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Land acquisition in Kanker: कांकेर में जमीन अधिग्रहण से नाराज माकड़ीखूना सरपंच ने दिया इस्तीफा - Land acquisition in Kanker

कांकेर में जमीन अधिग्रहण से नाराज माकड़ीखूना सरपंच ने इस्तीफा दे दिया है. प्रशासन से नाराज सरपंच सुभाष नरेटी का इस्तीफा फिलहाल मंजूर नहीं किया गया है.

Forcible land acquisition case in Kanker:
कांकेर में जबरन जमीन अधिग्रहण का मामला
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Published : Mar 15, 2023, 1:49 PM IST

कांकेर: कांकेर जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर माकड़ीखूना गांव में जिला प्रशासन द्वारा जमीन अधिग्रहण से सरपंच सुभाष नरेटी नाराज हैं. सरपंच सुभाष नरेटी ने उप संचालक पंचायत को सरपंच पद से त्याग पत्र दे दिया. सरपंच ने प्रारूप "क" भरकर उप संचालक पंचायत को दे दिया है. हालांकि अब तक सरपंच का त्याग पत्र मंजूर नहीं किया गया है.

ये है पूरा मामला: जमीन अधिग्रहण को लेकर सरपंच सुभाष नरेटी ने बताया कि "मेरे ग्राम पंचायत में बिना ग्राम सभा में सहमति से जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है. यह क्षेत्र पांचवी अनुसूची क्षेत्र है. पेसा कानून लागू है. साल 2022 में नियम बने हैं. यहां ग्राम सभा से बिना सहमति या परामर्श के जमीन अधिग्रहण नहीं किया जा सकता. हालांकि यहां जबरन जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है, ये गलत है. इसलिए मैं अपने पद से त्याग पत्र देने आया हूं."

15 दिन पहले ग्रामीणों ने किया विरोध: परिवहन विभाग ने जांच केन्द्र बनाने के लिए माकड़ी में करीब 2 एकड़ की जमीन को ग्रामिणों की अनुमति के बगैर ही कब्जा कर लिया. और बिना किसी अनुमति के दर्जनों हरे भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलवा दिया. 15 दिन पहले ग्रामीणों को जब इस बात की भनक लगी तो वे लोग भारी संख्या में मौके पर पहुंचे और इसे अवैध कब्जा बता कर विरोध किया.

यह भी पढ़े: bilaspur crime news : बाजा बजाने को लेकर विवाद के बाद हत्या का फरार आरोपी गिरफ्तार

वन समिति अध्यक्ष का बयान: वन समिति अध्यक्ष कुंवर सिंह नेताम ने बताया कि "जिस जगह पर परिवहन विभाग कब्जा कर रही है, वह जमीन गांव वालों की है. गांव वालों के अनुमति के बगैर इस पर कब्जा किया जा रहा है. करीब 2 एकड़ में दर्जनों हरे भरे पेड़ हैं, जिस पर कुल्हाड़ी चला दिया गया."

ग्रामीणों के साथ हो रहा अन्याय: वन समिति अध्यक्ष कुंवर सिंह नेताम ने बताया कि "प्रशासन को यदि जमीन की जरूरत थी, तो पहले गांव में बैठक करते, ग्राम सभा का प्रस्ताव होता, पेड़ काटने की अनुमति मिलती...तब कहीं जाकर यदि गांव वालों की सहमति होती तो जमीन प्रशासन को दिया जाता. लेकिन इस तरह से बिना किसी अनुमति के जमीन पर कब्जा कर ग्रामीणों के साथ प्रशासन अन्याय कर रही है."

