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211 जर्जर शासकीय स्कूल में जान हथेली में रखकर बच्चे गढ़ रहे अपना भविष्य

छत्तीसगढ़ शासन (Government of Chhattisgarh) द्वारा स्कूलों की मरम्मत (repair of schools) को लेकर फंड जारी होने के बाद मेंटेनेंस नहीं हो रहा है. अब तो शिक्षा सत्र भी शुरू हो गया है. ऐसे में स्कूल की मरम्मत नहीं हुई है. जिस वजह से कभी भी विद्यालय में बड़ा हादसा हो सकता है

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जर्जर स्कूल में बच्चे पढ़ने के मजबूर
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Published : Sep 21, 2021, 7:56 PM IST

Updated : Sep 21, 2021, 9:48 PM IST

कवर्धा: जिले के 211 स्कूल भवन जर्जर (211 school building dilapidated) हैं. छत्तीसगढ़ शासन (Government of Chhattisgarh) द्वारा राशि जारी के बावजूद भी इन स्कूलों का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है. जान जोखिम में डालकर बच्चे जर्जर स्कूल भवन में बैठने को मजबूर है. शिक्षा के मंदिर को सहजने को लेकर कवर्धा प्रशासन (Kawardha Administration) ध्यान नहीं दे रहा है.

जर्जर शासकीय स्कूल में जान हथेली में रखकर बच्चे गढ़ रहे अपना भविष्य

कवर्धा में 211 स्कूल भवन जर्जर

कवर्धा में 973 प्राथमिक स्कूल (973 Primary School) है, लेकिन इसमें से 211 स्कूल भवन जर्जर हो चुके हैं. जिनमें से 68 स्कूल तो तोड़ने लायक हो चुके हैं. बावजूद इसके जर्जर भवन के उखड़ते प्लास्टर और गिरते छज्जे के बीच पढ़ाई हो रही है. इसमें छोटी-मोटी खरोच भी बच्चों को लगती रहती है. कई स्कूल तो बेहद कंडम हो चुके हैं. दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं और छत से पानी टपकता है.

81 स्कूल तोड़ने लायक

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले के चारों विकासखंड में कुल 81 स्कूल तोड़ने लायक हो चुके हैं. इन स्कूलों में हालत बेहद नाजुक हैं, जिनमें 68 प्राथमिक स्कूल भवन हैं. जहां पर छह से 10 साल से कम उम्र के बच्चे पढ़ते हैं. चार ब्लॉक में कुल 1,615 शासकीय प्राथमिक पूर्व माध्यमिक हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल में 2.50 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. जिनमें से 203 स्कूल जर्जर हो चुके हैं. इन स्कूलों में मरम्मत की आवश्यकता है. जिनमें मुख्य रुप से 140 प्राथमिक स्कूल और 7 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं जो जर्जर है.

हर साल जारी होती है फंड, क्यों नहीं होता मरम्मत

जिला शिक्षा अधिकारी राकेश पांडेय (District Education Officer Rakesh Pandey) का कहना है कि जिले में जर्जर और अति जर्जर स्कूल भवन की सूची मंगाई गई है. इन स्कूलों में फंड शासन से प्राप्त होने पर उस राशि से स्कूलों को मेंटेनेंस कार्य कराया जाने की बात कर रहे है. लेकिन सोचने वाली बात है कि शासन द्वारा हर साल स्कूलों के मेंटेनेंस के लिए राशि जारी होती है. इस राशि का उपयोग क्यों नहीं किया जाता. लंबे समय से मेंटनेंस नहीं होने के कारण स्कूलों की यह स्थिति निर्मित हुई है. जबकि कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर लंबे समय तक स्कूल बंद रहे लेकिन मेंटनेंस कार्य नहीं कराया गया. ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

कवर्धा: जिले के 211 स्कूल भवन जर्जर (211 school building dilapidated) हैं. छत्तीसगढ़ शासन (Government of Chhattisgarh) द्वारा राशि जारी के बावजूद भी इन स्कूलों का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है. जान जोखिम में डालकर बच्चे जर्जर स्कूल भवन में बैठने को मजबूर है. शिक्षा के मंदिर को सहजने को लेकर कवर्धा प्रशासन (Kawardha Administration) ध्यान नहीं दे रहा है.

जर्जर शासकीय स्कूल में जान हथेली में रखकर बच्चे गढ़ रहे अपना भविष्य

कवर्धा में 211 स्कूल भवन जर्जर

कवर्धा में 973 प्राथमिक स्कूल (973 Primary School) है, लेकिन इसमें से 211 स्कूल भवन जर्जर हो चुके हैं. जिनमें से 68 स्कूल तो तोड़ने लायक हो चुके हैं. बावजूद इसके जर्जर भवन के उखड़ते प्लास्टर और गिरते छज्जे के बीच पढ़ाई हो रही है. इसमें छोटी-मोटी खरोच भी बच्चों को लगती रहती है. कई स्कूल तो बेहद कंडम हो चुके हैं. दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं और छत से पानी टपकता है.

81 स्कूल तोड़ने लायक

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले के चारों विकासखंड में कुल 81 स्कूल तोड़ने लायक हो चुके हैं. इन स्कूलों में हालत बेहद नाजुक हैं, जिनमें 68 प्राथमिक स्कूल भवन हैं. जहां पर छह से 10 साल से कम उम्र के बच्चे पढ़ते हैं. चार ब्लॉक में कुल 1,615 शासकीय प्राथमिक पूर्व माध्यमिक हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल में 2.50 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. जिनमें से 203 स्कूल जर्जर हो चुके हैं. इन स्कूलों में मरम्मत की आवश्यकता है. जिनमें मुख्य रुप से 140 प्राथमिक स्कूल और 7 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं जो जर्जर है.

हर साल जारी होती है फंड, क्यों नहीं होता मरम्मत

जिला शिक्षा अधिकारी राकेश पांडेय (District Education Officer Rakesh Pandey) का कहना है कि जिले में जर्जर और अति जर्जर स्कूल भवन की सूची मंगाई गई है. इन स्कूलों में फंड शासन से प्राप्त होने पर उस राशि से स्कूलों को मेंटेनेंस कार्य कराया जाने की बात कर रहे है. लेकिन सोचने वाली बात है कि शासन द्वारा हर साल स्कूलों के मेंटेनेंस के लिए राशि जारी होती है. इस राशि का उपयोग क्यों नहीं किया जाता. लंबे समय से मेंटनेंस नहीं होने के कारण स्कूलों की यह स्थिति निर्मित हुई है. जबकि कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर लंबे समय तक स्कूल बंद रहे लेकिन मेंटनेंस कार्य नहीं कराया गया. ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

Last Updated : Sep 21, 2021, 9:48 PM IST
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