कवर्धा: लॉकडाउन की वजह से किसान परेशान हैं. ये साल प्रदेश के किसानों के लिए अच्छा नहीं रहा. किसानों को इस साल दोहरी मार झेलनी पड़ी है. जिले में इस वर्ष धान की फसल अच्छी हुई है. जब किसानों के धान बेचने की बारी आई तो बेमौसम बारिश ने आधे से ज्यादा फसल बर्बाद कर दी. इसके बाद किसानों को बारदाने की समस्या से जूझना पड़ा. धान खरीदी में जो किसान धान नहीं बेच पाए वे अब लॉकडाउन की वजह से परेशान हैं. अब खरीदी केंद्रों में रखे धान को किसानों को वापस घर ले जाने को कहा जा रहा है.
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इस साल धान खरीदी देर से शुरू हुई थी. बारिश और बारदाने की कमी की वजह से जिले के 19 हजार किसान टोकन कटने के बाद भी अंतिम तिथि तक धान नहीं बेच पाए. धान नहीं बिकने की वजह से किसानों ने जिले में जमकर प्रदर्शन किया था. इसके बाद सरकार ने उन किसानों का धान खरीदने की मंजूरी दी थी जिनका टोकन पहले ही कट गया है. जिले में जब धान खरीदी शुरू हुई तब कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन हो गया और खरीदी फिर रोक दी गई. 4-5 महीनों से सोसाइटियों में रखे धान बारिश और धूप में सूखकर वजन में कम हो गए. जिन टोकनधारियों के धान का वजन लॉकडाउन के पहले कर दिया गया था उन्हें भी अब धान लौटाए जा रहे हैं.
बंद कर दिया गया है धान खरीदी का सॉफ्टवेयर
सोसाइटी प्रभारियों का कहना है कि लॉकडाउन के साथ ही धान खरीदी का सॉफ्टवेयर बंद कर दिया गया है. जो बच गए है उन्हें सिस्टम में अपडेट नहीं किया जा सकता है. जिले में 3500 किसानों का 2 लाख क्विंटल धान नहीं बिक पाया है. इस स्थिति में किसानों के पास घर चलाने की समस्या आ खड़ी हुई है.