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kawardha: जर्जर स्कूलों की मरम्मत कब, जर्जर छत के नीचे जोखिम में जान

कवर्धा में सरकारी स्कूलों का कायाकल्प करने के लिए सरकार ने फंड जारी कर दिया है. लेकिन कुछ स्कूल ऐसे हैं, जिन्हें तुरंत मरम्मत की जरुरत है, क्योंकि इन स्कूलों में बच्चों का ध्यान किताबों में कम और जर्जर छतों पर ज्यादा रहता है.जर्जर छत के नीचे जोखिम में जान डालकर ये बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

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जर्जर छत के नीचे खतरे में नौनिहाल
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Published : Mar 14, 2023, 2:07 PM IST

Updated : Mar 15, 2023, 4:18 PM IST

कवर्धा : कहते हैं किसी स्कूल की शिक्षा का स्तर जानना हो तो स्कूल की व्यवस्था देखना जरुरी है. ऐसा ही कुछ हाल है कवर्धा के दो शासकीय स्कूलों का. जिला मुख्यालय के करीब ग्राम पंचायत छिरहा और परसाटोला की शासकीय प्राथमिक स्कूल अपनी हालत पर आंसू बहा रहे हैं. स्कूल की हालत इतनी खस्ता है कि बच्चे किताबों से ज्यादा छत की ओर टकटकी लगाए रहते हैं, क्योंकि ये छत कभी भी भरभराकर गिर सकती है.

कमरों में बच्चों का जाना प्रतिबंधित : कहने को तो स्कूल में चार कमरे हैं. लेकिन सभी कमरों में बच्चों का प्रवेश वर्जित है. क्योंकि इन कमरों की छत में लगा प्लास्टर कब का झड़ चुका है. जो छड़ें दिख रहीं हैं, उन्हें टिन और लकड़ी की मदद से रोका गया है ताकि किसी भी तरह की अनहोनी को रोका जा सके.

जिले में कई स्कूल खस्ताहाल : एक तरफ सरकार स्कूलों का जीर्णोद्धार कर रही है. दूसरी तरफ सैंकड़ों सरकारी स्कूल आज भी अपनी हालत के आगे बेबस हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षक दोनों की ही जान खतरे में रहती है. कुछ स्कूलों में बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाया जा रहा है. लेकिन बारिश के मौसम में इन बच्चों के स्कूल की अघोषित छुट्टियां हो जाती है, क्योंकि तब बाहर पढ़ना भी मुमकिन नहीं होता.

करोड़ों खर्च लेकिन नतीजा वही : हर साल शासन स्कूलों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपये की स्वीकृति दी जाती है. लेकिन स्थिति जस के तस ही नजर आती है. हाल ही में शासन ने जिले के सरकारी स्कूलों की मेंटेनेंस के लिए 11.48 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है. लगभग 5 करोड़ रुपये के काम के लिए निर्माण एजेंसी भी बनी है लेकिन अब तक कई स्कूलों में काम शुरू नहीं हुआ है.

ये भी पढ़ें- भोरमदेव के पास अतिक्रमण हटाने का दुकानदारों ने किया विरोध



जिले में कितने स्कूल हैं जर्जर : कवर्धा जिले के चारों ब्लॉक खासकर पंडरिया ब्लॉक के सरकारी स्कूलों की स्थिति बदहाल है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र और गरीबी के कारण स्कूल भेजना मजबूरी है. कवर्धा कलेक्टर जन्मेजय महोबे का कहना है कि ''शासन का निर्देश था कि जिले के ऐसे स्कूलों की लिस्ट भेजें, जिनमें मरम्मत का काम किया जाना है. हमने 370 स्कूलों की सूची भेजी थी. इसमें शासन ने लगभग 11.48 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है. कुछ जगहों में काम भी शुरू किया जा चुका है.''

जर्जर स्कूलों की मरम्मत कब जोखिम में बच्चों की जान

कवर्धा : कहते हैं किसी स्कूल की शिक्षा का स्तर जानना हो तो स्कूल की व्यवस्था देखना जरुरी है. ऐसा ही कुछ हाल है कवर्धा के दो शासकीय स्कूलों का. जिला मुख्यालय के करीब ग्राम पंचायत छिरहा और परसाटोला की शासकीय प्राथमिक स्कूल अपनी हालत पर आंसू बहा रहे हैं. स्कूल की हालत इतनी खस्ता है कि बच्चे किताबों से ज्यादा छत की ओर टकटकी लगाए रहते हैं, क्योंकि ये छत कभी भी भरभराकर गिर सकती है.

कमरों में बच्चों का जाना प्रतिबंधित : कहने को तो स्कूल में चार कमरे हैं. लेकिन सभी कमरों में बच्चों का प्रवेश वर्जित है. क्योंकि इन कमरों की छत में लगा प्लास्टर कब का झड़ चुका है. जो छड़ें दिख रहीं हैं, उन्हें टिन और लकड़ी की मदद से रोका गया है ताकि किसी भी तरह की अनहोनी को रोका जा सके.

जिले में कई स्कूल खस्ताहाल : एक तरफ सरकार स्कूलों का जीर्णोद्धार कर रही है. दूसरी तरफ सैंकड़ों सरकारी स्कूल आज भी अपनी हालत के आगे बेबस हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षक दोनों की ही जान खतरे में रहती है. कुछ स्कूलों में बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाया जा रहा है. लेकिन बारिश के मौसम में इन बच्चों के स्कूल की अघोषित छुट्टियां हो जाती है, क्योंकि तब बाहर पढ़ना भी मुमकिन नहीं होता.

करोड़ों खर्च लेकिन नतीजा वही : हर साल शासन स्कूलों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपये की स्वीकृति दी जाती है. लेकिन स्थिति जस के तस ही नजर आती है. हाल ही में शासन ने जिले के सरकारी स्कूलों की मेंटेनेंस के लिए 11.48 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है. लगभग 5 करोड़ रुपये के काम के लिए निर्माण एजेंसी भी बनी है लेकिन अब तक कई स्कूलों में काम शुरू नहीं हुआ है.

ये भी पढ़ें- भोरमदेव के पास अतिक्रमण हटाने का दुकानदारों ने किया विरोध



जिले में कितने स्कूल हैं जर्जर : कवर्धा जिले के चारों ब्लॉक खासकर पंडरिया ब्लॉक के सरकारी स्कूलों की स्थिति बदहाल है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र और गरीबी के कारण स्कूल भेजना मजबूरी है. कवर्धा कलेक्टर जन्मेजय महोबे का कहना है कि ''शासन का निर्देश था कि जिले के ऐसे स्कूलों की लिस्ट भेजें, जिनमें मरम्मत का काम किया जाना है. हमने 370 स्कूलों की सूची भेजी थी. इसमें शासन ने लगभग 11.48 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है. कुछ जगहों में काम भी शुरू किया जा चुका है.''

Last Updated : Mar 15, 2023, 4:18 PM IST
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