कवर्धा: ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक और जनआस्था का प्रतीक भोरमदेव मंदिर में सावन के दौरान विशेष पूजा अर्चना होती है. यहां कंवरियों के साथ ही श्रद्धालुओं की ओर से पदयात्रा कर भगवान शिव को जलाभिषेक करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कबीरधाम जिले में श्रावण मास के पहले सोमवार के लिए भोरमदेव पदयात्रा का आयोजन किया गया है. इसे लेकर जिले के कलेक्टर जनमेजय महोबे ने रविवार को कवर्धा के प्रचीन बूढा महादेव मंदिर से भोरमदेव मंदिर तक होने वाली पदयात्रा की तैयारियों का निरीक्षण किया. कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, पुलिस और जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को स्वास्थ्य सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं व्यवस्थित करने का निर्देश दिया.
18 किलोमीटर लंबी पदयात्रा: भोरमदेव मंदिर में सोमवार 10 जुलाई को बूढ़ा महादेव मंदिर से भोरमदेव मंदिर तक 18 किलोमीटर की पदयात्रा सुबह 7 बजे शुरू होगी. सदियों से चली आ रही यह पदयात्रा प्रशासनिक तौर पर आमजनों के सहयोग से कवर्धा के बूढ़ामहादेव मंदिर से अनवरत जारी है. इस पदयात्रा में जिले के जनप्रतिनिधि और कलेक्टर, एसपी समेत सभी आला-अधिकारी भी शामिल होते हैं.
जिला प्रशासन की ओर से पदयात्रा और पदयात्रा में शामिल होने वाले भक्तों के लिए स्वास्थ्य सहित अन्य सुविधाएं की तैयारियां पूरी कर ली गई है. साथ ही जिले से बाहर से आने वाले पदयात्रियों के लिए रोड मैप भी तैयार है. सम्पूर्ण पदयात्रा के लिए डीजे साउंड बॉक्स और स्वास्थ्य विभाग का चलित एम्बुलेंस रहेगा. श्रद्धालुओं के हेल्थ चेकअप की व्यवस्था की गई है. वन विभाग की ओर से ग्राम छपरी (गौशाला) और भोरमदेव मंदिर परिसर के अंदर पौधरोपण भी कराया जाएगा. -जनमेजय महोबे, कलेक्टर कवर्धा
सावन के पहले सोमवार में कैसे करें पूजा : सावन के पहले सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान ध्यान के बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें. साथ ही माता पार्वती और उनके समस्त परिवार को गंगा जल अर्पित करें. इसके बाद पंचामृत से शिव जी का रुद्राभिषेक करें. रुद्राभिषेक करते समय 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप निरंतर करते रहें. ऐसा करने के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन, अक्षत, इत्यादि अर्पित करें. ऐसा करने के बाद शिव स्त्रोत का पाठ करें और अंत में शिवजी की आरती के साथ पूजा संपन्न करें.