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सड़क की मांग पूरी नहीं होने पर दारुपिसा के ग्रामीण दबाएंगे नोटा का बटन

जिले के कांसाबेल जनपद पंचायत का दारुपिसा गांव में तमाम समस्या को लेकर ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में नोटा बटन दबाने का फैसला लिया है.

दारुपिसा के ग्रामीण दबाएंगे नोटा का बटन
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Published : Mar 29, 2019, 5:26 PM IST

जशपुर : जिले के कांसाबेल जनपद पंचायत का दारुपिसा गांव आजादी के सात दशक बाद भी पहुंचविहीन है. यहां ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. गांव में जब किसी को चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ती है, तो उसे कंधे पर ढोकर मुख्यमार्ग तक पहुंचाना पड़ता है. इन तामाम समस्याओं को लेकर ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में नोटा बटन दबाने का फैसला लिया है.


आक्रोशित ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय में कलेक्टर नरेश कुमार महादेव क्षीरसागर को ज्ञापन सौंपने के बाद मीडिया के सामने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि दरूपिसा ग्राम डोकड़ा पंचायत का आश्रित गांव है. गांव की आबादी साढे 500 के करीब है. गांव की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है. मेढ़ के सहारे ग्रामीण गांव तक पहुंचते हैं. बारिश के दिनों में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

मांग पूरी नहीं होने पर ग्रामीण दबाएंगे नोटा का बटन


गांव के निवासी रॉबर्ट टिर्की ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी मरीजों को लेकर होती है. आपातकालीन स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए उन्हें कंधे पर लादकर मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है तब कहीं जाकर एंबुलेंस मिल पाती है. वहीं ग्राम की जेनेबिबा तिर्की ने बताया कि गांव में सड़क की मांग को लेकर वह लगातार नेता और सरकारी अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है.


सुराज अभियान से लेकर समाधान शिविर तक सड़क की मांग की गई, लेकिन किसी तरह की सुनवाई नहीं की गई. लोकसभा चुनाव के दौरान वोट मांगने के लिए गांव आने वाले जनप्रतिनिधियों से इसका हिसाब मांगने के साथ ही सड़क की मांग पूरी न होने पर 23 अप्रैल को मतदान के दिन नोटा का बटन दबाने का सामूहिक निर्णय लिया गया है. इन ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों का उनकी समस्या व दुख-दर्द से कोई सरोकार नहीं है, तो वह किसी के पक्ष में मतदान क्यों करे.

जशपुर : जिले के कांसाबेल जनपद पंचायत का दारुपिसा गांव आजादी के सात दशक बाद भी पहुंचविहीन है. यहां ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. गांव में जब किसी को चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ती है, तो उसे कंधे पर ढोकर मुख्यमार्ग तक पहुंचाना पड़ता है. इन तामाम समस्याओं को लेकर ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में नोटा बटन दबाने का फैसला लिया है.


आक्रोशित ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय में कलेक्टर नरेश कुमार महादेव क्षीरसागर को ज्ञापन सौंपने के बाद मीडिया के सामने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि दरूपिसा ग्राम डोकड़ा पंचायत का आश्रित गांव है. गांव की आबादी साढे 500 के करीब है. गांव की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है. मेढ़ के सहारे ग्रामीण गांव तक पहुंचते हैं. बारिश के दिनों में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

मांग पूरी नहीं होने पर ग्रामीण दबाएंगे नोटा का बटन


गांव के निवासी रॉबर्ट टिर्की ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी मरीजों को लेकर होती है. आपातकालीन स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए उन्हें कंधे पर लादकर मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है तब कहीं जाकर एंबुलेंस मिल पाती है. वहीं ग्राम की जेनेबिबा तिर्की ने बताया कि गांव में सड़क की मांग को लेकर वह लगातार नेता और सरकारी अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है.


सुराज अभियान से लेकर समाधान शिविर तक सड़क की मांग की गई, लेकिन किसी तरह की सुनवाई नहीं की गई. लोकसभा चुनाव के दौरान वोट मांगने के लिए गांव आने वाले जनप्रतिनिधियों से इसका हिसाब मांगने के साथ ही सड़क की मांग पूरी न होने पर 23 अप्रैल को मतदान के दिन नोटा का बटन दबाने का सामूहिक निर्णय लिया गया है. इन ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों का उनकी समस्या व दुख-दर्द से कोई सरोकार नहीं है, तो वह किसी के पक्ष में मतदान क्यों करे.

Intro:जशपुर जिले के कांसाबेल जनपद पंचायत का दारुपिसा गांव आजादी के 7 दशक बाद भी पहुंच विहीन है जहां मूलभूत सुविधाओं की कमी से ग्रामीण जूझ रहे हैं गांव में जब किसी को चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ती है तो उसे मुख्य मार्ग कंधे में ढोकर मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है सड़क निर्माण के लिए जनप्रतिनिधि अधिकारियों के चक्कर काट काट कर थक चुके ग्रामीण की सुनने वाला कोई नहीं ग्रामीणों ने अपनी मांगे पूरी नहीं होने पर लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन नोटा का बटन दबाने का फैसला लिया है।

आक्रोशित ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय में कलेक्टर नरेश कुमार महादेव क्षीरसागर को ज्ञापन सौंपने के बाद मीडिया के सामने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि दरूपिसा ग्राम डोकड़ा पंचायत का आश्रित ग्राम है, गांव की आबादी साढे 500 सौ के करीब है गांव की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां तक पहुंचने को सड़क नहीं है खेत के मेड के सहारा लेकर ग्रामीण गांव तक पहुंचते हैं बारिश के दिनों में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है
गांव के निवासी रॉबर्ट टिर्की ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी मरीजों को लेकर होती है आपातकालीन स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए उन्हें कंधे पर लाद कर मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है तब कहीं जाकर एंबुलेंस पहुंच पाती है वही ग्राम की श्रीमती जेनेबिबा तिर्की ने बताया कि गांव में सड़क की मांग को लेकर वह लगातार नेता और सरकारी अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं होती ग्राम सुराज अभियान से लेकर समाधान शिविर ओ तक सड़क की मांग की पर सब की सब व्यर्थ रही इन सब से अब ग्रामीण नाराज हैं और लोकसभा चुनाव के दौरान वोट मांगने के लिए गांव आने वाले जनप्रतिनिधियों से इसका हिसाब मांगने के साथ ही सड़क की मांग पूरी ना होने पर 23 अप्रैल को मतदान के दिन नोटा का बटन दबाने का सामूहिक निर्णय लिया है इन ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधि और उनकी समस्याएं व दुख दर्द से सरोकार नहीं है तो वह किसी के पक्ष में मतदान क्यों करेंगे

बाइट जेनेबिबा तिर्की ग्रामीण
बाइट एग्निस एक्का ग्रामीण
बाइट रॉबर्ट ग्रामीण
तरुण प्रकाश शर्मा
जशपुर



Body:नोटा में वोट


Conclusion:
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