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कालापानी की सजा की तरह 3 महीने कटता है 38 गांवों के लोगों का जीवन, पढ़ें यह रिपोर्ट - काला पानी की सजा

मानसून के आने में लगभग 15 दिन शेष बचे हैं. ऐसे में नक्सल प्रभावित 38 गांव ऐसे हैं जो बारिश के मौसम में टापू में तब्दील हो जाते हैं और जिला मुख्यालय से कट जाते हैं. ऐसे में इन स्थानों के लिए प्रशासन ने पहले से ही अपनी कमर कस ली है. साथ ही उन गांवों में 3 महीने का राशन पहुंचाने में जुट गई है.

प्रशासन ने किया भंडारण की व्यव्स्था
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Published : May 17, 2019, 8:45 PM IST

कांकेर : बरसात और नक्सल ये दो ऐसे शब्द हैं जो बारिश के मौसम में एक दूसरे से जुड़कर कांकेरवासियों के लिए मुसीबत बन जाते हैं. यहां के लोगों को बारिश के तीन महीने काला पानी की सजा की तरह काटनी पड़ती है. इसकी वजह नक्सल के कारण बंद पड़ा विकास का अधूरा काम है जो बारिश में 38 गांवों को टापू में तब्दील कर देता है.

प्रशासन ने किया भंडारण की व्यव्स्था

दरअसल, मानसून के आने में लगभग 15 दिन शेष बचे हैं. ऐसे में नक्सल प्रभावित 38 गांव ऐसे हैं जो बारिश के मौसम में टापू में तब्दील हो जाते हैं और जिला मुख्यालय से कट जाते हैं. ऐसे में इन स्थानों के लिए प्रशासन ने पहले से ही अपनी कमर कस ली है. साथ ही उन गांवों में 3 महीने का राशन पहुंचाने में जुट गई है.

38 ग्राम पंचयतों की सूची तैयार
जिले के अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, दुर्गुकोंदल क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जहां नक्सल के कारण पुल पुलिया और सड़क का निर्माण नहीं हुआ है. खाद्य विभाग ने ऐसे 38 ग्राम पंचायतों की सूची तैयार की है, जहां राशन भेजने का काम शुरू किया गया है. खाद्य विभाग के अनुसार अब तक 7 ग्राम पंचायतों में राशन का भंडारण किया गया है जबकि शेष भंडारण 31 मई तक किया जाएगा.

नारायणपुर के भी 4 गांव की जिम्मेदारी मिली
खाद्य विभाग के अधिकारी जीआर ठाकुर ने बताया कि जिले के 38 गांव और नारायणपुर के 4 गांव में बारिश के पूर्व राशन पहुंचाने का लक्ष्य है, अभी तक 7 गांव में राशन पहुंचाया जा चुका है. वहीं शेष गांवों में 31 मई के पहले पहुंचा दिया जाएगा ताकि ग्रामीणों को दिक्कते न हो.

नक्सली दहशत के चलते विकास कार्य में दिक्कतें
बता दें कि इन इलाके में नक्सल दहशत के चलते विकास कार्य काफी धीमी गति से हो रहा है. यहां आज भी पुल-पुलिया का निर्माण नहीं हो सका है. ऐसे में मानसून के आते ही ग्रामीणों को 3 महीने काफी दिक्कते होती हैं.

कोटरी नदी में पुल निर्माण सबसे जरूरी
बात करें, तो कोटरी नदी की तो यहां पुल निर्माण का कार्य सबसे अधिक जरूरी है, क्योंकि इस नदी में पुल नहीं होने के कारण 15 से 20 गांव बारिश के मौसम में टापू बन जाते हैं. इस नदी पर पुल निर्माण का भूमिपूजन विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सासंद विक्रम उसेंडी ने किया था. अब देखना यह होगा कि पुल का निर्माण कब तक पूरा हो पाता है.

कांकेर : बरसात और नक्सल ये दो ऐसे शब्द हैं जो बारिश के मौसम में एक दूसरे से जुड़कर कांकेरवासियों के लिए मुसीबत बन जाते हैं. यहां के लोगों को बारिश के तीन महीने काला पानी की सजा की तरह काटनी पड़ती है. इसकी वजह नक्सल के कारण बंद पड़ा विकास का अधूरा काम है जो बारिश में 38 गांवों को टापू में तब्दील कर देता है.

प्रशासन ने किया भंडारण की व्यव्स्था

दरअसल, मानसून के आने में लगभग 15 दिन शेष बचे हैं. ऐसे में नक्सल प्रभावित 38 गांव ऐसे हैं जो बारिश के मौसम में टापू में तब्दील हो जाते हैं और जिला मुख्यालय से कट जाते हैं. ऐसे में इन स्थानों के लिए प्रशासन ने पहले से ही अपनी कमर कस ली है. साथ ही उन गांवों में 3 महीने का राशन पहुंचाने में जुट गई है.

38 ग्राम पंचयतों की सूची तैयार
जिले के अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, दुर्गुकोंदल क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जहां नक्सल के कारण पुल पुलिया और सड़क का निर्माण नहीं हुआ है. खाद्य विभाग ने ऐसे 38 ग्राम पंचायतों की सूची तैयार की है, जहां राशन भेजने का काम शुरू किया गया है. खाद्य विभाग के अनुसार अब तक 7 ग्राम पंचायतों में राशन का भंडारण किया गया है जबकि शेष भंडारण 31 मई तक किया जाएगा.

