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कवर्धा: प्रबंधन की लापरवाही से शक्कर कारखाना को हर साल हो रहा लाखों का नुकसान! - प्रबंधन की लापरवाही

प्रबंधन की लापरवाही से हर साल शक्कर कारकान को लाखों का नुकसान हो रहा है, लेकिन प्रबंधन इसपर मौन है. वहीं जिले के किसानों का कहना है कि प्रबंधन की लापरवाही के कारण कभी भी सरकार कंपनी को बंद कर सकती है. ऐसे में उनको भारी नुकसान हो सकता है.

शक्कर कारखाना में पड़ा मोलेसिस
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Published : Feb 27, 2019, 8:39 AM IST

कवर्धा: किसानों को लाभ देने के लिए जिले में शक्कर कारखाना तो बना दिया गया, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही से साल 2015 से अब तक कंपनी को करोड़ों का नुकसान हो चुका है. जिसपर कंपनी प्रबंधन का कोई ध्यान नहीं है.

कवर्धा जिले में भारी मात्रा में गन्ने का उत्पादन होता है. जिसका लाभ किसानों के देने के लिए सरकार ने 2015 में 2 करोड़ की लागत से यहां एक हाईटेक शक्कर कारखाना खोला था. उस समय गन्ने के रस से निकलने वाले मोलेसिस को जमा करने के लिए एक ही टैंक बनाया गया था. जो बहुत जल्दी भर जाता है. जिसके कारण प्रबंधन बाकी मोलेसिस को पास में ही जमीन में कच्चा गड्ढा बनाकर जमा करता है. इससे ज्यादातर मोलेसिस को जमीन सोख लेता है या खुले में होने के कारण ये खराब हो जाता है. जिससे हर साल कंपनी को लाखों का चूना लग रहा है.

मोलेसिस गन्ने के रस का वो हिस्सा होता है, जिससे शक्कर नहीं बन सकता है. मोलेसिस को शराब बनाने के अलावा और भी कई कामों में उपयोग किया जाता है. फिलहाल मोलेसिस 1800 रुपये प्रति क्विंटल बेचा जाता है. जिससे उनुमान लगाया जाता है कि, कंपनी को हर साल लाखों का नुकसान हो रहा है. जिले के किसानों का कहना है कि, कंपनी ने जितने रुपये का मोलेसिस बर्बाद कर दिया है, उतने में अब तक तीन-चार टैंक आ जाते. जिसमें मोलेसिस को जमा कर कंपनी लाखों का मुनाफा कमा सकती थी.

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किसानों का कहना है कि, कंपनी की इस लापरवाही के कारण नुकसान तो सरकार का हो रहा है. ऐसे में सरकार कई बार कंपनी से नुकसान होने की बात कह कंपनी को बंद करने या किसानों को उनके उत्पादन का ज्यादा मूल्य नहीं दे पाती है. ऐसे में सरकार को भी मामले में संज्ञान लेकर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए और कंपनी के मुनाफे को किसानों के साथ शेयर करनी चाहिए. तभी देश में किसनों की स्थिति में सुधार आएगा.

negligence of Management
सरदार वल्लभ भाई शक्कर कारखाना

कवर्धा: किसानों को लाभ देने के लिए जिले में शक्कर कारखाना तो बना दिया गया, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही से साल 2015 से अब तक कंपनी को करोड़ों का नुकसान हो चुका है. जिसपर कंपनी प्रबंधन का कोई ध्यान नहीं है.

कवर्धा जिले में भारी मात्रा में गन्ने का उत्पादन होता है. जिसका लाभ किसानों के देने के लिए सरकार ने 2015 में 2 करोड़ की लागत से यहां एक हाईटेक शक्कर कारखाना खोला था. उस समय गन्ने के रस से निकलने वाले मोलेसिस को जमा करने के लिए एक ही टैंक बनाया गया था. जो बहुत जल्दी भर जाता है. जिसके कारण प्रबंधन बाकी मोलेसिस को पास में ही जमीन में कच्चा गड्ढा बनाकर जमा करता है. इससे ज्यादातर मोलेसिस को जमीन सोख लेता है या खुले में होने के कारण ये खराब हो जाता है. जिससे हर साल कंपनी को लाखों का चूना लग रहा है.

