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केमिकल मुक्त होली: भगवान पर चढ़े फूलों से बन रहा हर्बल गुलाल

कवर्धा में 'जय गंगा मैय्या महिला स्वयं सहायता समूह' की महिलाओं ने फूल और पत्तियों से हर्बल गुलाल तैयार किया है.

Herbal gulal prepared with flowers and leafs in kawardha
हर्बल गुलाल
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Published : Mar 5, 2020, 5:34 PM IST

Updated : Mar 5, 2020, 6:03 PM IST

कवर्धा : इस होली कवर्धावासियों को केमिकल युक्त गुलाल से होली नहीं खेलनी पड़ेगी. दरअसल, जिले में समूह की महिलाएं भगवान पर चढ़े फूल, पालक भाजी, नीम की पत्तियों से हर्बल गुलाल बना रहीं है. कवर्धा जिले में 'भोरमदेव हर्बल गुलाल' के स्टॉल लगाकर बिक्री की जा रही है.

भगवान पर चढ़े फूलों से बन रहा हर्बल गुलाल

ग्राम राजानवागांव की महिलाएं फूल से रंग-बिरंगे गुलाल तैयार कर रही हैं. जिसमें खास बात ये है कि यह गुलाल भगवान पर चढ़ने के बाद विसर्जित करने के लिए रखे फूलों से तैयार किया जाता है.

भोरमदेव के मंदिरों में देवी-देवताओं पर चढ़े फूलों को नदी या तलाब में विसर्जित किया जाता है. इसकी उपयोग गुलाल बनाने में किया जा रहा है.

Herbal gulal prepared with flowers and leafs in kawardha
भोरमदेव हर्बल गुलाल

बिहान योजना का मिला साथ

महिलाओं ने बताया कि 'वे अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए 10 महिलाएं मिलकर पहले तो एक समूह बनाया जिसका नाम 'जय गंगा मैय्या महिला स्वं सहायता समूह रखा गया. जिसके बाद महिलाओं ने जिला पंचायत CEO से मिलकर समूह को आगे बढ़ाने की बात रखी. जिसपर अधिकारियों ने बिहान योजना अंतर्गत हर्बल गुलाल बनाने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया'.

Herbal gulal prepared with flowers and leafs in kawardha
फूलों से तैयार गुलाल

भगवान पर चढ़ने वाले फूलों का उपयोग

हर्बल गुलाल बनाने के लिए प्राकृतिक सामान जैसे फूल, पत्ती भी उपलब्ध कराने के लिए सुझाव दिया गया. महिलाएं भोरमदेव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाने वाले सभी प्रकार के फूलों को एकत्रित करती है. इसके अलावा आसपास गांव में नवधा, रामायण, भागवत हो तो वहां से भगवान पर चढ़ने के बाद विसर्जित करने के बजाए समूह की महिलाएं फूल लाती हैं.

शहर में लगे स्टॉल

महिलाएं केवल 15 दिनों में 1.50 क्विंटल से ज्यादा गुलाल तैयार कर चुकी हैं. और इसका नाम दिया है, भोरमदेव हर्बल गुलाल. जिसकी बिक्री करने शहर के बड़े मॉल, कलेक्टर कार्यालय और जिला पंचायत कार्यालय जैसी जगहों पर स्टॉल लगाकर की जा रही है.

10 अलग-अलग रंग के गुलाल

महिलाओं ने बताया कि गुलाल बनाने के लिए मुख्य रूप से गेंदा, गुलाब, दशमत, कागज फूल के साथ पालक और नीम के पत्तियों का उपयोग किया जाता है. जिसमें 10 अलग-अलग रंग के गुलाल तैयार किए जाते है.

कवर्धा : इस होली कवर्धावासियों को केमिकल युक्त गुलाल से होली नहीं खेलनी पड़ेगी. दरअसल, जिले में समूह की महिलाएं भगवान पर चढ़े फूल, पालक भाजी, नीम की पत्तियों से हर्बल गुलाल बना रहीं है. कवर्धा जिले में 'भोरमदेव हर्बल गुलाल' के स्टॉल लगाकर बिक्री की जा रही है.

भगवान पर चढ़े फूलों से बन रहा हर्बल गुलाल

ग्राम राजानवागांव की महिलाएं फूल से रंग-बिरंगे गुलाल तैयार कर रही हैं. जिसमें खास बात ये है कि यह गुलाल भगवान पर चढ़ने के बाद विसर्जित करने के लिए रखे फूलों से तैयार किया जाता है.

भोरमदेव के मंदिरों में देवी-देवताओं पर चढ़े फूलों को नदी या तलाब में विसर्जित किया जाता है. इसकी उपयोग गुलाल बनाने में किया जा रहा है.

Herbal gulal prepared with flowers and leafs in kawardha
भोरमदेव हर्बल गुलाल

बिहान योजना का मिला साथ

महिलाओं ने बताया कि 'वे अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए 10 महिलाएं मिलकर पहले तो एक समूह बनाया जिसका नाम 'जय गंगा मैय्या महिला स्वं सहायता समूह रखा गया. जिसके बाद महिलाओं ने जिला पंचायत CEO से मिलकर समूह को आगे बढ़ाने की बात रखी. जिसपर अधिकारियों ने बिहान योजना अंतर्गत हर्बल गुलाल बनाने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया'.

Herbal gulal prepared with flowers and leafs in kawardha
फूलों से तैयार गुलाल

भगवान पर चढ़ने वाले फूलों का उपयोग

हर्बल गुलाल बनाने के लिए प्राकृतिक सामान जैसे फूल, पत्ती भी उपलब्ध कराने के लिए सुझाव दिया गया. महिलाएं भोरमदेव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाने वाले सभी प्रकार के फूलों को एकत्रित करती है. इसके अलावा आसपास गांव में नवधा, रामायण, भागवत हो तो वहां से भगवान पर चढ़ने के बाद विसर्जित करने के बजाए समूह की महिलाएं फूल लाती हैं.

शहर में लगे स्टॉल

महिलाएं केवल 15 दिनों में 1.50 क्विंटल से ज्यादा गुलाल तैयार कर चुकी हैं. और इसका नाम दिया है, भोरमदेव हर्बल गुलाल. जिसकी बिक्री करने शहर के बड़े मॉल, कलेक्टर कार्यालय और जिला पंचायत कार्यालय जैसी जगहों पर स्टॉल लगाकर की जा रही है.

10 अलग-अलग रंग के गुलाल

महिलाओं ने बताया कि गुलाल बनाने के लिए मुख्य रूप से गेंदा, गुलाब, दशमत, कागज फूल के साथ पालक और नीम के पत्तियों का उपयोग किया जाता है. जिसमें 10 अलग-अलग रंग के गुलाल तैयार किए जाते है.

Last Updated : Mar 5, 2020, 6:03 PM IST
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