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जशपुर : महुआ के लिए ग्रामीण जंगलों में लगा रहे आग - Fire in jashpur

जशपुर में जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई है. ग्रामीण महुआ बीनने के लिए जंगल में आग लगा देते हैं. वन विभाग इसके लिए लगातार लोगों को जागरूक करने में जुटा हुआ है.

Villagers are setting fire for mahua in Jashpur forest
जंगल में लगी आग
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Published : Mar 6, 2021, 2:46 PM IST

जशपुर : जंगलों में आग लगाने की घटनाएं शुरू होने लगी है. ग्रामीण जंगलों में लगे महुआ के पेड़ के नीचे महुआ बीनने के लिए जंगल में आग लगा देते हैं. हालांकि बीते कुछ वर्षों में लोगों में आई जागरूकता के कारण अब जंगल में आग लगने की घटनाओं में कमी आई है. जंगल को जलने से बचाने के लिए वन विभाग, वन सुरक्षा समिति और वन क्षेत्र में फायर वॉचर की तैनाती कर रही है.

Villagers are setting fire for mahua in Jashpur forest
जंगल में लगी आग


जशपुर के जंगलों में महुआ के पेड़ों की संख्या ज्यादा है. महुआ बीनने के चक्कर में ग्रामीण जंगल में आग लगा देते हैं. जब नीचे पड़े सूखे पत्ते जलकर राख हो जाते हैं, तब उस क्षेत्र की सफाई कर पेड़ों से गिरे महुआ को ग्रामीण चुन लेते हैं. वन विभाग के चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बाद इन घटनाओं में अब कमी आने लगी है. जंगलों में लगी आग की वजह से पर्यावरण को भी खासा नुकसान उठाना पड़ता है. जंगलों में लगी आग छोटे पेड़ों को जलाकर राख कर देती है. जिस वजह से जंगलों का विकास भी धीमा हो जाता है.

Villagers are setting fire for mahua in Jashpur forest
जशपुर के जंगल में आग

गोधन न्याय योजना की समीक्षा बैठक, कॉफी की खेती को बढ़ावा देने के निर्देश


जंगलों की आग से पर्यावरण को नुकसान

जिले में जंगलों की अवैध कटाई और आगजनी की वजह से हरियाली में तेजी से कमी होने लगी है. इसका सीधा असर साल-दर-साल बढ़ते तापमान और मौसम चक्र में परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है. जीवों के व्यवहार में भी इसका असर पड़ रहा है. सुरक्षित आश्रय और चारा-पानी की कमी की वजह से वन जीव हिंसक हो रहे हैं. वन्यजीवों ने मानव बस्ती की ओर रुख करना शुरू कर दिया है.

महुआ और मशरूम भी एक कारण

पर्यावरण के जानकार राम प्रकाश पांडेय ने बताया कि जिले में वन क्षेत्रों में होने वाली आगजनी के पीछे महुआ और मशरूम प्रमुख कारण है. गर्मी के महीने में जंगलों में महुआ चुनने का काम शुरू हो जाता है. पतझड़ के मौसम में जंगल में भारी मात्रा में पत्ते के गिरे होने की वजह से ग्रामीणों को महुआ चुनने में परेशानी होती है. इससे निपटने के लिए ग्रामीण सूखे पत्तों में आग लगा देते हैं, जिससे जंगल आग की चपेट में आ जाते हैं. इस प्रकार बरसात के मौसम में जंगल में निकलने वाले मशरूम के लिए जंगलों में आग लगाते हैं. ग्रामीणों की मान्यता है कि सूखे पत्तों में आग लगाने से जमा होने वाली राख से बारिश में मशरूम उत्पादन होता है. जंगलों को जलने से बचाने के लिए वन विभाग की टीम लगातार आग बुझाने के साथ ही जागरूकता अभियान भी संचालित कर रही है.

जशपुर : जंगलों में आग लगाने की घटनाएं शुरू होने लगी है. ग्रामीण जंगलों में लगे महुआ के पेड़ के नीचे महुआ बीनने के लिए जंगल में आग लगा देते हैं. हालांकि बीते कुछ वर्षों में लोगों में आई जागरूकता के कारण अब जंगल में आग लगने की घटनाओं में कमी आई है. जंगल को जलने से बचाने के लिए वन विभाग, वन सुरक्षा समिति और वन क्षेत्र में फायर वॉचर की तैनाती कर रही है.

Villagers are setting fire for mahua in Jashpur forest
जंगल में लगी आग


जशपुर के जंगलों में महुआ के पेड़ों की संख्या ज्यादा है. महुआ बीनने के चक्कर में ग्रामीण जंगल में आग लगा देते हैं. जब नीचे पड़े सूखे पत्ते जलकर राख हो जाते हैं, तब उस क्षेत्र की सफाई कर पेड़ों से गिरे महुआ को ग्रामीण चुन लेते हैं. वन विभाग के चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बाद इन घटनाओं में अब कमी आने लगी है. जंगलों में लगी आग की वजह से पर्यावरण को भी खासा नुकसान उठाना पड़ता है. जंगलों में लगी आग छोटे पेड़ों को जलाकर राख कर देती है. जिस वजह से जंगलों का विकास भी धीमा हो जाता है.

Villagers are setting fire for mahua in Jashpur forest
जशपुर के जंगल में आग

गोधन न्याय योजना की समीक्षा बैठक, कॉफी की खेती को बढ़ावा देने के निर्देश


जंगलों की आग से पर्यावरण को नुकसान

जिले में जंगलों की अवैध कटाई और आगजनी की वजह से हरियाली में तेजी से कमी होने लगी है. इसका सीधा असर साल-दर-साल बढ़ते तापमान और मौसम चक्र में परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है. जीवों के व्यवहार में भी इसका असर पड़ रहा है. सुरक्षित आश्रय और चारा-पानी की कमी की वजह से वन जीव हिंसक हो रहे हैं. वन्यजीवों ने मानव बस्ती की ओर रुख करना शुरू कर दिया है.

महुआ और मशरूम भी एक कारण

पर्यावरण के जानकार राम प्रकाश पांडेय ने बताया कि जिले में वन क्षेत्रों में होने वाली आगजनी के पीछे महुआ और मशरूम प्रमुख कारण है. गर्मी के महीने में जंगलों में महुआ चुनने का काम शुरू हो जाता है. पतझड़ के मौसम में जंगल में भारी मात्रा में पत्ते के गिरे होने की वजह से ग्रामीणों को महुआ चुनने में परेशानी होती है. इससे निपटने के लिए ग्रामीण सूखे पत्तों में आग लगा देते हैं, जिससे जंगल आग की चपेट में आ जाते हैं. इस प्रकार बरसात के मौसम में जंगल में निकलने वाले मशरूम के लिए जंगलों में आग लगाते हैं. ग्रामीणों की मान्यता है कि सूखे पत्तों में आग लगाने से जमा होने वाली राख से बारिश में मशरूम उत्पादन होता है. जंगलों को जलने से बचाने के लिए वन विभाग की टीम लगातार आग बुझाने के साथ ही जागरूकता अभियान भी संचालित कर रही है.

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