मोलेसिस गन्ने के रस का वो हिस्सा होता है, जिससे शक्कर नहीं बन सकता है. मोलेसिस को शराब बनाने के अलावा और भी कई कामों में उपयोग किया जाता है. फिलहाल मोलेसिस 1800 रुपये प्रति क्विंटल बेचा जाता है. जिससे उनुमान लगाया जाता है कि, कंपनी को हर साल लाखों का नुकसान हो रहा है. जिले के किसानों का कहना है कि, कंपनी ने जितने रुपये का मोलेसिस बर्बाद कर दिया है, उतने में अब तक तीन-चार टैंक आ जाते. जिसमें मोलेसिस को जमा कर कंपनी लाखों का मुनाफा कमा सकती थी.

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किसानों का कहना है कि, कंपनी की इस लापरवाही के कारण नुकसान तो सरकार का हो रहा है. ऐसे में सरकार कई बार कंपनी से नुकसान होने की बात कह कंपनी को बंद करने या किसानों को उनके उत्पादन का ज्यादा मूल्य नहीं दे पाती है. ऐसे में सरकार को भी मामले में संज्ञान लेकर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए और कंपनी के मुनाफे को किसानों के साथ शेयर करनी चाहिए. तभी देश में किसनों की स्थिति में सुधार आएगा.

Intro:कवर्धा जिले काहाईटेक सूगर मिल , लागत 2 करोड़ पर व्यवस्था कौडी की नही, फायदा पहुंचाने के बजाऐ पहुंचा रहे नुकसान प्रबंधक


Body:कवर्धा जिले का दूसरा हाईटेक सूगर मिल, लोहा पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल शक्कर कारखान लगभग 2 करोड़ के लागत से निर्माण तो कर दिया गया पर मोलेसिस के लिए नही किया गया व्यवस्था एक टैक मे नही समा पाने के कारण हजारो क्विंटल मोलेसिस को कच्चा गढ्ढा खोद कर स्टाक किया जाता है। कच्चे के गढ्ढे मे बरसात के पानी व कचर व जमिन पीने के चलते प्रबंधक द्वारा कारखान को भारी चपत लगा जा रहा है।




एकंर- कवर्धा जिले मे गन्ना कि बडती खेती को देखते राज्य सरकार ने जिला को 2015 मे 2 करोड़ लागत से जिले मे एक और व हाईटेक सूगर मिल का निर्माण तो कर दिया किन्तु यहा के जुम्मेवार अधिकारी के मनमानी व लापरवाही के चलते सूगर मिल से निकलने वाली मोलेसिस को बरबाद करने मे लगे है जिससे कारखान को भारी नुकसान हो रहा है। जबकि हजारो क्विंटल मोलेसिस से को देचा जाता है तो कारखान को इससे काफी फायदा दिलाया जा सकता है। पर अधिकारी अपने मे मस्त है ।
इस संबंध मे किसान व संगठन के लोगो ने भी पूर्व मे भारी विरोध भी किया गया था। किसानों कि मांग थी की किसानों के हित को लेकर शक्कर कारखान का निर्माण कराया गया है। हमारे क्षेत्र की सूगर मिल को जो अधिकारी द्वारा नुकशान पहुचाया जा रहा है उसे बंद किया जाऐ कियूकी प्रति क्विंटल 1800 रुपये के अनुसार लगभग हजारों क्विंटल मोलेसिस के बरबाद होने से कारखान को करोड़ का नुकसान हो रहा है जो सही नही है सरकार मे किसानों के लिए बनाई है कारखाना तो इसको हित को लेकर सोचना किसानो का भी काम है। वही जब हमने कारखान के जुम्मेवार अधिकारी से बात कि तो इनके द्वारा बताया गया कि हमारे पास एक ही मोलेसिस टैंक है हमने एक और टैक बनवने के लिए प्रस्ताव भेजा है राशि मिलने पर एक और टैक का निर्माण किया जाऐगा वही गढ्ढे मे पडे मोलेसिस को पानी बताकर अपना बचाओ किया जाने कि कोसिस किया जा रहा था । जोकि आँखो मे धोल झोकने वाली बात है। जबकी अगर जितने मोलेसिस को बरबाद किया गया है। उसे सुरक्षित रखकर विक्रय किया जाता तो वैसे-वैसे दस टैंकों का निर्माण किया जाया जा सकता था।

बाईट01 रवि चंद्रवंशी, किसान
बाईट02 पी एल धुर्व, कारखान प्रबंधक


Conclusion:
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