स्थानीय लोगों के साथ धमतरी, नगरी, बेलर, बालोद, रायपुर के 32 लोग बाजार ठेका नीलामी प्रक्रिया में शामिल हुए. पंचायत द्वारा 50 हजार की अमानत राशि तय की गई थी. ग्राम पंचायत द्वारा सरकारी बोली 25 लाख तय की गई. तीन अंतिम बोली लगाई गई थी. इसमें बालोद जिले के छेड़िया निवासी घनश्याम साहू ने 43 लाख 80 हजार की बोली लगाकर मवेशी बाजार अपने नाम किया.