जशपुर : जिले के कांसाबेल जनपद पंचायत का दारुपिसा गांव आजादी के सात दशक बाद भी पहुंचविहीन है. यहां ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. गांव में जब किसी को चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ती है, तो उसे कंधे पर ढोकर मुख्यमार्ग तक पहुंचाना पड़ता है. इन तामाम समस्याओं को लेकर ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में नोटा बटन दबाने का फैसला लिया है.
आक्रोशित ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय में कलेक्टर नरेश कुमार महादेव क्षीरसागर को ज्ञापन सौंपने के बाद मीडिया के सामने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि दरूपिसा ग्राम डोकड़ा पंचायत का आश्रित गांव है. गांव की आबादी साढे 500 के करीब है. गांव की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है. मेढ़ के सहारे ग्रामीण गांव तक पहुंचते हैं. बारिश के दिनों में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है.
गांव के निवासी रॉबर्ट टिर्की ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी मरीजों को लेकर होती है. आपातकालीन स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए उन्हें कंधे पर लादकर मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है तब कहीं जाकर एंबुलेंस मिल पाती है. वहीं ग्राम की जेनेबिबा तिर्की ने बताया कि गांव में सड़क की मांग को लेकर वह लगातार नेता और सरकारी अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है.
सुराज अभियान से लेकर समाधान शिविर तक सड़क की मांग की गई, लेकिन किसी तरह की सुनवाई नहीं की गई. लोकसभा चुनाव के दौरान वोट मांगने के लिए गांव आने वाले जनप्रतिनिधियों से इसका हिसाब मांगने के साथ ही सड़क की मांग पूरी न होने पर 23 अप्रैल को मतदान के दिन नोटा का बटन दबाने का सामूहिक निर्णय लिया गया है. इन ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों का उनकी समस्या व दुख-दर्द से कोई सरोकार नहीं है, तो वह किसी के पक्ष में मतदान क्यों करे.