जशपुर: प्याज के बाद अब आलू की आसमान छूती कीमतों ने आम लोगों की थाली का स्वाद और किचन का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. कोरोना के साथ ज्यादा बारिश होने से फसलों को नुकसान हुआ है. जिसकी वजह से अब आलू की कीमत भी आसमान छू रही है. बाजार में अब प्याज 80 रुपये प्रति किलो और आलू 50 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है.
कोरोना संकट के कारण बनी परिस्थिति और देश भर में हुई ज्यादा बारिश की आड़ में चल रहे मुनाफाखोरी के गोरखधंधे के सामने प्रशासन बेबस नजर आ रहा है. प्याज को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच, जिला प्रशासन निर्धारित कीमत के अंदर प्याज के भाव को रखने की मशक्कत में जुटा हुआ है. लेकिन इसके बादजूद बाजार में प्याज की कीमत 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है. सब्जी व्यापारी आने वाले समय में प्याज का भाव 100 रुपये प्रति किलो तक बढ़ने की संभावना जता रहे हैं.
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स्थानीय स्तर पर होती है आलू की पैदावार
जिले में आलू की स्थानीय स्तर पर उत्पादन होने के बाद भी इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं. स्थानीय विक्रेताओं के मुताबिक दूसरे राज्यों के व्यापारी खेतों में ही ज्यादा भाव में किसानों से फसल की खरीदी कर रहे हैं. जिसकी वजह से स्थानीय बाजार तक आलू नहीं पहुंच पा रहा है. जिले के मनोरा, बगीचा और जशपुर के पठारी इलाके में आलू की फसल लगाई जाती है. उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल जिले में 15 सौ हेक्टेयर में आलू की फसल लगाई गई है. चालू मौसम में 30 हजार मिट्रीक टन आलू उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
झारखंड से किया जा रहा आलू का आयात
शहर के थोक सब्जी व्यापारी रमेश साहू ने बताया कि जिले में आलू की आवक फिलहाल झारखंड के साथ प्रदेश के रायपुर और बिलासपुर से हो रही है. थोक मंडी में भाव ज्यादा होने के कारण स्थानीय बाजार में भी आलू की कीमत ऊंची है. प्याज के संबंध में उन्होनें बताया कि प्याज के भाव के निर्धारण में महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश की फसल की प्रमुख भूमिका होती है. बारिश से इन दोनों ही राज्यों में प्याज की फसल को 70 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है. उन्होनें बताया कि दिसंबर महीने में प्याज की नई फसल आने के बाद ही लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है.