कवर्धा: शहर को प्राकृतिक आपदा से मुक्ति दिलाने, सुख-शांति और समृद्धि बनाये रखने के लिए महाअष्टमी पर अर्धरात्रि को मां दंतेश्वरी, चंडी और परमेश्वरी मंदिर से खप्पर निकाला जाएगा. कड़ी सुरक्षा के बीच रात 12 बजे से कवर्धा के तीन देवी मंदिरों से खप्पर निकाला जाएगा. खप्पर निकलने के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो इसके लिए पुलिस ने चाक-चौबंद व्यवस्था की है. शहर के सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर पुलिस के जवान तैनात रहेंगे. खप्पर के आगे और पीछे भी पुलिस जवान साथ होंगे. आज सारी तैयारियां मंदिर के समितियों ने पूरी कर ली है.
150 साल पुरानी परंपरा आज भी कायम
कवर्धा जिला वैसे तो बहुत से ऐतिहासिक धरोहर और पुरानी परंपरा के नाम से प्रसिद्ध है. उन्हीं में से एक खप्पर भी है. सालों पुरानी परंपरा आज भी कायम है. खप्पर की परंपरा 150 साल से भी अधिक पुरानी है. नवरात्रि के अष्टमी की देवी माता चंडी मंदिर, परमेश्वरी मंदिर और दंतेश्वरी मंदिर से रात्रि 12 बजे खप्पर निकाला जाता है. यह पूरे शहर का भ्रमण करती है. शहर के ठाकुर पारा, सिग्नल चौक, आम्बेडकर चौक, राज महल चौक होते हुए शहर के सभी मंदिरों के दर्शन कर वापस अपने अपने मंदिर में लौट आती है. खप्पर निकलने के दौरान सामने किसी को आने की अनुमति नहीं होती. एक हाथ में चमचमाती हुई तलवार और दूसरे हाथ में आग जलता हुआ खप्पर लेकर निकलती हैं. इस दौरान पीछे-पीछे टोली रहती है, जो खप्पर को शांत करती है.
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एसपी की अपील-पुलिस का करें सहयोग
कवर्धा एसपी शलभ कुमार सिन्हा ( Kawardha SP Shalabh Kumar Sinha) ने एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों से सहयोग की अपील की है. एसपी ने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर जिले में धारा 144 लागू है. खप्पर निकलने के दौरान घरों में ही रहें. पुलिस का सहयोग करें. अगर कोई भी व्यक्ति बहार निकलता है, तो उसके खिलाफ कड़ी करवाई की जाएगी.
धारा 144 के बीच निकलेगा खप्पर
इस बार कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर जिले में धारा 144 लागू है. देवी स्वरूप खप्पर को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. इसके चलते जिला प्रशासन ने कड़े चाक-चौबंद व्यवस्था किया है. आम लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी गई है. खप्पर मंदिर से निकलकर नगर भ्रमण कर मंदिर में वापस जाते तक प्रशासन की कड़ी व्यवस्था रहेगी. इस दौरान घर से बाहर निकलने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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इस तरह से तैयार होता है खप्पर
नवरात्रि में अष्टमी की मध्यरात्रि 12 बजे दैवीय शक्ति से प्रभावित होते ही सकरी नदी के नियत घाट में आदिशक्ति देवी की मूर्ति के समक्ष बैठकर उपस्थित पंडा श्रृंगार करते हैं. लगभग 10:30 बजे से ही माता की सेवा में लगे पंडित परंपरानुसार 7 काल, 182 देवी-देवता और 151 वीर बैतालों की मंत्रोच्चारणों के साथ अग्नि से प्रज्ज्वलित मिट्टी के पात्र (खप्पर) में विराजमान करते हैं. 108 नींबू काटकर रस्में पूरी की जाती है. इसके बाद खप्पर मंदिर से निकाली जाती है.