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नवरात्र : कवर्धा में महाअष्टमी पर निभाई जाती है खप्पर की अनोखी परंपरा

जिले में अष्टमी की रात 12 बजे खप्पर यात्रा निकाली जाती है. जिसमें आस-पास के जिलों से आए श्रध्दालु शामिल होते हैं. प्रदेश की खुशहाली के लिए ये यात्रा निकाली जाती है.

खप्पर की अनोखी परंपरा
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Published : Oct 6, 2019, 11:02 PM IST

कवर्धा : प्रदेश में नवरात्र के दौरान अष्टमी पर नगर में देवी के खप्पर निकालने की परंपरा सालों से चली आ रही है. ये परंपरा पूरे भारत में सिर्फ दंतेवाड़ा और कवर्धा में ही निभाई जाती है. पहले कोलकाता में भी ये परंपरा निभाई जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से प्रदेश के दो जिलों में ही खप्पर की ये परंपरा देखी जाती है. कवर्धा में दो सिद्धपीठ मंदिर और एक देवी मंदिर से खप्पर निकाला जाता है.

खप्पर की अनोखी परंपरा

इसीलिए निकाले जाते हैं खप्पर

प्रदेश को आपदाओं से मुक्ति दिलाने के लिए माता के मंदिर से खप्पर निकाली जाती है. इस खप्पर यात्रा में नगर में विराजित अन्य देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है और सुख-शांति की कामना की जाती है.


अष्टमी मध्य रात्री में निकलती है माता की खप्पर यात्रा

हर नवरात्र में अष्टमी पर ठीक 12 बजे मंदिर से खप्पर निकाली जाती है. इस यात्रा के लिए रात में सकरी नदी में नहाने के बाद खप्पर उठाने वाले पंडों का श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद माता की सेवा में लगे पंडे परंपरानुसार 7 काल 182 देवी-देवता और 151 वीर बैतालों को मंत्रोच्चारणों के साथ आमंत्रित कर अग्नि से प्रज्जवलित कर मिट्टी के खप्पर में विराजित करते हैं, उसके बाद 108 नीबू काटकर रस्में पूरी की जाती है, जिसके बाद माता का खप्पर मंदिर से निकाला जाता है.


तलवार लेकर निकलता है खप्पर का रक्षक

अगुवान खप्पर की रक्षा के लिए निकलता है, जो दाहिने हाथ में तलवार लेकर खप्पर के लिए रास्ता साफ करता है. ऐसा माना जाता है कि खप्पर का रास्ता अवरुद्ध होने पर अगुवान तलवार से वार करता है. खप्पर के पीछे-पीछे पंडों का एक दल पूजा अर्चना करते हुए साथ चलता है.


यात्रा देखने दूर-दूर से आते हैं लोग

अष्टमी को नगर के दो सिद्धपीठ और एक आदिशक्ति देवी मंदिर से परम्परानुसार खप्पर निकाली जाती है. देवांगन पारा स्थित मां चंडी मंदिर, परमेश्वरी मंदिर और दंतेश्वरी मंदिर से खप्पर निकाली जाती है. ये यात्रा विभिन्न मार्गों से गुरजते हुए मोहल्लों में स्थापित 18 मंदिरों के देवी-देवताओं का विधिवत आह्वान करते हुए निकाली जाती है. यात्रा को देखने के लिए रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, मुंगेली और मंडला जैसे अन्य जिलों से भी लोग पहुंचते हैं.

कवर्धा : प्रदेश में नवरात्र के दौरान अष्टमी पर नगर में देवी के खप्पर निकालने की परंपरा सालों से चली आ रही है. ये परंपरा पूरे भारत में सिर्फ दंतेवाड़ा और कवर्धा में ही निभाई जाती है. पहले कोलकाता में भी ये परंपरा निभाई जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से प्रदेश के दो जिलों में ही खप्पर की ये परंपरा देखी जाती है. कवर्धा में दो सिद्धपीठ मंदिर और एक देवी मंदिर से खप्पर निकाला जाता है.

खप्पर की अनोखी परंपरा

इसीलिए निकाले जाते हैं खप्पर

प्रदेश को आपदाओं से मुक्ति दिलाने के लिए माता के मंदिर से खप्पर निकाली जाती है. इस खप्पर यात्रा में नगर में विराजित अन्य देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है और सुख-शांति की कामना की जाती है.


अष्टमी मध्य रात्री में निकलती है माता की खप्पर यात्रा

हर नवरात्र में अष्टमी पर ठीक 12 बजे मंदिर से खप्पर निकाली जाती है. इस यात्रा के लिए रात में सकरी नदी में नहाने के बाद खप्पर उठाने वाले पंडों का श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद माता की सेवा में लगे पंडे परंपरानुसार 7 काल 182 देवी-देवता और 151 वीर बैतालों को मंत्रोच्चारणों के साथ आमंत्रित कर अग्नि से प्रज्जवलित कर मिट्टी के खप्पर में विराजित करते हैं, उसके बाद 108 नीबू काटकर रस्में पूरी की जाती है, जिसके बाद माता का खप्पर मंदिर से निकाला जाता है.


