लोगों का कहना है कि वो आठ किलोमीटर तक पंगडंडी में पैदल चलकर मतदान करने नहीं जाएंगे. ग्रामीणों के इस ऐलान की खबर जैसे ही प्रशासननिक अमले को लगी वहां हड़कंप मच गया.
प्रशासन ने दिया समस्या के निपटारे का आश्वासन
आनन-फानन में डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार सहित आला अधिकारी पूरे अमले के साथ गांव में पहुंचे और में पहुंचा ओर घंटों तक अधिकारी ग्रामीणों को मनाने के लिए जूझते रहे. प्रशासन के नुमाइंदों ने ग्रामीणों को अगले चुनाव में गांव के नजदीक में मतदान केंद्र स्थापित करने के साथ ही गांव की समस्याओं को प्राथमिकता के साथ निराकरण का आश्वासन दिया, तब कहीं जाकर ग्रामीण वोटिंग करने के लिए राजी हुए.
चारों ओर जंगल से घिरा है गांव
मामला जशपुर विधानसभा के मनोरा जनपद का है. ग्राम पंचायत सुरजुला के आश्रित ग्राम डोंगझरन चारों ओर से घने जंगलों के बीच बसा गांव है. इस गांव में 45 परिवार रहते हैं. इस बस्ती में अब तक सड़क, पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत यहां पहुंचने और यहां से बाहर जाने में होती है, क्योकि इस गांव में आने-जाने के लिए सड़क नहीं है.
टापू में तब्दील हो जाता है गांव
बरसात के दिनों में गांव पूरी तरह से टापू में तब्दील हो जाता है, कच्चे रास्ते दलदल के तब्दील हो जाते हैं और यहां रहने वाले 45 परिवार नार्कीय हालात में जिंदगी जीने को मजबूर हो जाते हैं.
कंधे में लादकर ले जाते हैं अस्पताल
बस्ती के हालात इतने खराब हो जाते हैं कि खुदा न खास्ता अगर किसी तबीयत बिगड़ जाए, तो उसे कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचाया जाता है. गांव में कुल 198 मतदाता हैं. उनका कहना है कि, वे कई साल से सड़क पानी और बिजली की मांग बरसों से करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी बात को कोई नहीं सुन रहा.
'आश्वासन मिलता है, लेकिन काम नहीं होता'
गांववालों का कहना है कि, हर बार उन्हें आश्वासन तो दिया जाता है, लेकिन वो पूरा नहीं होता. लोगों का कहना है कि 'मताधिकार का उपयोग करने के लिए उन्हें सरगुजा के सुरजुला जाना पड़ेगा, जो कि गांव से आठ किलोमीटर की दूरी पर है. इस वजह से वहां जाना संभव नहीं है.
गांव में पहुंचा प्रशासन का अमला
ग्रामीणों ने ऐलान के बाद डिप्टी कलेक्टर चेतन साहू, मनोरा के तहसीलदार प्रमोद कुमार चंद्रवंशी और जनपद पंचायत मनोरा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनिल कुमार तिवारी डोंगझन पहुंचे. यहां अधिकारियों ने ग्रामीणों की बैठक आयोजित कर उनकी समस्याओं को सुना. इस दौरान भड़के हुए ग्रामीणों ने इन अधिकारियों को जमकर खरी-खोटी सुनाते हुए मतदान के दिन 8 किलोमीटर पर यात्रा कर मतदान करने के लिए इंकार करते हुए फैसले पर अडिग रहे.
पुल निर्माण का दिया भरोसा
डिप्टी कलेक्टर चेतन साहू ने ग्रामीणों को समझाई देते हुए अगले चुनाव में नजदीक के किसी गांव में मतदान केंद्र स्थापित करने के साथ ही आचार संहिता खत्म होने के बाद सड़क पर पुल निर्माण करने का भरोसा दिया, जब जाकर ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ और ग्रामीण 23 अप्रैल को होने वाले मतदान में हिस्सा लेने के लिए राजी हुए.