कवर्धा: छत्तीसगढ़ प्रशासन बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकता है. सरकार बदलते ही नए-नए दावे किए जाते हैं पर जैसे ही इन दावों की जमीनी हकीकत पर आपकी नजर जाएगी, सारे दावे धरे के धरे रह जाएंगे. आज हम बात करने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले बैगा आदिवासियों की. ये हालत है 15 साल तक सूबे के मुखिया रहे रमन सिंह के गृह जिले कवर्धा का है.
जिले के बैगा आदिवासियों के हालात ये हैं कि बीमार होने के बावजूद वाहन की सुविधा तक नहीं मिल रही है. अपने आप को बैगा आदिवासियों की हितैषी बताने वाली सरकारें आई और चली गईं फिर भी उन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नसीब न हो सकीं.
कलेक्टर ने भी स्वीकारी कमी
जिले के कलेक्टर ने भी इस बात को स्वीकार करते हुए वनांचल के कई गांवों को पहुंचविहीन बताया है. विलुप्ति की कगार पर खड़े राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा आदिवासियों के गांव आज तक सड़क नहीं पहुंची है.
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किसी तरह पहुंच रहा है स्वास्थ्य विभाग
सबसे बड़ी बात ये है कि इतनी तकलीफों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग किसी न किसी तरह उन गांव तक पहुंचकर अपनी सेवाएं दे रहा है, जो वाकई तारीफ के काबिल है, लेकिन सिस्टम में बैठे आकाओं को भी जल्द ही इस ओर ध्यान देने की जरूरत है, नहीं तो हालात पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा.