कवर्धा : छत्तीसगढ़ में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए धान खरीदी (Paddy purchased) की तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं. इसके तहत प्रशासन गिरदावरी रिपोर्ट (Girdawari Report) बनाकर 30 सिंतबर तक सौंप देगी. लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी बात यह है कि कवर्धा जिले में वित्तीय वर्ष 2020-21 में हुई धान खरीदी के धान अब तक केंद्रों में ही पड़े हैं, जिसके चलते जिले के अधिकांश केंद्रों पर तीन लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खुले आसमान के नीचे बारिश में भीग रहे हैं. ये धान अब सड़ने लगे हैं. बावजूद इसके प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है.
कवर्धा जिले के 94 धान खरीदी केंद्र में 39 लाख क्विंंटल धान की खरीदी प्रशासन ने की थी. शासन की ओर से परिवहन खर्च बचाने के लिए नया प्लान बनाया गया कि धान को संग्रहण केंद्र में ले जाने की बजाए सीधे राइस मिलर्स व अन्य जगहों के लिए उपार्जन केंद्र से परिवहन कराया जाए. ताकि धान के परिवहन पर अतरिक्त खर्च को बचाया जा सके. लेकिन शासन की ओर से बनाया गया यह प्लान फेल हो गया और उपार्जन केंद्रों में ही धान पड़े रह गए. आलम यह है कि ये धान अब खुले आसमान के नीचे रखे-रखे सड़ रहे हैं. उनसे दुर्गंध भी आने लगी है.
बता दें कि जिले के उपार्जन केंद्रों में अब भी 03 लाख क्विंटल धान सड़ रहे हैं, लेकिन प्रशासन अपनी नाकामी छुपाने के लिए इसे 80 हजार क्विंटल ही बता रहा है. धान के हालत अब ऐसे हो गए हैं कि 2500 रुपये क्विंटल में खरीदे धान को राइस मिलर्स 1500 रुपये में भी लेने को तैयार नहीं हैं. अगर इस धान को खरीद कर मिलर्स चावल भी बना लें तो चावल लाल, काला और गंध भरा होगा. पीडीएस दुकानों में इसी धान के चावल की सप्लाई का जाएगी, जो शायद खाने लायक नहीं होगा.
जिले के इन केंद्रों में पड़े हैं सबसे अधिक धान
जिले सावंतपुर डोमनपुर, कापादह, बाघामुड़ा, करपी, विरेंद्र नगर समेत दर्शन भर से अधिक गांवों की सोसाइटियों में धान पड़े-पड़े सड़ रहे हैं. जिले में धान खरीदी बंद हुए करीब 10 माह बीत चुके हैं. इसके बावजूद धान का परिवहन अभी तक नहीं हो पाया है. लेकिन जिला प्रशासन अभी भी अपना वही पुराना सुर अलाप रहा है कि जल्द ही धान का परिवाहन किया जाएगा. जबकि जिले में करीब 3 लाख क्विंटल धान बारिश में पड़े-पड़े सड़ चुके हैं. ये अब सिर्फ खाद बनने के काम ही आ सकते हैं.