तलवार लेकर निकलता है खप्पर का रक्षक

अगुवान खप्पर की रक्षा के लिए निकलता है, जो दाहिने हाथ में तलवार लेकर खप्पर के लिए रास्ता साफ करता है. ऐसा माना जाता है कि खप्पर का रास्ता अवरुद्ध होने पर अगुवान तलवार से वार करता है. खप्पर के पीछे-पीछे पंडों का एक दल पूजा अर्चना करते हुए साथ चलता है.


यात्रा देखने दूर-दूर से आते हैं लोग

अष्टमी को नगर के दो सिद्धपीठ और एक आदिशक्ति देवी मंदिर से परम्परानुसार खप्पर निकाली जाती है. देवांगन पारा स्थित मां चंडी मंदिर, परमेश्वरी मंदिर और दंतेश्वरी मंदिर से खप्पर निकाली जाती है. ये यात्रा विभिन्न मार्गों से गुरजते हुए मोहल्लों में स्थापित 18 मंदिरों के देवी-देवताओं का विधिवत आह्वान करते हुए निकाली जाती है. यात्रा को देखने के लिए रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, मुंगेली और मंडला जैसे अन्य जिलों से भी लोग पहुंचते हैं.

Intro:भारतदेश में कलकत्ता के बाद छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और कवर्धा में ही खप्पर निकालने की परंपरा रही है लेकिन अब यह परपंरा देशभर में केवल कवर्धा में बची हुई है। कवर्धा में दो सिद्धपीठ मंदिर और एक देवी मंदिर से परम्परानुसार खप्पर निकाला जाता है।Body:भारत वर्ष में देवी मंदिरों से खप्पर निकालने की परंपरा वर्षों पुरानी है।धार्मिक आपदाओं से मुक्ति दिलाने व नगर मेंं विराजमान देवी-देवताओं का रीति रिवाज के अनुरूप मान मनव्वल कर सर्वे भवन्तु सुखिन: की भावना स्थापित करना है।
कवर्धा में प्रत्येक शारदीय व चैत्र नवरात्रि पक्ष के अष्टमी के मध्य रात्रि ठीक 12 बजे दैविक शक्ति से प्रभावित होते ही समीपस्थ बह रही सकरी नदी के निकट घाट पर स्नान के बाद द्रुतगति से पुन: वापस आकर स्थापित आदिशक्ति देवी की मूर्ति के समक्ष बैठकर उपस्थित पंडों से श्रृंगार करवाया जाता है।माता की सेवा में लगे पण्डों द्वारा परंपरानुसार 07 काल 182 देवी देवता और 151 वीर बैतालों की मंत्रोच्चारणों के साथ आमंत्रित कर अग्नि से प्रज्जवलित मिट्टी के पात्र(खप्पर) में विराजमान किया जाता है। उसके बाद 108 नीबू काटकर रस्में पूरी की जाती है फिर माता की खप्पर मंदिर से निकाली जाती है। खप्पर की वेशभूषा वीर रूपी एक अगुवान भी निकलता, जो दाहिने हाथ में तलवार लेकर खप्पर के लिए रास्ता साफ करता है। मान्यता है कि खप्पर के मार्ग अवरूद्ध होने पर तलवार से वार करता है। खप्पर के पीछे-पीछे पण्डों का एक दल पूजा अर्चना करते हुए साथ रहता है, ताकि शांति बनी रहे।
आज रविवार है और अष्टमी को नगर के दो सिद्धपीठ और एक आदिशक्ति देवी मंदिर से परम्परानुसार खप्पर निकलेगी। देवांगन पारा स्थित मां चण्डी मंदिर, मां परमेश्वरी मंदिर और सत्ती वार्ड स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर से खप्पर निकलेगी। मध्यरात्रि 12.20 बजे मां दंतेश्वरी मंदिर से पहला खप्पर अगुवान की सुरक्षा में निकलेगी। इसके 10 मिनट बाद ही मां चण्डी से और फिर 10 मिनट के अंतराल में मां परमेश्वरी से खप्पर नगर भ्रमण को निकलेगी। विभिन्न मार्गों से गुरजते हुए मोहल्लों में स्थापित 18 मंदिरों के देवी-देवताओं का विधिवत आह्वान किया जाता है।Conclusion:अष्टमी की रात्रि शहर में मेला का माहौल रहता है और खप्पर देखने के लिए स्थानीय के अलावा गावों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है। इसके अलावा रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, मुंगेली और मंडला जैसे अन्य जिलों से भी लोग खप्पर देखने के लिए पहुंचते हैं।जहा अलग अलग जगहों में खप्पर का दर्शन करने हजारों की संख्या में लोगो की भीड़ एकत्र होती है। वहीं सुरक्षा के लिहाज से बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाता है।

बाईट-01-सुदर्शन पाली
बाईट-02-तिहारी, पंडा
बाईट-03-काशीराम,नगरवासी
बाईट-04-अखिलेश मिश्रा,मंदिर समिति
बाईट-05-राजू,मंदिर समिति
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