जशपुर : बगीचा विकासखण्ड के पठारी क्षेत्रों में होने वाले गोंदली चावल की मांग अब देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होने लगी है. इसका उपयोग मधुमेह रोगियों के लिए शुगर फ्री चावल के रूप में किया जाता है. साथ ही कुछ दवाइयों में भी इसका इस्तेमाल होता है. शुगर फ्री होने की वजह से इसकी मांग अब विदेशों में होने लगी है. किसानों को इसका अच्छा दाम मिलने लगा है. दाम बढ़ने की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में विगत कुछ सालों में बेड़े की पैदावर में काफी इजाफा हुआ है.
पठार में पैदा होने वाली गोंदली चावल महानगरों में शुगर फ्री चावल के नाम से जाना जाता है. इसकी खुशबू महानगरों से होते हुए अब सात समुंदर पार तक पहुंच चुकी है. इसका उत्पादन बड़े स्तर पर होता है. जिसकी वजह से इसकी मांग काफी है. पहले इस चावल की मांग सिर्फ महानगरों तक थी. लेकिन धीरे-धीरे अब गोंदली की मांग विदेशों तक जा पहुंची है. यही कारण है कि विगत पांच सालों में गोंदली के दामों में जबरदस्त का उछाल आया है.
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गोंदली का प्रयोग
गोंदली का प्रयोग दवाइयां बनाने में भी किया जाता है. गोंदली का प्रयोग बीयर बनाने में भी किया जाता है. गोंदली के कई प्रकार के उपयोग होने की वजह से भी इसकी लगातार मांग बढ़ती जा रही. इसकी मांग अब इतनी हो गई है कि यह लोगों को काफी पसंद आ रहा है. इसकी बुआई करने के बाद इसमें खाद की जरूरत नहीं पड़ती है. इसकी फसल बिना खाद और बिना किसी मेहनत के तैयार हो जाती है.