कवर्धा: कवर्धा की जीवनदायनी नदी के नाम से मशहूर सकरी नदी के अस्तित्व को बचाने और संवारने का उद्देश्य जिला प्रशासन का सफल माना जा रहा (water in dry Sakri river ) है. जिला प्रशासन के योजनाबद्ध काम का असर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. हर साल गर्मी के सीजन में सूख जाने वाली सकरी नदी में अभी कलकल जलधारा बह रही है. यही कारण है कि वर्षों बाद इस साल के मई माह में नदी में पानी का प्रवाह चल रहा है, जिससे जिले वासियों में खुशी देखी जा रही है.
नदी में पानी की उम्मीद छोड़ चुके थे लोग: दरअसल, कवर्धा जिले की जीवनदायनी इस सकरी नदी से पुराने समय से ही लोगों के निस्तारी और इलाके में सिंचाई होती रही है. लेकिन पिछले कई वर्षो से सकरी नदी फरवरी मार्च माह के बाद पूरी तरह से सूखने के कागार पर रहती थी. जिसे लेकर जिलेवासी काफी चिंतीत दिख रहे थे. नदी को बचाने को पहले भी प्रशासन और लोगों द्वारा प्रयास किया गया. लेकिन कारगर साबित नहीं हुआ. लेकिन बीते कुछ माह में कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा और प्रसासन कि टीम ने सिचांई विभाग व मनरेगा के तहत कार्ययोजना बनाकर नदी को संवारने के लिए कार्य किया.
कवर्धा की जीवनदायनी सकरी नदी : पहले ट्रायल करने ग्राम पंचायत सागौना मे सकरी नदी पर नदी की पूर्णता चौड़ाई बनाई गई. नदी में लगभग 8 फीट गहरा गोदाई कर नदी में जमे गाद को निकाला गया. गाद निकलाने से नदी अपने अस्तित्व में आ गई. नदी में पानी का उदगम होने लगा. ट्रायल स्थान पर कुछ दिनों तक पानी का भराव रखकर छोड़ा गया. तो पानी यथावत ही रहा. प्रशासन का ट्रायल सफल होने पर कार्य आगे बढ़ते हुए 3.50 किलोमीटर सकरी नदी में उसी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए शहरी क्षेत्र के नदी में कार्य किया गया. यही कारण है कि आज मई माह में भी कवर्धा के सकरी नदी में लबालब पानी भरा हुआ है.
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महज तीन माह में सकरी नदी हुई जिंदा: सकरी नदी के उत्थान के लिए सिर्फ 3 माह में ही कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा और उनकी टीम की मेहनत रंग लाई है. अप्रैल-मई माह में सकरी नदी में चल रहे जल प्रवाह को देखकर जिलेवासी काफी खुश हैं. नदी के किनारे बसे ग्रामवासी नदी से निस्तारी करने लगे है. वहीं, किसानों को खेतों में भी सिंचाई के लिए फायदा मिलने लगेगा. इससे ग्रामीण काफी खुश दिखाई दे रहें हैं. इस कार्ययोजना को कुछ और वर्षों तक निरंतर जारी रखा गया है. इसकी सही तरिके से मॉनिटरिंग की जाए तो इस नदी में बारह महीने पानी नजर आऐगा.
नदी किनारे हरियाली की तैयारी: कलेक्टर ने इसी कार्ययोजना को नदी के आखिरी छोर तक करने और शहरी क्षेत्र में सकरहा घाट से लेकर राजा घाट तक नदी के किनारे पीचिंग कराके बडे़ स्तर में वृक्षारोपण कराने की तैयारी कर रहे हैं. ताकि नदी किनारे हरियाली बनी रहे. ताकि लोग नदी किनारे वॉक कर सके.
इस तरह अस्तित्व में आई नदी: कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने बताया कि "सकरी नदी जिलेवासियों को प्रकृति ने तोहफा दिया है. लेकिन कुछ वर्षों से इस तोहफे को सहेज न पाने के कारण नदी ने अपना अस्तित्व ही खो दिया था. हमने जिलेवासियों से नदी को अस्तित्व मे लाने के लिए एक कार्ययोजना बनाई है. ट्रायल किया जो आसानी से सफल हुआ. हमें अधिक कुछ करने की आवश्यकता नहीं है. हमने नदी को उसके पूर्णता चौड़ाई में लाने के लिए नदी के आसपास हुए अतिक्रमण को हटाया. नदी में मनरेगा के तहत खुदाई कराकर नदी में जमे लगभग 7 से 8 फीट गाद को बहार निकाला तो नदी अपने अस्तित्व में आ गई. फिर हमने नदी को सरोधा डैम से कनेक्ट करके पानी की व्यवस्था कराई और नदी अब पूरी तरह अस्तित्व में आने लगी है".
हरियाली देख लोग आएंगे घूमने: अब आगे शहरी क्षेत्रों के नालियों से आने वाले गंदे पानी को नदी में जाने से रोकने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए नदी के किनारे नाला बनाकर शहर के गंदे पानी को फिल्टर करके नदी में डालने की तैयारी की जायेगी. साथ ही शहरी क्षेत्र में नदी के किनारे पिचिंग कराया जायेगा. आने वाले पर्यावरण दिवस के अवसर पर बड़े स्तर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन करके नदी के किनारे वृक्षारोपण कराया जाऐगा ताकि नदी के आसपास हरियाली बनी रहे और लोग यहां घूमने आ सके.