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जशपुर: इस स्कूल में 7 साल से नहीं हैं एक भी छात्र, लाखों खर्च कर रही सरकार - आदिवासी जिला

आदिवासी जिले में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा विभाग भगवान भरोसे चल रहे हैं. दूसरी ओर शिक्षा विभाग का नया कारनामा सामने आया है.

स्कूल में पढ़ते हैं आंगनबाड़ी के बच्चे
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Published : Aug 8, 2019, 3:35 PM IST

Updated : Aug 8, 2019, 7:25 PM IST

जशपुर: एक ओर जहां सरकार शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए सरकारी कोष से खर्च कर रही है. वहीं दूसरी ओर आदिवासी जिले में यह योजना नाकामयाब होती नजर आ रही है. जिले में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा विभाग भगवान भरोसे चल रहे हैं.

इस स्कूल में 7 साल से नहीं हैं एक भी छात्र

जिले का एक ऐसा स्कूल सामने आया है, जहां पिछले सात सालों से एक भी बच्चा पढ़ने नहीं आया, उसके बावजूद स्कूल चल रहा है. इतना ही नहीं शिक्षा विभाग बिना बच्चों वाले इस स्कूल में लाखों रुपए की लागत से अतिरिक्त कक्ष भी बनवा रहा है.

पहली से लेकर 5वीं तक एक ही शिक्षक
दरअसल, मनोरा जनपद के तहत आने वाले ग्राम कोरकोटोली की प्राथमिक शाला जहां, बीते सात सालों से एक भी बच्चा पढ़ने नहीं आया क्योंकि इस स्कूल में पहली से लेकर पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक मौजूद है.

पढ़ें- कांकेर में बारिश ने बरपाया कहर, टापू में तब्दील हुए 50 गांव
स्कूल में पढ़ते हैं आंगनबाड़ी के बच्चे
मीडिया की टीम जब स्कूल में पहुंची तब स्कूल के शिक्षक विभागीय कार्य से विकासखंड मुख्यालय गए हुए थे, जिसकी सूचना शिक्षक ने स्कूल के दरवाजे पर टांग दी थी. इस स्कूल में सात साल से बच्चे नहीं आने से आंगनबाड़ी केन्द्र भी यही लगता है और आंगनबाड़ी के बच्चे भी यहीं पढ़ते हैं.

जशपुर: एक ओर जहां सरकार शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए सरकारी कोष से खर्च कर रही है. वहीं दूसरी ओर आदिवासी जिले में यह योजना नाकामयाब होती नजर आ रही है. जिले में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा विभाग भगवान भरोसे चल रहे हैं.

इस स्कूल में 7 साल से नहीं हैं एक भी छात्र

जिले का एक ऐसा स्कूल सामने आया है, जहां पिछले सात सालों से एक भी बच्चा पढ़ने नहीं आया, उसके बावजूद स्कूल चल रहा है. इतना ही नहीं शिक्षा विभाग बिना बच्चों वाले इस स्कूल में लाखों रुपए की लागत से अतिरिक्त कक्ष भी बनवा रहा है.

पहली से लेकर 5वीं तक एक ही शिक्षक
दरअसल, मनोरा जनपद के तहत आने वाले ग्राम कोरकोटोली की प्राथमिक शाला जहां, बीते सात सालों से एक भी बच्चा पढ़ने नहीं आया क्योंकि इस स्कूल में पहली से लेकर पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक मौजूद है.

पढ़ें- कांकेर में बारिश ने बरपाया कहर, टापू में तब्दील हुए 50 गांव
स्कूल में पढ़ते हैं आंगनबाड़ी के बच्चे
मीडिया की टीम जब स्कूल में पहुंची तब स्कूल के शिक्षक विभागीय कार्य से विकासखंड मुख्यालय गए हुए थे, जिसकी सूचना शिक्षक ने स्कूल के दरवाजे पर टांग दी थी. इस स्कूल में सात साल से बच्चे नहीं आने से आंगनबाड़ी केन्द्र भी यही लगता है और आंगनबाड़ी के बच्चे भी यहीं पढ़ते हैं.

Intro:जशपुर आदिवासी जिले में शिक्षा व्यवस्था ओर शिक्षा विभाग भगवान भरोसे ही चल रहे है, शिक्षा विभाग का नया कारनामा सामने आया है, जिले में एक स्कूल ऐसा है जहाँ पिछले सात सालों से एक भी बच्चे पढ़ने नही आया इसके बावजूद स्कूल संचालित है। इतना ही नही शिक्षा विभाग इस बिना बच्चों वाले स्कूल में लाखों रुपये की लागत से अतिरिक्त कक्ष भी बनवा रहा है।

Body:दरअसल मनोरा जनपद के अन्तर्ग आने वाले ग्राम कोरकोटोली की प्राथमिक शाला जहाँ बीते सात सालो से एक भी बच्चा पढ़ने नही आया, क्योंकि इस स्कूल में पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चों को पढ़ने को सिर्फ एक ही शिक्षक मौजूद है, स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ उन्हें स्कूल के विभागीय कार्यों को भी पुरा करना पड़ता है जिस कारण लिए उन्हें विकासखण्ड मुख्यालय जाना पड़ता है। मीडिया की टीम जब स्कूल में पहुँची तब भी स्कूल के शिक्षक विभागीय कार्य से विकासखण्ड मुख्यालय गए हुए थे जिसकी सूचना शिक्षक ने स्कूल के दरवाजे पर टांग दी थी। इस स्कुल में सात साल से बच्चे नही होने की वजह से अब आंगनबाड़ी केन्द्र यही लगता है ओर अब आंगनबाड़ी के बच्चे यही पढ़ते है ओर खेलते है



ग्रामीणों का कहना है कि इस स्कूल में बीते सात सालो से एक भी बच्चा पढ़ने नही आता है क्यों की स्कूल में सिर्फ एक ही शिक्षक है जो पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चों के लिए है, जिसकी वजह से स्कूल में पढ़ाई नही होती है, इस वजह से ग्रामीण अपने बच्चों को एक निजी स्कूल में पढ़ाते है, जहाँ पर्याप्त शिक्षक हैं ओर पढ़ाई भी अच्छी होती है , ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल में एक भी बच्चा नही है ओर इसके बावजूद स्कुल में लाखो रुपये की लागत खर्च कर के अतिरिक्त कक्ष भी बनाया जा रहा है, जिसका कोई उपयोग नही है, गाँव वालो का कहना है कि इस भवन का उपयोग अब गाँव में वाली बैठकों और  सांस्कृतिक कार्यक्रमो में उपयोग किया जायेगा।

Conclusion:वहीं इस मामले में शिक्षा अधिकारी बी आर ध्रुव का कहना है कि कोरको टोली में बच्चे थे इस लिए स्कूल में अतिरिक्त कक्ष बन रहा है, वही स्कूल में बच्चे नही होने की बात पर स्कूल के शिक्षक को कहीं और पदस्थापना करने बात उन्होंने कही

बहरहाल इस मामले में सबसे बडी बात है कि इस स्कूल में बीते सात सालो से बच्चे नही होने के बावजूद विभाग इस बात से बेखबर है और वहाँ पर स्कूल के लिए लाखो की लागत से एक अतिरिक्त कक्ष का निर्माण भी कराया जा रहा है। ओर एक शिक्षा सिर्फ स्कुल की रखवाली कर रहा है।
बाईट ग्रामीण
बाईट ग्रामीण
बाईट सरपँच
बाईट बी आर ध्रुव (डीईओ)

तरुण प्रकाश शर्मा
जशपुर
Last Updated : Aug 8, 2019, 7:25 PM IST
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