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भानुप्रतापपुर में एक साथ खिले 6 ब्रह्मकमल

उत्तर बस्तर के भानूप्रतापपुर जिले में दुर्लभ ब्रह्मकमल(Brahma Kamal) खिला है. शनिवार देर शाम एक परिवार के घर पर एक साथ 6 ब्रह्मकमल खिल उठे. इस दुर्लभ फूल को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे.

6 Brahma Kamal bloomed together in Bhanupratappur of kanker
ब्रह्मकमल
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Published : Jul 18, 2021, 2:01 PM IST

Updated : Jul 18, 2021, 5:23 PM IST

कांकेर : उत्तर बस्तर कांकेर जिले के भानूप्रतापपुर(Bhanupratappur of kanker) में दुर्लभ ब्रह्मकमल(Brahma Kamal) मिला है. ब्रह्मकमल हिमालय की वादियों में होता है और सिर्फ रात में ही खिलता है सुबह होते ही इसका फूल अपने आप बंद हो जाता है. अपनी विशेषताओं की वजह से यह दुनियाभर में लोकप्रिय है और लोग इसको देखने के लिए तरसते हैं. यह एकमात्र ऐसा फूल है जिसकी पूजा की जाती है और जिसे देवताओं को नहीं चढ़ाया जाता. माना जाता है इसमें खुद देवताओं का वास रहता है. भगवान ब्रह्मा(Lord Brahma) के नाम पर इस फूल का नाम पड़ा था. माना जाता है इस फूल के दर्शन मात्र से अनेक इच्छाएं पूरी हो जाती हैं.

एक साथ खिला 6 ब्रह्मकमल
3 साल पहले लगाया था पौधा अचानक खिल उठा

वार्ड नंबर 1 कर्मचारी कॉलोनी में स्थित एक मकान में ठाकुर परिवार ने 3 साल पहले ब्रह्मकमल का पौधा लगाया गया था. उसमें शनिवार देर शाम को 8 बजे ब्रह्मकमल एक साथ 6 फूल खिल उठे. एक साथ इतने ब्रह्मकमल खिलने पर आसपास के रहवासी और परिचित भी देखने के लिए पहुंचे थे. शिव सिंह ठाकुर के घर पर यहां दुर्लभ ब्रह्मकमल खिले. शिव ठाकुर के पुत्र सचिन ठाकुर ने बताया, उत्तराखंड का राजपुष्प ब्रह्मकमल हिमालय की वादियों में 3 से 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है. इस दुर्लभ पुष्प का वानस्पतिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा है. हिमालय में खिलने वाला ब्रह्मकमल भानुप्रतापपुर के वार्ड क्रमांक 01 में शिव सिंह ठाकुर के घर में खिला है. इसे देखने के लिए भीड़ लग गयी. यह जानकारी रिपुदमन सिंह बैस ने दी है.

6 Brahma Kamal bloomed together in Bhanupratappur of kanker
एक साथ खिला 6 ब्रह्मकमल

राजनांदगांव में खिला ब्रह्म कमल, देखने के लिए जुटी भीड़

ब्रह्मकमल को माना जाता है शुभ

मान्यता है कि इस फूल को देखकर जो भी मांगा जाए मिल जाता है. यह अत्यंत सुंदर चमकते सितारे जैसा आकार लिए मादक सुगंध वाला पुष्प है. ब्रह्मकमल को हिमालयी फूलों का सम्राट भी कहा गया है. यह कमल आधी रात के बाद खिलता है इसलिए इसे खिलते देखना स्वप्न समान ही है. एक विश्वास है कि अगर इसे खिलते समय देख कर कोई कामना की जाए तो अतिशीघ्र पूरी हो जाती है. ब्रह्मकमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि सिर्फ रात्रि में ही खिलता है. दुर्लभता के इस गुण के कारण से ब्रह्मकमल को शुभ माना जाता है.

6 Brahma Kamal bloomed together in Bhanupratappur of kanker
दुर्लभ ब्रह्मकमल

दवा के रूप में होता है इस्तमाल

ब्रह्मकमल औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण है. इसे सुखाकर कैंसर रोग की दवा के रूप में इस्तमाल किया जाता है. इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है, साथ ही पुरानी खांसी भी काबू हो जाती है. इस फूल की विशेषता यह है कि जब यह खिलता है तो इसमें ब्रह्म देव तथा त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है. ब्रह्मकमल न तो खरीदा जाना चाहिए और न ही इसे बेचा जाता है. इस पुष्प को देवताओं का प्रिय पुष्प माना गया है और इसमें जादुई प्रभाव भी होता है. इस दुर्लभ पुष्प की प्राप्ति आसानी से नहीं होती. हिमालय में खिलने वाला यह पुष्प देवताओं के आशीर्वाद सरीखा है. इसका खिलना देर रात आरंभ होता है तथा दस से ग्यारह बजे तक यह पूरा खिल जाता है. मध्य रात्रि से इसका बंद होना शुरू हो जाता है और सुबह तक यह मुरझा चुका होता है. इसकी सुगंध प्रिय होती है और इसकी पंखुडियों से टपका जल अमृत समान होता है.

मां नंदा का प्रिय है बह्मकमल

धार्मिक मान्यता ब्रह्मकमल का अर्थ होता है ब्रह्मा का कमल, यह फूल मां नन्दा का प्रिय पुष्प है, इसलिए इसे नन्दाष्टमी के समय में तोड़ा जाता है और इसके तोड़ने के भी सख्त नियम होते हैं. कहा जाता है कि आम तौर पर फूल सूर्यास्त के बाद नहीं खिलते, पर ब्रह्म कमल एक ऐसा फूल है जिसे खिलने के लिए सूर्य के अस्त होने का इंतजार करना पड़ता है. ब्रह्मकमल को अलग-अलग जगहों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे उत्तराखंड में ब्रह्मकमल, हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस नाम से इसे जाना जाता है.

