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कवर्धा में सुतियापाट पहाड़ के ऊपर गुफा में विराजमान हैं हिंगलाज माता...करती है सभी मनोकामना पूरी - Chaitra Navratri 2022

Hinglaj Mata of Kawardha: कवर्धा में हिंगलाज माता 52 सिद्ध पीठों में से एक हैं. यहां आने वाले हर शख्स की मुराद पूरी होती है.

Sutiapat mountain Hinglaj Mata
सुतियापाट पहाड़ हिंगलाज माता
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Published : Apr 5, 2022, 4:36 PM IST

Updated : Apr 5, 2022, 6:05 PM IST

कवर्धा: कवर्धा में विराजमान माता हिंगलाज भवानी मइया के दर्शन करने 25 सौ फिट ऊंची पहाड़ पर पथरिले रास्ते से पैदल पहुंचना पड़ता है. वहां तक पहुंचने वाले भक्तों की देवी माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती है. कवर्धा मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दूर राजनांदगांव मार्ग पर लोहारा विकासखंड का गांव सुतियापाट, जो जंगल के बीचों-बीच एक जलाशय के आस-पास बसा हुआ है. उसी से कुछ दूरी पर एक विशाल पहाड़ के उपर एक अंधेरे गुफा मेंं विराजमान हैं मां हिंगलाज भवानी. इस मंदिर में दर्शन करने लोगों को पैदल पथरिले रास्ते से होकर पहुंचना पड़ता है. (glory of Maa Hinglaj Bhavani Kwardha)

इस विषय में मंदिर के पुजारी हेमलाल कहते हैं कि इस मंदिर में पुजारी के रुप में वे लगभग 30 से 40 सालों से पूजा-पाठ कर रहे हैं. इससे पहले उनके पूर्वज यहां मंदिर में पूजापाठ कर मंदिर की देख-रेख करते थे. उनके जाने के बाद से मंदिर समिति देख-रेख करती है और वे यहां पूजापाठ करते हैं. यहां विराजमान माता हिंगलाज भवानी देवी का सिद्धपीठ है.

आसपास के पुराने लोगों को भी नहीं पता कि इस पहाड़ पर देवी माता कब से विराजमान हैं. पुराने लोग कहते हैं कि गाय बकरी चराने आऐ लोगों ने पहाड़ पर बने गुफा को देखा था. जब कुछ लोग एक साथ गुफा के अंदर घुसे तब अंदर जाने पर पता लगा कि अंदर सिद्धपीठ देवी मां विराजमान है. उसके बाद से धीरे-धीरे लोगों को पता चलने लगा और लोग यहां आने लगे.

हिंगलाज माता

2003 में पहाड़ के नीचे प्रशासन की तरफ से एक बड़े जलाशय का निर्माण कराया गया. जलाशय का नाम दिया गया सुतियापाट. तब लोग इस जलाशय के कारण आस-पास घर बनाकर बसने लगे और मंदिर में लोगों का आवागमन बढ़ने लगा.धीरे-धीरे मंदिर में रास्ता और अन्य व्यवस्था की गई. अब यहां मंदिर में देवी माता के दर्शन करने लोग पूरे प्रदेश भर से आते हैं. मंदिर काफी ऊंची पहाड़ में होने के कारण हर कोई मंदिर तक तो पहुंच नहीं पाते. लेकिन बहुत से लोग मंदिर तक पहुंच कर मां हिंगलाज के दर्शन कर आशिर्वाद जरूर लेते है. कहते हैं कि जो भी यहां एक बाद आर्शिवाद लेने जाता है. माता उसकी मुराद पूरी कर देती है. जिसके बाद श्रद्धालु यहां बार-बार आते हैं.

मंदिर में रहस्यमयी गुफा: जिस गुफा के अंदर देवी माता विराजमान है. उस गुफा को लोग रहस्यमयी बताते हैं. क्यूंकि गुफा के अंदर जाने पर लगभग 50 मिटन मे देवी मां विराजमान है. वहां से गुफा में अंदर जाने का रास्ता छोटा हो जाता है. लोग कुछ दूर तक जाकर वापस लोट आते हैं. किसी ने गुफा में पूरा अंदर घुसने की हिम्मत ही नहीं की. हालांकि लोग अंदाजा लगाते है की यहां से खुफा अंदर ही अंदर डोंगरगढ़ की माँ बम्लेश्वरी मंदिर और भोरमदेव मंदिर तक है. लेकिन इस बात मे कितनी सच्चाई है कोई नहीं जानता.

यह भी पढ़ें: 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू, घोड़े पर होगा माता का आगमन

शासन ध्यान दे तो पर्यटक स्थल के रुप में विकसित हो सकती है मंदिर: शासन और प्रशासन अगर इस जगह और मंदिर पर ध्यान दे तो यह मंदिर पर्यटक स्थल बयाना जा सकता है. क्योंकि जंगल के बीच एक बहुत बड़ा जलाश्य जहां पूरे साल पानी लबालब भरा होता है. पास ही पहाड़ पर लगभग 25 सौ फिट उपर पहाड़ पर स्थित देवी का मंदिर... जहां से आसपास जंगल का नजरा बेहद खुबसूरत दिखता है. साथ ही मंदिर से एक ओर दूर तक पहाड़ और जंगल नजर आता है. एक ओर जलाशय का पानी शासन और प्रशासन यहां अगर अच्छी सड़क और पेयजल और अन्य संसाधन की व्यवस्था करती है तो लोग अपने परिवार के साथ घुमाने व मंदिर दर्शन करने पहुंचेंगे. इससे इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रुप मे पहचान मिल सकती है.

