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बैगा आदिवासियों ने बचा कर रखी है वर्षों पुरानी परंपरा, ऐसे चुनते हैं जीवनसाथी

बैगा आदिवासी समाज ने अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को संभाल कर रखा है. बैगा संस्कृति और उनकी विचारधारा छत्तीसगढ़ की विरासत है. दशहरा से लेकर होली के बीच गांव-गांव जाकर नृत्य कर युवक-युवती जीवनसाथी चुनते हैं.

Baiga tribal society saved  Special tradition
बरसो पुरानी परंपरा
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Published : Mar 2, 2021, 11:04 PM IST

Updated : Mar 3, 2021, 1:08 PM IST

कवर्धा: दुनिया में बढ़ते आधुनिकता के बीच आज भी बैगा आदिवासी समाज ने अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को संभाल कर रखा है. बैगा संस्कृति और उनकी विचारधारा छत्तीसगढ़ की विरासत है. इसी विरासत के रीति-रिवाज को बचाए रखने के लिए बैगा समाज प्रयासरत भी है. बैगा समाज पीढ़ी-दर-पीढ़ी से इसका पालन करते आ रहे हैं. उनकी भावी पीढी इस अनोखी परंररा को निभाएं इसके लिए लगातार समाज के लोग प्रयास कर रहे हैं. इन परंपराओं में शादी के लिए भी परंपरा शामिल है.

बैगा आदिवासियों ने बचा कर रखी है बरसो पुरानी परंपरा

गांव-गांव में करते हैं नृत्य, चुनते हैं वर-वधु

बैगा समाज की युवतियां अपनी समाजिक संस्कृति के अनुसार पहने जाने वाले गहनों से सज-धजकर टोलियों में निकलती हैं. बैगा युवक-युवतियां विशेष प्रकार के वाद्य यंत्र भी रखते हैं. जिसमें मादर, टिमकी, रीना, झरपट आदि शामिल हैं. एक गांव से दूसरे गांव जाकर रात में नृत्य करते हैं. एक टोली को दूसरी टोली अपने गांव मे नृत्य करने का नेवता देती है. इसे दशहरा नृत्य कहा जाता है.

Baiga tribal society saved  Special tradition
बरसो पुरानी परंपरा

भिलाई: निगम चुनाव के लिए वार्डों का आरक्षण, सभी की निगाहें टिकी

इस प्रक्रिया में कर्मा और ददरिया गीत गाया जाता है. इस दौरान युवक-युवती एक दूसरे को पंसद भी करते हैं. यह सिलसिला दशहरा से होली तक चलता है. युवक- युवतियां जिसे अपना जीवन साथी चुनते हैं, उसके बारे में परिजनों को बताती हैं. इसके बाद समाज के बडे़-बुजुर्ग रिश्ता तय करते हैं. बैगा समाज के युवक-युवती अपने जीवन साथी का चुनाव खुद करते हैं. होली के बाद युवक-युवती के परिजन और समाज के बडे़ बुजुर्ग अंतिम मुहर लगाकर दोनों की पूरे रीति-रिवाज के साथ शादी कराते हैं.

कवर्धा: दुनिया में बढ़ते आधुनिकता के बीच आज भी बैगा आदिवासी समाज ने अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को संभाल कर रखा है. बैगा संस्कृति और उनकी विचारधारा छत्तीसगढ़ की विरासत है. इसी विरासत के रीति-रिवाज को बचाए रखने के लिए बैगा समाज प्रयासरत भी है. बैगा समाज पीढ़ी-दर-पीढ़ी से इसका पालन करते आ रहे हैं. उनकी भावी पीढी इस अनोखी परंररा को निभाएं इसके लिए लगातार समाज के लोग प्रयास कर रहे हैं. इन परंपराओं में शादी के लिए भी परंपरा शामिल है.

बैगा आदिवासियों ने बचा कर रखी है बरसो पुरानी परंपरा

गांव-गांव में करते हैं नृत्य, चुनते हैं वर-वधु

बैगा समाज की युवतियां अपनी समाजिक संस्कृति के अनुसार पहने जाने वाले गहनों से सज-धजकर टोलियों में निकलती हैं. बैगा युवक-युवतियां विशेष प्रकार के वाद्य यंत्र भी रखते हैं. जिसमें मादर, टिमकी, रीना, झरपट आदि शामिल हैं. एक गांव से दूसरे गांव जाकर रात में नृत्य करते हैं. एक टोली को दूसरी टोली अपने गांव मे नृत्य करने का नेवता देती है. इसे दशहरा नृत्य कहा जाता है.

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इस प्रक्रिया में कर्मा और ददरिया गीत गाया जाता है. इस दौरान युवक-युवती एक दूसरे को पंसद भी करते हैं. यह सिलसिला दशहरा से होली तक चलता है. युवक- युवतियां जिसे अपना जीवन साथी चुनते हैं, उसके बारे में परिजनों को बताती हैं. इसके बाद समाज के बडे़-बुजुर्ग रिश्ता तय करते हैं. बैगा समाज के युवक-युवती अपने जीवन साथी का चुनाव खुद करते हैं. होली के बाद युवक-युवती के परिजन और समाज के बडे़ बुजुर्ग अंतिम मुहर लगाकर दोनों की पूरे रीति-रिवाज के साथ शादी कराते हैं.

Last Updated : Mar 3, 2021, 1:08 PM IST
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