कांकेर : उत्तर बस्तर कांकेर जिले के भानूप्रतापपुर(Bhanupratappur of kanker) में दुर्लभ ब्रह्मकमल(Brahma Kamal) मिला है. ब्रह्मकमल हिमालय की वादियों में होता है और सिर्फ रात में ही खिलता है सुबह होते ही इसका फूल अपने आप बंद हो जाता है. अपनी विशेषताओं की वजह से यह दुनियाभर में लोकप्रिय है और लोग इसको देखने के लिए तरसते हैं. यह एकमात्र ऐसा फूल है जिसकी पूजा की जाती है और जिसे देवताओं को नहीं चढ़ाया जाता. माना जाता है इसमें खुद देवताओं का वास रहता है. भगवान ब्रह्मा(Lord Brahma) के नाम पर इस फूल का नाम पड़ा था. माना जाता है इस फूल के दर्शन मात्र से अनेक इच्छाएं पूरी हो जाती हैं.

एक साथ खिला 6 ब्रह्मकमल
3 साल पहले लगाया था पौधा अचानक खिल उठा

वार्ड नंबर 1 कर्मचारी कॉलोनी में स्थित एक मकान में ठाकुर परिवार ने 3 साल पहले ब्रह्मकमल का पौधा लगाया गया था. उसमें शनिवार देर शाम को 8 बजे ब्रह्मकमल एक साथ 6 फूल खिल उठे. एक साथ इतने ब्रह्मकमल खिलने पर आसपास के रहवासी और परिचित भी देखने के लिए पहुंचे थे. शिव सिंह ठाकुर के घर पर यहां दुर्लभ ब्रह्मकमल खिले. शिव ठाकुर के पुत्र सचिन ठाकुर ने बताया, उत्तराखंड का राजपुष्प ब्रह्मकमल हिमालय की वादियों में 3 से 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है. इस दुर्लभ पुष्प का वानस्पतिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा है. हिमालय में खिलने वाला ब्रह्मकमल भानुप्रतापपुर के वार्ड क्रमांक 01 में शिव सिंह ठाकुर के घर में खिला है. इसे देखने के लिए भीड़ लग गयी. यह जानकारी रिपुदमन सिंह बैस ने दी है.

6 Brahma Kamal bloomed together in Bhanupratappur of kanker
एक साथ खिला 6 ब्रह्मकमल

राजनांदगांव में खिला ब्रह्म कमल, देखने के लिए जुटी भीड़

ब्रह्मकमल को माना जाता है शुभ

मान्यता है कि इस फूल को देखकर जो भी मांगा जाए मिल जाता है. यह अत्यंत सुंदर चमकते सितारे जैसा आकार लिए मादक सुगंध वाला पुष्प है. ब्रह्मकमल को हिमालयी फूलों का सम्राट भी कहा गया है. यह कमल आधी रात के बाद खिलता है इसलिए इसे खिलते देखना स्वप्न समान ही है. एक विश्वास है कि अगर इसे खिलते समय देख कर कोई कामना की जाए तो अतिशीघ्र पूरी हो जाती है. ब्रह्मकमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि सिर्फ रात्रि में ही खिलता है. दुर्लभता के इस गुण के कारण से ब्रह्मकमल को शुभ माना जाता है.

6 Brahma Kamal bloomed together in Bhanupratappur of kanker
दुर्लभ ब्रह्मकमल

दवा के रूप में होता है इस्तमाल

ब्रह्मकमल औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण है. इसे सुखाकर कैंसर रोग की दवा के रूप में इस्तमाल किया जाता है. इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है, साथ ही पुरानी खांसी भी काबू हो जाती है. इस फूल की विशेषता यह है कि जब यह खिलता है तो इसमें ब्रह्म देव तथा त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है. ब्रह्मकमल न तो खरीदा जाना चाहिए और न ही इसे बेचा जाता है. इस पुष्प को देवताओं का प्रिय पुष्प माना गया है और इसमें जादुई प्रभाव भी होता है. इस दुर्लभ पुष्प की प्राप्ति आसानी से नहीं होती. हिमालय में खिलने वाला यह पुष्प देवताओं के आशीर्वाद सरीखा है. इसका खिलना देर रात आरंभ होता है तथा दस से ग्यारह बजे तक यह पूरा खिल जाता है. मध्य रात्रि से इसका बंद होना शुरू हो जाता है और सुबह तक यह मुरझा चुका होता है. इसकी सुगंध प्रिय होती है और इसकी पंखुडियों से टपका जल अमृत समान होता है.

मां नंदा का प्रिय है बह्मकमल

धार्मिक मान्यता ब्रह्मकमल का अर्थ होता है ब्रह्मा का कमल, यह फूल मां नन्दा का प्रिय पुष्प है, इसलिए इसे नन्दाष्टमी के समय में तोड़ा जाता है और इसके तोड़ने के भी सख्त नियम होते हैं. कहा जाता है कि आम तौर पर फूल सूर्यास्त के बाद नहीं खिलते, पर ब्रह्म कमल एक ऐसा फूल है जिसे खिलने के लिए सूर्य के अस्त होने का इंतजार करना पड़ता है. ब्रह्मकमल को अलग-अलग जगहों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे उत्तराखंड में ब्रह्मकमल, हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस नाम से इसे जाना जाता है.

Last Updated : Jul 18, 2021, 5:23 PM IST
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