कवर्धा: कवर्धा में विराजमान माता हिंगलाज भवानी मइया के दर्शन करने 25 सौ फिट ऊंची पहाड़ पर पथरिले रास्ते से पैदल पहुंचना पड़ता है. वहां तक पहुंचने वाले भक्तों की देवी माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती है. कवर्धा मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दूर राजनांदगांव मार्ग पर लोहारा विकासखंड का गांव सुतियापाट, जो जंगल के बीचों-बीच एक जलाशय के आस-पास बसा हुआ है. उसी से कुछ दूरी पर एक विशाल पहाड़ के उपर एक अंधेरे गुफा मेंं विराजमान हैं मां हिंगलाज भवानी. इस मंदिर में दर्शन करने लोगों को पैदल पथरिले रास्ते से होकर पहुंचना पड़ता है. (glory of Maa Hinglaj Bhavani Kwardha)

इस विषय में मंदिर के पुजारी हेमलाल कहते हैं कि इस मंदिर में पुजारी के रुप में वे लगभग 30 से 40 सालों से पूजा-पाठ कर रहे हैं. इससे पहले उनके पूर्वज यहां मंदिर में पूजापाठ कर मंदिर की देख-रेख करते थे. उनके जाने के बाद से मंदिर समिति देख-रेख करती है और वे यहां पूजापाठ करते हैं. यहां विराजमान माता हिंगलाज भवानी देवी का सिद्धपीठ है.

आसपास के पुराने लोगों को भी नहीं पता कि इस पहाड़ पर देवी माता कब से विराजमान हैं. पुराने लोग कहते हैं कि गाय बकरी चराने आऐ लोगों ने पहाड़ पर बने गुफा को देखा था. जब कुछ लोग एक साथ गुफा के अंदर घुसे तब अंदर जाने पर पता लगा कि अंदर सिद्धपीठ देवी मां विराजमान है. उसके बाद से धीरे-धीरे लोगों को पता चलने लगा और लोग यहां आने लगे.

हिंगलाज माता

2003 में पहाड़ के नीचे प्रशासन की तरफ से एक बड़े जलाशय का निर्माण कराया गया. जलाशय का नाम दिया गया सुतियापाट. तब लोग इस जलाशय के कारण आस-पास घर बनाकर बसने लगे और मंदिर में लोगों का आवागमन बढ़ने लगा.धीरे-धीरे मंदिर में रास्ता और अन्य व्यवस्था की गई. अब यहां मंदिर में देवी माता के दर्शन करने लोग पूरे प्रदेश भर से आते हैं. मंदिर काफी ऊंची पहाड़ में होने के कारण हर कोई मंदिर तक तो पहुंच नहीं पाते. लेकिन बहुत से लोग मंदिर तक पहुंच कर मां हिंगलाज के दर्शन कर आशिर्वाद जरूर लेते है. कहते हैं कि जो भी यहां एक बाद आर्शिवाद लेने जाता है. माता उसकी मुराद पूरी कर देती है. जिसके बाद श्रद्धालु यहां बार-बार आते हैं.

मंदिर में रहस्यमयी गुफा: जिस गुफा के अंदर देवी माता विराजमान है. उस गुफा को लोग रहस्यमयी बताते हैं. क्यूंकि गुफा के अंदर जाने पर लगभग 50 मिटन मे देवी मां विराजमान है. वहां से गुफा में अंदर जाने का रास्ता छोटा हो जाता है. लोग कुछ दूर तक जाकर वापस लोट आते हैं. किसी ने गुफा में पूरा अंदर घुसने की हिम्मत ही नहीं की. हालांकि लोग अंदाजा लगाते है की यहां से खुफा अंदर ही अंदर डोंगरगढ़ की माँ बम्लेश्वरी मंदिर और भोरमदेव मंदिर तक है. लेकिन इस बात मे कितनी सच्चाई है कोई नहीं जानता.

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शासन ध्यान दे तो पर्यटक स्थल के रुप में विकसित हो सकती है मंदिर: शासन और प्रशासन अगर इस जगह और मंदिर पर ध्यान दे तो यह मंदिर पर्यटक स्थल बयाना जा सकता है. क्योंकि जंगल के बीच एक बहुत बड़ा जलाश्य जहां पूरे साल पानी लबालब भरा होता है. पास ही पहाड़ पर लगभग 25 सौ फिट उपर पहाड़ पर स्थित देवी का मंदिर... जहां से आसपास जंगल का नजरा बेहद खुबसूरत दिखता है. साथ ही मंदिर से एक ओर दूर तक पहाड़ और जंगल नजर आता है. एक ओर जलाशय का पानी शासन और प्रशासन यहां अगर अच्छी सड़क और पेयजल और अन्य संसाधन की व्यवस्था करती है तो लोग अपने परिवार के साथ घुमाने व मंदिर दर्शन करने पहुंचेंगे. इससे इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रुप मे पहचान मिल सकती है.

Last Updated : Apr 5, 2022, 6:05 PM IST
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