जशपुर: जशपुर जिले के मनोरा तहसील में उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल के नाम पर प्रशासन ने बुनियादी सुविधा विहीन स्कूल का चयन कर दिया है. अधिकारियों की इस मनमानी से स्कूल में पहले से पढ़ रहे विद्यार्थियों ओर शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
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प्रशासन के फैसले का हो रहा है विरोध
दरअसल, मनोरा में प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालित करने के लिए शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल का चयन किया गया है. प्रशासन के इस निर्णय का स्थानीय रहवासियों के साथ जनजातीय सुरक्षा मंच और बीजेपी ने विरोध किया है. विवाद और राजनीति के बीच यहां अध्ययन कर रहे 600 बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.साढ़े तीन दशक से चल रहे इस सरकारी स्कूल में बुनियादी सुविधा विकसित करने का ध्यान ना तो स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को आया और ना ही स्कूल के नाम पर राजनीति कर रहे नेताओं ने आवाज उठाई.
स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की कमी
स्कूल में बुनियादी सुविधा के अभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस कथित उत्कृष्ट स्कूल में बच्चों के लिए शौचालय तक उपलब्ध नहीं है. यहां अध्ययनरत बच्चे खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. इतना ही नहीं ऊंचे टीले में बने इस स्कूल की स्थिति भी यहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए खतरा का बड़ा कारण है. ऐसे जमीन पर बने भवनों में चढ़ने उतरने के दौरान आए दिन फिसल कर गिरने से बच्चे घायल होते रहते हैं. स्कूल में सिर्फ 12 कमरे हैं. इन्हीं कमरों में हिंदी और अंग्रेजी माध्यम दोनों स्कूलों का संचालन किया जा रहा है.
वहीं, स्कूल के प्रभारी प्राचार्य बीआर निराला बताया कि स्कूल में चारदीवारी, शौचालय सबसे अधिक आवश्यक है. अंग्रेजी और हिंदीं माध्यम स्कूल के लिए अलग-अलग भौतिक और मानव संसाधन उपलब्ध कराया जाना चाहिए. शासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया है. उम्मीद है कि जल्द ही समस्याओं का समाधान हो जाएगा.वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी जेके प्रसाद ने बताया कि 'स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल, मनोरा में सभी आवश्यक संसाधन के लिए शासन और प्रशासन को प्रस्ताव भेजा है. बजट मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा. अगले शिक्षा सत्र तक इस स्कूल की सभी समस्याओं को सुलझा लिया जाएगा.