सड़क पर उतरेंगे ग्रामीण: सरपंच सुभाष नरेटी ने कहा कि "प्रशासन यदि जबरदस्ती करती है तो ग्रामीण सड़क पर उतरेंगे और जरूरत पड़ी तो हजारों की तादाद में कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे. जिस प्रकार से प्रशासन अपनी मनमानी कर गांव की जमीन को बिना किसी अनुमति के कब्जा कर रही है, उससे ग्राम पंचायत का आस्तित्व ही खत्म हो गया है. बिना ग्राम सभा प्रस्ताव व बिना जानकारी के जबरदस्ती कब्जा करना ग्रामीणों के साथ अन्याय है."

कांकेर: कांकेर जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर माकड़ीखूना गांव में जिला प्रशासन द्वारा जमीन अधिग्रहण से सरपंच सुभाष नरेटी नाराज हैं. सरपंच सुभाष नरेटी ने उप संचालक पंचायत को सरपंच पद से त्याग पत्र दे दिया. सरपंच ने प्रारूप "क" भरकर उप संचालक पंचायत को दे दिया है. हालांकि अब तक सरपंच का त्याग पत्र मंजूर नहीं किया गया है.

ये है पूरा मामला: जमीन अधिग्रहण को लेकर सरपंच सुभाष नरेटी ने बताया कि "मेरे ग्राम पंचायत में बिना ग्राम सभा में सहमति से जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है. यह क्षेत्र पांचवी अनुसूची क्षेत्र है. पेसा कानून लागू है. साल 2022 में नियम बने हैं. यहां ग्राम सभा से बिना सहमति या परामर्श के जमीन अधिग्रहण नहीं किया जा सकता. हालांकि यहां जबरन जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है, ये गलत है. इसलिए मैं अपने पद से त्याग पत्र देने आया हूं."

15 दिन पहले ग्रामीणों ने किया विरोध: परिवहन विभाग ने जांच केन्द्र बनाने के लिए माकड़ी में करीब 2 एकड़ की जमीन को ग्रामिणों की अनुमति के बगैर ही कब्जा कर लिया. और बिना किसी अनुमति के दर्जनों हरे भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलवा दिया. 15 दिन पहले ग्रामीणों को जब इस बात की भनक लगी तो वे लोग भारी संख्या में मौके पर पहुंचे और इसे अवैध कब्जा बता कर विरोध किया.

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वन समिति अध्यक्ष का बयान: वन समिति अध्यक्ष कुंवर सिंह नेताम ने बताया कि "जिस जगह पर परिवहन विभाग कब्जा कर रही है, वह जमीन गांव वालों की है. गांव वालों के अनुमति के बगैर इस पर कब्जा किया जा रहा है. करीब 2 एकड़ में दर्जनों हरे भरे पेड़ हैं, जिस पर कुल्हाड़ी चला दिया गया."

ग्रामीणों के साथ हो रहा अन्याय: वन समिति अध्यक्ष कुंवर सिंह नेताम ने बताया कि "प्रशासन को यदि जमीन की जरूरत थी, तो पहले गांव में बैठक करते, ग्राम सभा का प्रस्ताव होता, पेड़ काटने की अनुमति मिलती...तब कहीं जाकर यदि गांव वालों की सहमति होती तो जमीन प्रशासन को दिया जाता. लेकिन इस तरह से बिना किसी अनुमति के जमीन पर कब्जा कर ग्रामीणों के साथ प्रशासन अन्याय कर रही है."

सड़क पर उतरेंगे ग्रामीण: सरपंच सुभाष नरेटी ने कहा कि "प्रशासन यदि जबरदस्ती करती है तो ग्रामीण सड़क पर उतरेंगे और जरूरत पड़ी तो हजारों की तादाद में कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे. जिस प्रकार से प्रशासन अपनी मनमानी कर गांव की जमीन को बिना किसी अनुमति के कब्जा कर रही है, उससे ग्राम पंचायत का आस्तित्व ही खत्म हो गया है. बिना ग्राम सभा प्रस्ताव व बिना जानकारी के जबरदस्ती कब्जा करना ग्रामीणों के साथ अन्याय है."

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