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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस: इन टूटी दीवारों, जर्जर स्कूल भवनों में कैसे संवरेगा भविष्य - शासकीय प्राथमिक शाला केशलीगोड़ान

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ में शिक्षा का गिरता स्तर सरकार की पोल खोल रहा है. शासकीय प्राथमिक शाला केशलीगोड़ान में स्कूल की हालत बद से बदतर है.

national education day story of keshligodan school in kawardha
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Published : Nov 11, 2019, 2:19 PM IST

कवर्धा : छत्तीसगढ़ में शिक्षा की तस्वीर दिन-ब-दिन बदहाल हो रही, कभी जर्जर भवन की तस्वीरें सामने आती हैं. तो कभी बुनियादी स्तर पर अव्यस्थाओं की...आज पूरा भारत शिक्षा दिवस मना रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ में सरकार की कवायदों और दावों के बाद भी शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट देखी जा रही है. अपने सामाजिक दायित्व को निभाते हुए ETV भारत ने स्कूलों को लेकर 'आओ स्कूल चलें' मुहिम चलाई थी, ताकि राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार संभव हो.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर शिक्षा का गिरता स्तर

इन सब के बावजूद राज्य से लगातार ऐसे तस्वीरें सामने आती रहती हैं, जो सरकारी दावों और वादों की पोल खोलती हैं. ताजा तस्वीर कवर्धा जिले के सरकारी स्कूल की है. पंडरिया ब्लॉक मुख्यालय से महज सात किलोमीटर दूर शासकीय प्राथमिक शाला केशलीगोड़ान की. यहां की तस्वीर बदलने के लिए सरकार ने लाखों रुपए पानी की तरह बहाए, लेकिन इतने खर्च के बावजूद जर्जर दीवार, उखड़ी हुई जमीन टेबल-बेंच का अभाव और शौचालय की अनुपयोगिता ही सामने आई. इस स्कूल में 80 छात्र-छात्राएं शिक्षा के अभाव में अपनी किस्मत का सितारा चमकाने की कोशिश कर रहे हैं.

छत का प्लास्टर गिर चुका
जब हमने बदहाल हालत पर बच्चों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि कक्षा में पढ़ाई के समय कई बार छत का प्लास्टर उन पर गिर चुका है. वहीं स्कूल की प्रधानपाठिका ने कहा कि हमने स्कूल के हालात से ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया था. इस पर शिक्षा अधिकारी ने रिपेयरिंग के लिए प्रस्ताव बनाकर स्कूल भवन का मरम्मत कराने की बात की.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
बता दें कि भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की याद में देश 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) ने 11 सितंबर, 2008 को घोषणा की कि भारत में अबुल कलाम आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान हैं. इसलिए उनको याद करके भारत के इस महान पुत्र के जन्मदिन को शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाएगा.

कवर्धा : छत्तीसगढ़ में शिक्षा की तस्वीर दिन-ब-दिन बदहाल हो रही, कभी जर्जर भवन की तस्वीरें सामने आती हैं. तो कभी बुनियादी स्तर पर अव्यस्थाओं की...आज पूरा भारत शिक्षा दिवस मना रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ में सरकार की कवायदों और दावों के बाद भी शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट देखी जा रही है. अपने सामाजिक दायित्व को निभाते हुए ETV भारत ने स्कूलों को लेकर 'आओ स्कूल चलें' मुहिम चलाई थी, ताकि राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार संभव हो.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर शिक्षा का गिरता स्तर

इन सब के बावजूद राज्य से लगातार ऐसे तस्वीरें सामने आती रहती हैं, जो सरकारी दावों और वादों की पोल खोलती हैं. ताजा तस्वीर कवर्धा जिले के सरकारी स्कूल की है. पंडरिया ब्लॉक मुख्यालय से महज सात किलोमीटर दूर शासकीय प्राथमिक शाला केशलीगोड़ान की. यहां की तस्वीर बदलने के लिए सरकार ने लाखों रुपए पानी की तरह बहाए, लेकिन इतने खर्च के बावजूद जर्जर दीवार, उखड़ी हुई जमीन टेबल-बेंच का अभाव और शौचालय की अनुपयोगिता ही सामने आई. इस स्कूल में 80 छात्र-छात्राएं शिक्षा के अभाव में अपनी किस्मत का सितारा चमकाने की कोशिश कर रहे हैं.

छत का प्लास्टर गिर चुका
जब हमने बदहाल हालत पर बच्चों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि कक्षा में पढ़ाई के समय कई बार छत का प्लास्टर उन पर गिर चुका है. वहीं स्कूल की प्रधानपाठिका ने कहा कि हमने स्कूल के हालात से ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया था. इस पर शिक्षा अधिकारी ने रिपेयरिंग के लिए प्रस्ताव बनाकर स्कूल भवन का मरम्मत कराने की बात की.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
बता दें कि भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की याद में देश 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) ने 11 सितंबर, 2008 को घोषणा की कि भारत में अबुल कलाम आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान हैं. इसलिए उनको याद करके भारत के इस महान पुत्र के जन्मदिन को शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाएगा.

Intro:
एंकर-शासकीय स्कूलों के बदहाली की तश्वीर बदलने सरकार लाखों रुपय खर्च कर कई तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन कवर्धा जिले के शासकीय स्कूलों की दशा में कोई सुधार नजर नही दिख रहा है।
Body:दरअसल हम बात कर रहें हैं पंडरिया ब्लॉक मुख्यालय से महज सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित शासकीय प्राथमिक शाला केशलीगोड़ान की। वर्तमान में इस स्कूल में 80 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं,स्कूल भवन बुरी तरह जर्जर हालात में हैं वहीं बच्चों की शौचालय भी अनुपयोगी हो गई है साथ ही टेबल-बेंच के अभाव में छात्रों को उखड़ीं हुई जमीन में बैठकर पढ़ाई करना पड़ता है। हालात ये है कि कभी भी बच्चे बड़ी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।बच्चों का कहना है कि कक्षा में पढ़ाई के समय कई बार छत का प्लास्टर बच्चो के ऊपर गिर चुका है,जिसके कारण बच्चों को हमेशा जान का भय बना रहता है।वही स्कूल के प्रधान पाठिका का कहना है कि कक्षाओं में पढ़ाई के समय कई बार छत का प्लास्टर गिर चुका है। Conclusion:वहीं मामले की अवगत हमने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को कराया तो रिपेयरिंग के लिए प्रस्ताव बनाकर स्कूल भवन का मरम्मत कराने की बात कह रहे हैं।

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