जशपुर: रोजगार की तलाश में मुंबई गए 81 मजदूर लॉकडाउन के दौरान अपने खर्च पर दो बसों में सवार होकर प्रदेश लौटे हैं. ये मजदूर कुछ दिन ही काम कर सके थे, जिसके बाद से पूरे देश में लॉकडाउन हो गया और मजदूर वहीं फंस गए. महाराष्ट्र सरकार की ओर से सहायता नहीं, मिलने के बाद इन मजदूरों ने पैसे जमा कर लगभग 3 लाख 20 हजार रुपए में 2 बसों को बुक किया और जशपुर पहुंचे हैं. जशपुर पहुंचने पर दो बसों में देने के लिए 50 हजार रुपए कम पड़ गए. जिसके बाद फिर इन मजदूरों ने 600-600 रुपए जमा कर बस का किराया अदा किया है.
बता दें कि, लॉकडाउन में मुंबई में इनके सामने रहने और खाने की समस्या खड़ी हो गई थी. इन्हें न तो सरकार की ओर से सहयोग मिल रहा था ओर और न ही वापस अपने घर लौटने को लेकर ये सरकार के पास अपना रजिस्ट्रेशन करवा पा रहे थे. लिहाजा थक हारकर मजदरों ने रुपये जमा किए और दो बसों में सवार होकर जशपुर पहुंचे. सभी मजदूर जशपुर जिले के हैं. जिला पहुंचे सभी मजदूरों की प्रशासन ने जांच कराई है. साथ ही सभी को उनके गांव में बने क्वॉरेंटाइन सेंटरों में 14 दिन के लिए रखा गया है.
मजदूरों की आपबीती
मुंबई से लौटे विकास राम ने बताया कि वह करीब 3 महीने पहले ही महाराष्ट्र के कल्याण गया था. वहां कपड़ा की मील में वह मजदूरी कर रहा था, जहां उसे काम के बदले 12 हजार रुपये वेतन मिलता था'. उसने बताया कि वह एक महीने ही काम किया था कि, कोरोना महामारी की वजह लॉकडाउन हो गया, जिसकी वजह से लिहाजा मिल बंद हो गई. जिसके बाद उन्हें रहने और खाने की समस्या होने लगी.
ग्राम भुड़केला की रहने वाली सरस्वती बाई ने बताया कि पति के साथ तीन साल से कल्याण में रह रही थी. लॉकडाउन की वजह से वहां राशन सहित जरूरी समान की किल्लत होने लगी. स्थानीय प्रशासन से भी उन्हें पर्याप्त सहयोग नहीं मिल पा रहा था. इसलिए उन्होंने अपने घर वापस आने का निर्णय लिया था.