नारायणपुर के भी 4 गांव की जिम्मेदारी मिली
खाद्य विभाग के अधिकारी जीआर ठाकुर ने बताया कि जिले के 38 गांव और नारायणपुर के 4 गांव में बारिश के पूर्व राशन पहुंचाने का लक्ष्य है, अभी तक 7 गांव में राशन पहुंचाया जा चुका है. वहीं शेष गांवों में 31 मई के पहले पहुंचा दिया जाएगा ताकि ग्रामीणों को दिक्कते न हो.

नक्सली दहशत के चलते विकास कार्य में दिक्कतें
बता दें कि इन इलाके में नक्सल दहशत के चलते विकास कार्य काफी धीमी गति से हो रहा है. यहां आज भी पुल-पुलिया का निर्माण नहीं हो सका है. ऐसे में मानसून के आते ही ग्रामीणों को 3 महीने काफी दिक्कते होती हैं.

कोटरी नदी में पुल निर्माण सबसे जरूरी
बात करें, तो कोटरी नदी की तो यहां पुल निर्माण का कार्य सबसे अधिक जरूरी है, क्योंकि इस नदी में पुल नहीं होने के कारण 15 से 20 गांव बारिश के मौसम में टापू बन जाते हैं. इस नदी पर पुल निर्माण का भूमिपूजन विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सासंद विक्रम उसेंडी ने किया था. अब देखना यह होगा कि पुल का निर्माण कब तक पूरा हो पाता है.

Intro:कांकेर - बारिश का मौसम में अब ज्यादा दिन नही बचे है ऐसे में जिला प्रशासन ने जिले के ऐसे गांव जहा बारिश के दौरान आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है वहा पहले से ही तीन महीने का राशन का भंडारण करना शुरू कर दिया है । जिले के अन्तागढ़ , कोयलीबेड़ा , दुर्गुकोंदल क्षेत्र के कई गांव आज भी बारिश के मौसम के नदी नालों में पुल पुलिया के अभाव में जिला के साथ साथ ब्लॉक मुख्यलय तक से कट जाते है , खाद्य विभाग ने ऐसे 38 ग्राम पंचयतो की सूची तैयार कर यहां राशन भेजने का काम शुरू कर दिया है।


Body:जिले में सबसे अधिक कोयलीबेड़ा ब्लॉक के ग्राम पंचायत जहा आज भी नक्सल दहशत के चलते सड़के नही बन सकी , कई नदी नालों में आज तक पूल का निर्माण नही हो सका है , ऐसे में जब बारिश के मौसम में नदी नाले उफान पर होते है तो ये गांव पूरी तरह ब्लॉक और जिला मुख्यालय से कट जाते है , जिसके चलते इन्हें खाने- पीने की कमी ना हो इसके लिए पूरे तीन माह का राशन पहले ही इन गांव में पहुचा दिए जाते है, खाद्य विभाग के अनुसार अब तक 7 ग्राम पंचायतों में भंडारण कर दिया गया है जबकि शेष में 31 मई तक राशन का भंडारण कर दिया जाएगा।

नारायणपुर के भी 4 गांव की जिम्मेदारी मिली
खाद्य विभाग के अधिकारी जी आर ठाकुर ने बताया कि नारायणपुर जिले के भी 4 गांव आदनार , गोमे , पांगुड और कोंगे में राशन पहुचाने की जिम्मेदारी मिली है , उन्होंने बताया कि नरायणपुर की ओर से उस इलाके में गाड़िया नही जा सकती जिसके चलते यह जिम्मेदारी कांकेर जिले को मिली है।

नक्सली दहशत के चलते विकास कार्य मे दिक्कते
इन इलाकों में नक्सली दहशत के चलते इन इलाको में विकास कार्य की गति काफी कम है , जिसके चलते आज भी पूल पुलिया का निर्माण नही हो पाने के कारण लोग आदिकाल में जीने मजबूर है और इन्हें 3 महीने काला पानी की सजा की तरह काटना पड़ता है ।


कोटरी नदी में पूल निर्माण कार्य सबसे जरूरी
दुर्गुकोंदल इलाके में बहने वाली कोटरी नदी में पूल निर्माण का कार्य सबसे अधिक जरूरी है , क्योकि इस नदी में पूल नही होने के कारण 15 से 20 गांव बारिश के मौसम में टापू बन जाते है , इस नदी पर पूल निर्माण का भूमिपूजन विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सासंद विक्रम उसेंडी ने किया था अब देखना यह होगा कि पूल का निर्माण कब तक पुरा हो पाता है ।







Conclusion:31 मई तक लक्ष्य पूरा कर लेंगे - खाद्य अधिकारी
खाद्य अधिकारी जी आर ठाकुर ने बताया कि जिले के 38 गांव और नारायणपुर के 4 गांव में बारिश के पूर्व राशन पहुचाने का लक्ष्य मिला है , अभी तक 7 गांव के राशन पहुचाया जा चुका है शेष गावो में 31 मई के पहले राशन पहुचा दिया जाएगा ताकि ग्रामीणों को दिक्कते न हो।

बाइट - जी आर ठाकुर खाद्य अधिकारी
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