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कवर्धा: जिन्हें राष्ट्रपति ने गोद ले रखा है, उन्हें जरूरी सुविधाएं तक नसीब नहीं

अपने आप को बैगा आदिवासियों की हितैषी बताने वाली सरकारें आई और चली गईं फिर भी उनकी मूलभूत सुविधा पूरी न कर सकीं. जिले के कलेक्टर ने भी इस बात को स्वीकार करते हुए वनांचल के कई गांवों को पहुंचविहीन बताया है.

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Published : Sep 19, 2019, 2:36 PM IST

Updated : Sep 19, 2019, 3:40 PM IST

वनांचल के कई गांव पहुंचविहीन

कवर्धा: छत्तीसगढ़ प्रशासन बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकता है. सरकार बदलते ही नए-नए दावे किए जाते हैं पर जैसे ही इन दावों की जमीनी हकीकत पर आपकी नजर जाएगी, सारे दावे धरे के धरे रह जाएंगे. आज हम बात करने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले बैगा आदिवासियों की. ये हालत है 15 साल तक सूबे के मुखिया रहे रमन सिंह के गृह जिले कवर्धा का है.

जिन्हें राष्ट्रपति ने गोद ले रखा है, उन्हें जरूरी सुविधाएं तक नसीब नहीं

जिले के बैगा आदिवासियों के हालात ये हैं कि बीमार होने के बावजूद वाहन की सुविधा तक नहीं मिल रही है. अपने आप को बैगा आदिवासियों की हितैषी बताने वाली सरकारें आई और चली गईं फिर भी उन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नसीब न हो सकीं.

कलेक्टर ने भी स्वीकारी कमी

जिले के कलेक्टर ने भी इस बात को स्वीकार करते हुए वनांचल के कई गांवों को पहुंचविहीन बताया है. विलुप्ति की कगार पर खड़े राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा आदिवासियों के गांव आज तक सड़क नहीं पहुंची है.

पढ़ें: SPECIAL: नारी ने जब ठानी, बदल गई इस गांव की सूरत

किसी तरह पहुंच रहा है स्वास्थ्य विभाग

सबसे बड़ी बात ये है कि इतनी तकलीफों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग किसी न किसी तरह उन गांव तक पहुंचकर अपनी सेवाएं दे रहा है, जो वाकई तारीफ के काबिल है, लेकिन सिस्टम में बैठे आकाओं को भी जल्द ही इस ओर ध्यान देने की जरूरत है, नहीं तो हालात पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा.

कवर्धा: छत्तीसगढ़ प्रशासन बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकता है. सरकार बदलते ही नए-नए दावे किए जाते हैं पर जैसे ही इन दावों की जमीनी हकीकत पर आपकी नजर जाएगी, सारे दावे धरे के धरे रह जाएंगे. आज हम बात करने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले बैगा आदिवासियों की. ये हालत है 15 साल तक सूबे के मुखिया रहे रमन सिंह के गृह जिले कवर्धा का है.

जिन्हें राष्ट्रपति ने गोद ले रखा है, उन्हें जरूरी सुविधाएं तक नसीब नहीं

जिले के बैगा आदिवासियों के हालात ये हैं कि बीमार होने के बावजूद वाहन की सुविधा तक नहीं मिल रही है. अपने आप को बैगा आदिवासियों की हितैषी बताने वाली सरकारें आई और चली गईं फिर भी उन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नसीब न हो सकीं.

कलेक्टर ने भी स्वीकारी कमी

जिले के कलेक्टर ने भी इस बात को स्वीकार करते हुए वनांचल के कई गांवों को पहुंचविहीन बताया है. विलुप्ति की कगार पर खड़े राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा आदिवासियों के गांव आज तक सड़क नहीं पहुंची है.

पढ़ें: SPECIAL: नारी ने जब ठानी, बदल गई इस गांव की सूरत

किसी तरह पहुंच रहा है स्वास्थ्य विभाग

सबसे बड़ी बात ये है कि इतनी तकलीफों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग किसी न किसी तरह उन गांव तक पहुंचकर अपनी सेवाएं दे रहा है, जो वाकई तारीफ के काबिल है, लेकिन सिस्टम में बैठे आकाओं को भी जल्द ही इस ओर ध्यान देने की जरूरत है, नहीं तो हालात पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा.

Intro:
कवर्धा-आजादी के सत्तर साल बाद भी कवर्धा जिले अंतर्गत वनांचल के कई गांव आज भी सड़क मार्ग से नही जुड़ पाया है,यही कारण है कि राष्ट्रपति के दत्तकपुत्र कहे जाने वाले बैगा आदिवासियों को कई शासकीय योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है और सड़क के अभाव में मरीजों को खाट के सहारे अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।Body:एंकर-मरीजों को समय पर ईलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से शासन ने एम्बुलेंस 108, महतारी एक्सप्रेस और बाईक एम्बुलेंस जैसे अनेक संसाधनों का संचालन कर रही है,और जमीनी स्तर पर इनका लाभ भी लोगों को मिल रहा है,लेकिन कवर्धा जिले के वनांचल में रहने वाले बैगा आदिवासियों को आज भी बीमार होने पर वाहन की सुविधा नही मिल पा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण पहुंचविहीन मार्ग है। जी हां, शासन-प्रशासन भले ही विकास की लाख दावा करते हों लेकिन जिले के वनांचल इलाके के लोगों बीमार होने पर सरकारी तंत्रों का कोई लाभ नही मिल रहा है,जिसके कारण कई आदिवासियों की मौत भी हो चुकी है। जबकि इन तमाम जरूरी सुविधाओ की आवश्यकता बैगा आदिवासियों को मिलनी चाहिए मगर सड़को के अभाव में सभी योजनाएं बौना साबित हो रही है। Conclusion:वही जिले के कलेक्टर भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि वनांचल के कई गांव पहुंचविहीन है। ऐसे में सड़कों का निर्माण कराने के बजाय कलेक्टर स्वास्थ्य विभाग की तारीफों का पुल बांध रहें है और खाट पर लिटाकर मरीजों को अस्पताल पहुंचाना साथ ही घोड़े पर दवाओं की सप्लाई करना स्वास्थ्य विभाग का अच्छा प्रयास बता रहें हैं।
बाईट-01-अवनीश शरण, कलेक्टर कवर्धा
Last Updated : Sep 19, 2019, 3:40 PM IST
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