कवर्धा: क्वॉरेंटाइन सेंटर में 3 महीने के बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. लोहारा ब्लॉक के बांधाटोला गांव में बीते 11 मई को महाराष्ट्र के नागपुर से प्रवासी मजदूर ट्रक से अपने गांव लौटे थे. गांव पहुंचते ही सभी मजदूरों को स्कूल भवन में 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन किया गया था. इनमें नागपुर से लौटे एक व्यक्ति का तीन महीने का बच्चा भी था, जिसकी क्वॉरेंटाइन सेंटर में 25 मई को तबियत खराब हुई. बच्चे को लोहारा के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर ने बच्चे को बुखार होना बताया, लेकिन 27 मई को बच्चे की मौत हो गई. बच्चे का ब्लड टेस्ट कर शव परिजनों को सौंप दिया गया. यहां तक कि बच्चे का पोस्टमॉर्टम तक नहीं कराया गया.
बच्चे की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई, लेकिन कोरोना जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई. बच्चे और माता-पिता किसी का भी सैंपल स्वास्थ्य विभाग ने नहीं लिया था. सबसे बड़ी बात तो ये है कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में कुल 58 लोग थे, लेकिन इनमें से किसी का भी सैंपल कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए नहीं लिया गया. इधर बच्चे का अंतिम संस्कार कर दिया गया है और माता-पिता को होम क्वॉरेंटाइन किया गया है.
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नहीं हुई कोरोना संक्रमण की जांच
जब इस मामले में जिले के स्वास्थ्य अधिकारी से बच्चे के कोरोना टेस्ट को लेकर सवाल किया गया, तो वे गोलमोल जवाब देते नजर आए. उन्होंने कहा कि क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरी हो चुकी थी. हालांकि बच्चे की मौत क्वॉरेंटाइन की 14 दिन की अवधि पूरी होने के एक दिन पहले हुई. हालांकि CHMO सुरेश कुमार तिवारी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि क्वॉरेंटाइन की अवधि अब 14 दिन बीत चुकी है, तो वहां रह रहे बाकी मजदूरों का भी कोरोना टेस्ट क्यों नहीं किया गया.