जशपुर : क्रिसमस पर इस बार एशिया महाद्वीप के दूसरे सबसे बड़े चर्च 'रोजरी की महारानी' महागिरजाघर में रोशनी और क्रिसमस ट्री की खूबसूरत सजावट देखने को नहीं मिलेगी. कोरोना के कारण क्रिसमस पर भी ये चर्च बंद रहेगा. 25 दिसंबर को श्रद्धालु ऑनलाइन प्रेयर देख सकते हैं.
जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर कुनकुरी का 'रोजरी की महारानी' महागिरजाघर एशिया महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा चर्च माना जाता है. कोरोना महामारी ने इस इस बार क्रिसमस त्योहार का रंग फीका कर दिया है. ईसाई समुदाय की आस्था का केंद्र ये चर्च क्रिसमस में बंद रहेगा.
इस बार नहीं मनाया जाएगा महागिरजाघर में क्रिसमस
बिशप एम्मानवेल केरकेट्टा ने देश के लोगों को क्रिसमस की बधाई और शुभकामनाएं दी. उन्होंने बताया कि विश्व में फैली कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार 'रोजरी की महारानी' महागिरजाघर में क्रिसमस का त्योहार नहीं मनाया जाएगा. रोम में रहने वाले धर्म पिता का संदेश है कि कोरोना के कारण पूरा विश्व पीड़ित है, ऐसे में क्रिसमस का त्योहार सादगी से मनाएं. हर साल की तरह धूमधाम और जोश इस बार देखने को नहीं मिलेगा. उन्होंने बताया कि बिशप हाउस की तरफ से इस बार चर्च में लोगों को आने से मना कर दिया गया है. क्रिसमस पर महागिरजाघर में हजारों लोगों की भीड़ होती है, ऐसे में कोरोना के फैलने का खतरा यहां अधिक है. इसे देखते हुए इस बार चर्च में कोई भी प्रार्थना सभा नहीं होगी.
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एशिया के दूसरे सबसे बड़े चर्च में 7 छत
रोजरी की महारानी महागिरजाघर एशिया महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा चर्च माना जाता है. यह महागिरजाघर वास्तुकला का अदभुत नमूना है. यह विशालकाय भवन केवल एक बींब में टिका हुआ है. इस भवन में 7 अंक का विशेष महत्व है. इसमें 7 छत और 7 दरवाजे मौजूद हैं.
10 हजार लोग कर सकते है्ं एक साथ प्रार्थना
एशिया के दूसरा सबसे बड़ा चर्च कहलाने वाले इस महागिरजाघर में एक साथ 10 हजार श्रद्वालु प्रार्थना कर सकते हैं. क्रिसमस में न केवल देश बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पहुंच कर प्रभु की प्रार्थना करते हैं. महागिरजाघर धार्मिक सौहार्दता का भी प्रतीक है.
17 साल में बनकर तैयार हुआ था महागिरजाघर
महागिरजाघर की आधारशीला 1962 में रखी गई थी. जिसका एक हिस्सा 1964 में पूरा हुआ. दूसरा हिस्सा 1979 में पूरा हुआ. इसका लोकार्पण 1982 में हुआ. 17 वर्ष में बनकर तैयार हुए महागिरजाघर को आदिवासी मजदूरों ने बनाया था.
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अनूठी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध
इस महागिरजाघर की खास बात ये है कि यह चर्च अपनी अनूठी वास्तुकला व बनावट के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता हैंं कि बाइबिल में लिखे तथ्यों के आधार पर इस चर्च को बनाया गया है. जिले में इस चर्च से संबंधित लगभग 3 लाख से अधिक अनुयायी हैं. ये गिरिजाघर बेजोड़ वास्तुकला, सुंदरता, भव्यता, प्रार्थना और अपनी आकृति के लिए पूरे देश में विख्यात है.
कैरोल गीतों की धुन मन को मोह लेती है
एशिया के दूसरे सबसे बड़े इस गिरजाघर में लाखों लोग प्रभु यीशु के दर्शन के लिए आते हैं. क्रिसमस के महीनभर पहले से ही महागिरजाघर सहित जिले के अनेक चर्चों में कैरोल गीत के धुन गूंजने लगती थी. कुनकुरी के चर्च में इसकी विशेष धुन मन को मोह लेने वाली होती है. यह इस क्षेत्र के इसाई धर्मावलंबियों का मक्का माना जाता है.
कड़ाके की ठंड में होती है लोगों की भीड़
जशपुर धर्म प्रान्त के धर्माध्यक्ष (बिशप) एम्मानवेल केरकेट्टा पूरे प्रदेश, देश और विश्वभर के लोगों के लिए अमन चैन की प्रार्थना करते हैं. कड़ाके की ठंड के बावजूद क्रिसमस में हर साल रौनक देखते ही बनती थी, लेकिन इस बार कोरोना के कारण क्रिसमस का त्योहार बदरंग हो गया है. रोजरी की महारानी महागिरजाघर में इस बार बाहर से आने वालों पर रोक लगा दी गई है.
रोजरी की महारानी के नाम से मशहूर यह महागिरजाघर इसाई धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. जशपुर जिले के कुनकुरी क्षेत्र में स्थित इस चर्च को एशिया का दूसरा सबसे बड़ा गिरजाघर होने का गौरव प्राप्त है. एशिया का सबसे बड़ा चर्च सुमी बैप्टिस्ट चर्च नूहेबोटो नगालैंड में हैं.