कवर्धा: नगर पंचायत अध्यक्ष फिरोज खान मामले में कहा की "हाल ही में मेरे खिलाफ नगर पंचायत पांडातराई में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. जहां बहुमत मिलने पर दूसरे बार अध्यक्ष बना तो आरोप का सिलसिला जारी रहा. निजी मामले को लेकर गंदी राजनीति शुरू कर दी. कहा जाता है ना कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं. मैं नगर का विकास करने के लिए अध्यक्ष बना हुं. नगर का विकास शिकायतकर्ताओ से देखा नहीं जा रहा है. इस कारण से इन लोगों को खुजली के साथ पीड़ा हो रहा और निजी मामले को उठा रहे हैं."
अध्यक्ष ने आरोपों को निराधार बताया: नगर पंचायत अध्यक्ष फिरोज खान मामले में कहा की "पांडातराई नगर पंचायत में डिवाइन पब्लिक स्कूल सन 2008 से संचालित हो रहा है. जो जिसकी दस्तावेज पूरी तरह सही है. 2019 में भीषण तिवारी के प्लाट में डिवाइन स्कूल संचालित किया गया. उसके बाद स्कूल छोटी पड़ रही थी. उसके 2019 में डिवाइन पब्लिक स्कूल की नवीनीकरण हुआ. और शासन ने स्कूल को संचालित करने की मान्यता दी. जिसके पूरा स्कूल का दस्तावेज शिक्षा विभाग में जमा की गई थी. जिस प्रकार से शिकायतकर्ताओ ने आरोप लगाए है. पूरा निराधार है और आने वाले समय में स्कूल बेहतर तरीके से संचालित होगा. यहां के अध्यनरत बच्चों को सारा सिविधा दी जाएगी. जिससे क्षेत्र में शिक्षा को लेकर एक अलग पहचान बनेगी. साथ साथ उच्च कोटि का शिक्षा दिया जाएगा. जिससे हमारे जिला ही नहीं पूरे प्रदेश का नाम रौशन होगा."
यह है पूरा मामला: नगर पंचायत अध्यक्ष फिरोज खान और उनके शिक्षण समिति के सदस्यों पर शासन को झूठी जानकारी और दस्तावेजों के आधार पर निजी स्कूल संचालन की मान्यता लेने का आरोप लगाते हुए नगर के शिव गुप्ता और त्रिलोचन सिंह ने याचिका दर्ज की गई थी. उस याचिका की सुनवाई में जिला न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए स्कूल के संचालक मंडल के सभी सदस्यों के खिलाफ 420 का मामला दर्ज कराने का आदेश दिया था. जिला एवं सत्र न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ शिक्षण समिति के सभी सदस्यों के ने उच्च न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के लिए लगाया गया था.
न्यायालय ने खारिज की याचिका: प्रकरण में हाईकोर्ट ने निचले न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए उनके आदेश को निरस्त कर दिया. हाईकोर्ट ने माना कि इस प्रकरण में सभी दस्तावेजों को शिक्षा अध्ययन नहीं किया गया था. प्रकरण में पाया गया कि कोई झूठी जानकारी और दस्तावेज नहीं दिया गया है. जिसके चलते न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया है.