जशपुर: गर्मी की शुरुआत के साथ ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं. जशपुर जिला मुख्यालय के नजदीक बेलमहादेव पहाड़ के जंगल में बुधवार रात अचानक आग लग गई. आग इतनी भीषण थी कि धीरे-धीरे पूरे जंगल में फैल गई. इस आग की लपटों को जशपुर शहर से देखा जा सकता था, इस बेकाबू आग पर काबू पाने जशपुर डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव और एसडीएम दशरथ राजपूत मौके पर पहुंचे और जान जोखिम में डाल कर अपनी टीम के साथ आग बुझाने में जुट गए. आधी रात तक कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका.
असामाजिक तत्वों ने लगाई आग
शहर के नजदीक प्रसिद्धि पर्यटन स्थल बेलमहादेव की पहाड़ीयो में असामाजिक तत्त्वों ने बुधवार रात आग लगा दी. जंगल मे मौजूद सूखे पत्ते और हवा से आग तेजी से पूरे जंगल मे फैल गई. आग पर काबू करने के लिए डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव और एसडीएम दशरथ राजूपत बेलमहादेव पहुंचे. रात तकरीबन रात साढ़े 12 बजे आग काबू में आने पर अधिकारी और टीम वापस आई. इस दौरान शरारती तत्वों ने अधिकारियों की गाड़ी की हवा भी निकाल दी. स्टेपनी का प्रयोग कर अधिकारी वापस लौटे. घटना के बाद,जंगल मे हो रहे सिलसिलेवार आगजनी की घटनाओं में स्थानीय शरारती तत्वों के होने की आशंका को बल मिल रहा है.
आग बुझाने में करनी पड़ी मशक्कत
डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव ने बताया कि असमाजिक तत्वों ने बेलमहादेव जंगल मे आग लगाई गई थी. टीम ने आग पर काबू पा लिया है. जंगल मे तेज ढलान होने के कारण आग बुझाने में काफी दिक्कतें हुई, लेकिन लगभग आग पर काबू पाया गया. डीएफओ जाधव ने लोगों से अपील की है कि जंगल में आग न लगाएं. इससे वन्य जीव, जंगल और इंसान तीनों के लिए नुकसान है. उन्होंने बताया है कि आग लगाने की घटना में 1 साल की जेल और 15 हजार का जुर्माना की सजा का प्रावधान है.
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लोगों से जंगल में आग ना लगाने की अपील
एसडीएम दशरथ राजपूत ने बताया कि बेलमहादेव पहाड़ में लगी आग को काफी परेशानियों के बाद काबू पा लिया गया है. उन्होंने कहा कि जिले में जंगलों को जलने से बचाने हेतु जिला प्रशासन सतत प्रयास कर रहा है. लोगों को जंगलों में आग ना लगाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है
फायर वाचर की दी गई है स्वीकृति
जंगलों को आग से बचाने एवं शुरक्षित रखने के लिए कलेक्टर महादेव कावरे ने खनिज न्यास निधि मद से 50 फायर वाचर रखने के लिए 8 लाख 96 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है. उन्होंने बताया कि वनों को आग से बचाने के लिए फायर वाचन के माध्यम से निगरानी की जाएगी. फायर वाचर का कार्यकाल जून 2021 तक के लिए रहेगा. इनके माध्यम से वनों पर निगरानी की जाएगी और आग लगने पर तत्काल बचाव के लिए कार्य किया जाएगा और सूचना भी दी जाएगी.
आग से वन और वन्य जीवों को खतरा
जशपुर के जंगलों में महुआ के पेड़ों की संख्या ज्यादा है. महुआ बीनने के चक्कर में ग्रामीण जंगल में आग लगा देते हैं. जब नीचे पड़े सूखे पत्ते जलकर राख हो जाते हैं, तब उस क्षेत्र की सफाई कर पेड़ों से गिरे महुआ को ग्रामीण चुन लेते हैं. वन विभाग की ओर से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बाद इन घटनाओं में अब कमी आने लगी है. जंगलों में लगी आग की वजह से पर्यावरण को भी खासा नुकसान उठाना पड़ता है. जंगलों में लगी आग छोटे पेड़ों को जलाकर राख कर देती है. जिस वजह से जंगलों का विकास भी धीमा हो जाता है.